काशी में गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल, मंदिर-मस्जिद की जमीन की हुई अदला-बदली
शिव की नगरी काशी यानि बनारस हमेशा से पर्यटकों को लुभाती रही है. बनारस में घूमते समय आप इस शहर की गलियों में संस्कृति और परंपरा को करीब से महसूस कर पाएंगे. दरअसल मथुरा-वृदावन और हरिद्वार की तरह यहां भी आपको हर घर में प्रचीन मंदिरों के दर्शन होंगे.
शिव की नगरी काशी यानि बनारस हमेशा से पर्यटकों को लुभाती रही है. बनारस में घूमते समय आप इस शहर की गलियों में संस्कृति और परंपरा को करीब से महसूस कर पाएंगे. दरअसल मथुरा-वृदावन और हरिद्वार की तरह यहां भी आपको हर घर में प्रचीन मंदिरों के दर्शन होंगे. कहते तो यह भी हैं कि काशी के हर कंकड़ में शिव का वास है. इन दिनों इसी काशी नगरी में शहर की छटा को निखारने का काम तेजी से किया जा रहा है.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के भव्य निर्माण हो रहा है. काशी विश्वनाथ मंदिर परिक्षेत्र में बन रहे विश्वनाथ कॉरिडोर का भौगोलिक एरिया अब बड़ा और भव्य होगा क्योंकि 17 सौ स्क्वायर फीट जमीन बाधा भी दूर हो गई है. कॉरिडोर के लिए ज्ञानवापी मस्जिद से सटी एक हजार स्क्वायर फीट जमीन मिली है. इस जमीन पर मंदिर प्रशासन का कंट्रोल रूम पहले से स्थापित था. मस्जिद प्रबंधन से जुड़ी वक्फ बोर्ड की जमीन पर कन्ट्रोल रूम बनाया गया था. इसके बदले में मस्जिद पक्ष को एक हजार स्क्वायर फीट जमीन दी गई है.
लिखा पढ़ी के साथ मंदिर और मस्जिद प्रशासन जमीन की अदला-बदली की
दरअसल, ज्ञानवापी मस्जिद पक्ष ने आपसी रजामंदी से पूरे लिखापढ़ी के साथ ये जमीन मंदिर प्रशासन को दिया है. मंदिर प्रशासन ने भी इसके बदले मस्जिद पक्ष को एक हजार स्क्वायर फीट जमीन दी है. शुक्रवार शाम तक मस्जिद से सटे कंट्रोल रूम के ध्वस्तीकरण का कार्य भी शुरू हो गया. प्रशासनिक अफसरों के अनुसार मंदिर प्रशासन ने बांसफाटक के पास ज्ञानवापी मस्जिद पक्ष को एक हजार स्क्वायर फीट जमीन दी है. इसे कॉरिडोर के लिए जमीन खरीद का मामला नहीं माना जाएगा. जमीन के बदले मस्जिद पक्ष से मिली जमीन पर कॉरिडोर का निर्माण ही होगा. श्री काशी विश्वनाथ मंदिर प्रशासन और ज्ञानवापी मस्जिद प्रबंधन की आपसी बातचीत के बाद जमीन हस्तांतरण पर सहमति बनी थी. सावन माह व बकरीद से पहले ही जमीन हस्तांतरण की प्रक्रिया को मूर्त रूप दिया गया. अंजुमन इंतजामिया मस्जिद ने नौ लाख 29 हजार रुपये की स्टांप ड्यूटी चुकाकर संपत्ति का हस्तांतरण किया है.
दोनों पक्षों की सहमति से के बाद लिया गया निर्णय
मंदिर प्रशासन से जुड़े अफसरों के अनुसार जमीनों का हस्तांतरण आदि विश्वेश्वर और ज्ञानवापी मस्जिद पक्ष की ओर से जमीनों की अदला-बदली के रूप में हुई है. वाराणसी परिक्षेत्र के कमिश्नर दीपक अग्रवाल के अनुसार मंदिर प्रशासन को एक हजार स्क्वायर फीट जमीन ज्ञानवापी पक्ष से मिली है. इससे धाम क्षेत्र का और विस्तार हो गया है. इसके लिए पहले से ही दोनों पक्षों में सहमति बन गई थी. औपचारिकता पूरी करने के बाद जमीन मंदिर प्रशासन के नाम हो गई है और बदले में बांसफाटक के पास दूसरे पक्ष को भी जमीन दी गई है. आर्टिकल 31 एक्सचेंज ऑफ प्रॉपर्टी के तहत जारी दस्तावेजों में ई स्टांप के जरिए इस संपत्ति का हस्तांतरण किया गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वप्निल परियोजना (ड्रीम प्रोजेक्ट) काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के भव्य निर्माण में 17 सौ स्क्वायर फीट जमीन बाधा बन गई थी. इसके लिए दोनों पक्षों में कई चक्र वार्ता हुई थी. अब बाधा दूर होते ही कॉरिडोर के निर्माण में पंख लग जायेगा.
कैसा है काशी कॉरिडोर
बता दें कि पीएम मोदी ने 2019 में काशी कॉरिडोर का शिलान्यास किया था. 400 मीटर लंबे इस कॉरिडोर का निर्माण करीब 600 करोड़ रुपये से हो रहा है. कॉरिडोर के जरिए गंगा नदी के ललिता घाट से काशी विश्वनाथ मंदिर से सीधे जोड़ा जा रहा है. इस कॉरिडोर के निर्माण के बाद बाबा विश्वनाथ के दर्शन के लिए भक्तों को ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ेगा. इसके अलावा संकरी गलियां भी चौड़ा हो जाएंगी. यह भी पढ़ें : Sawan 2021 Messages: सावन मास की इन भक्तिमय हिंदी WhatsApp Stickers, Facebook Greetings, Quotes, GIF Images के जरिए दें शिवभक्तों को शुभकामनाएं
इस कॉरिडोर के निर्माण के बाद मंदिर के चारों तरफ एक परिक्रमा मार्ग, गंगा घाट से मंदिर में प्रवेश करने पर बड़ा गेट, मंदिर चौक, 24 बिल्डिंग, जिनमें गेस्ट हाउस, 3 यात्री और पर्यटक सुविधा केन्द्र, स्टॉल, पुजारियों के रहने के लिए आवास, आश्रम, वाराणसी गैलरी, मुमुक्ष भवन बनाया जा रहा है. खास बात ये है कि पूरे कॉरिडोर का निर्माण लाल पत्थर से किया जा रहा है. श्रद्धालु गंगा स्नान के बाद कॉरिडोर से सीधे मणिकर्णिका घाट, ललिता घाट और जलासेन घाट से काशी विश्वनाथ मंदिर पहुंच सकेंगे.शिव की नगरी काशी यानि बनारस हमेशा से पर्यटकों को लुभाती रही है. बनारस में घूमते समय आप इस शहर की गलियों में संस्कृति और परंपरा को करीब से महसूस कर पाएंगे. दरअसल मथुरा-वृदावन और हरिद्वार की तरह यहां भी आपको हर घर में प्रचीन मंदिरों के दर्शन होंगे. कहते तो यह भी हैं कि काशी के हर कंकड़ में शिव का वास है.
इन दिनों इसी काशी नगरी में शहर की छटा को निखारने का काम तेजी से किया जा रहा है.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के भव्य निर्माण हो रहा है. काशी विश्वनाथ मंदिर परिक्षेत्र में बन रहे विश्वनाथ कॉरिडोर का भौगोलिक एरिया अब बड़ा और भव्य होगा क्योंकि 17 सौ स्क्वायर फीट जमीन बाधा भी दूर हो गई है. कॉरिडोर के लिए ज्ञानवापी मस्जिद से सटी एक हजार स्क्वायर फीट जमीन मिली है. इस जमीन पर मंदिर प्रशासन का कंट्रोल रूम पहले से स्थापित था. मस्जिद प्रबंधन से जुड़ी वक्फ बोर्ड की जमीन पर कन्ट्रोल रूम बनाया गया था. इसके बदले में मस्जिद पक्ष को एक हजार स्क्वायर फीट जमीन दी गई है.
लिखा पढ़ी के साथ मंदिर और मस्जिद प्रशासन जमीन की अदला-बदली की
दरअसल, ज्ञानवापी मस्जिद पक्ष ने आपसी रजामंदी से पूरे लिखापढ़ी के साथ ये जमीन मंदिर प्रशासन को दिया है. मंदिर प्रशासन ने भी इसके बदले मस्जिद पक्ष को एक हजार स्क्वायर फीट जमीन दी है. शुक्रवार शाम तक मस्जिद से सटे कंट्रोल रूम के ध्वस्तीकरण का कार्य भी शुरू हो गया. प्रशासनिक अफसरों के अनुसार मंदिर प्रशासन ने बांसफाटक के पास ज्ञानवापी मस्जिद पक्ष को एक हजार स्क्वायर फीट जमीन दी है. इसे कॉरिडोर के लिए जमीन खरीद का मामला नहीं माना जाएगा. जमीन के बदले मस्जिद पक्ष से मिली जमीन पर कॉरिडोर का निर्माण ही होगा. श्री काशी विश्वनाथ मंदिर प्रशासन और ज्ञानवापी मस्जिद प्रबंधन की आपसी बातचीत के बाद जमीन हस्तांतरण पर सहमति बनी थी. सावन माह व बकरीद से पहले ही जमीन हस्तांतरण की प्रक्रिया को मूर्त रूप दिया गया. अंजुमन इंतजामिया मस्जिद ने नौ लाख 29 हजार रुपये की स्टांप ड्यूटी चुकाकर संपत्ति का हस्तांतरण किया है.
दोनों पक्षों की सहमति से के बाद लिया गया निर्णय
मंदिर प्रशासन से जुड़े अफसरों के अनुसार जमीनों का हस्तांतरण आदि विश्वेश्वर और ज्ञानवापी मस्जिद पक्ष की ओर से जमीनों की अदला-बदली के रूप में हुई है. वाराणसी परिक्षेत्र के कमिश्नर दीपक अग्रवाल के अनुसार मंदिर प्रशासन को एक हजार स्क्वायर फीट जमीन ज्ञानवापी पक्ष से मिली है. इससे धाम क्षेत्र का और विस्तार हो गया है. इसके लिए पहले से ही दोनों पक्षों में सहमति बन गई थी. औपचारिकता पूरी करने के बाद जमीन मंदिर प्रशासन के नाम हो गई है और बदले में बांसफाटक के पास दूसरे पक्ष को भी जमीन दी गई है. आर्टिकल 31 एक्सचेंज ऑफ प्रॉपर्टी के तहत जारी दस्तावेजों में ई स्टांप के जरिए इस संपत्ति का हस्तांतरण किया गया है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वप्निल परियोजना (ड्रीम प्रोजेक्ट) काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के भव्य निर्माण में 17 सौ स्क्वायर फीट जमीन बाधा बन गई थी. इसके लिए दोनों पक्षों में कई चक्र वार्ता हुई थी. अब बाधा दूर होते ही कॉरिडोर के निर्माण में पंख लग जायेगा.
कैसा है काशी कॉरिडोर
बता दें कि पीएम मोदी ने 2019 में काशी कॉरिडोर का शिलान्यास किया था. 400 मीटर लंबे इस कॉरिडोर का निर्माण करीब 600 करोड़ रुपये से हो रहा है. कॉरिडोर के जरिए गंगा नदी के ललिता घाट से काशी विश्वनाथ मंदिर से सीधे जोड़ा जा रहा है. इस कॉरिडोर के निर्माण के बाद बाबा विश्वनाथ के दर्शन के लिए भक्तों को ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ेगा. इसके अलावा संकरी गलियां भी चौड़ा हो जाएंगी.
इस कॉरिडोर के निर्माण के बाद मंदिर के चारों तरफ एक परिक्रमा मार्ग, गंगा घाट से मंदिर में प्रवेश करने पर बड़ा गेट, मंदिर चौक, 24 बिल्डिंग, जिनमें गेस्ट हाउस, 3 यात्री और पर्यटक सुविधा केन्द्र, स्टॉल, पुजारियों के रहने के लिए आवास, आश्रम, वाराणसी गैलरी, मुमुक्ष भवन बनाया जा रहा है. खास बात ये है कि पूरे कॉरिडोर का निर्माण लाल पत्थर से किया जा रहा है. श्रद्धालु गंगा स्नान के बाद कॉरिडोर से सीधे मणिकर्णिका घाट, ललिता घाट और जलासेन घाट से काशी विश्वनाथ मंदिर पहुंच सकेंगे.