Eid Mubarak 2021: फितरा क्या है? ईद से पहले मुसलमान फितरा क्यों देते हैं? जानें फर्क है फितरा और जकात में!
इस्लाम धर्म में दो ईद मनाई जाती है. रमजान के बाद ईद-उल-फितर और हज के बाद ईद-उल-अधा, जिसे बकरीद के नाम से भी जाना जाता है. दोनों ईद पर अलग-अलग रस्में अदा की जाती हैं. ईद-उल-फितर में मुसलमान ‘फितरा’ देते हैं जबकि ईद-उल-अधा में पशु का मांस वितरित किया जाता है.
इस्लाम धर्म में दो ईद मनाई जाती है. रमजान के बाद ईद-उल-फितर (Eid al-Fitr) और हज के बाद ईद-उल-अधा, जिसे बकरीद के नाम से भी जाना जाता है. दोनों ईद पर अलग-अलग रस्में अदा की जाती हैं. ईद-उल-फितर में मुसलमान ‘फितरा’ देते हैं जबकि ईद-उल-अधा में पशु का मांस वितरित किया जाता है. रमजान साल का वह समय है, जब मुसलमान गरीबों और जरूरतमंदों पर नजर रखते हैं कि कहीं वे भूखे तो नहीं हैं. उन्हें भी ईद मनाने उतना ही अधिकार होता है, जितना हमें और हमारे परिवार को. अलबत्ता अल्लाह ने यह जिम्मेदारी हर मुसलमान को सौंप रखी है.
फितरा क्या है और किसे देना चाहिए?
फितरा या जकात-उल-फितर वह दान है, जो हर मुसलमान को ईद का चांद देखने के बाद गरीब एवं जरूरतमंदों को आवश्यक रूप से देना होता है. लेकिन चूंकि सूर्यास्त और भोर के बीच केवल कुछ घंटों में गरीब और जरूरतमंदों को ढूंढ पाना संभव नहीं है, इसलिए मुसलमान रमजान की 27 तारीख से फितरा देते हैं. फितरा परिवार का मुखिया अपने घर के हर सदस्यों की तरफ से देता है, ताकि फितरा पाने वाला भी अपने घरों में ईद की खुशियां मना सके. इसके अलावा अगर आपके घर में कोई अतिथि रह रहा है, जो आपके साथ ईद मनायेगा, तो उसका भी फितरा आपको ही देना होता है.
फितरा क्यों देते हैं?
चांद देखने के बाद अगले दिन मुसलमान ईद की खुशियां मनाने में जुट जाते है. क्या बच्चा क्या वृद्ध सभी के चेहरे पर एक अलौकिक खुशी नजर आती है. लेकिन इस्लाम धर्म के अनुसार इस खुशी को आप तभी सेलीब्रेट करने का हक रखते हैं, जब आपके आसपास के गरीब भी ईद की खुशियां मना रहे हों. ईद का जश्न अथवा खुशी आप अकेले नहीं मना सकते. इस्लाम धर्म में इस दान को अनिवार्य बनाया गया है ताकि हम अपने समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी को भी समझ सकें. यह भी पढ़ें : Eid al-Fitr 2021 Wishes & HD Images: ईद-अल-फितर के इन शानदार WhatsApp Stickers, GIF Greetings, Wallpapers, Photos के जरिए दें मुबारकबाद
फितरा और जकात में फर्क!
जकात इस्लाम के मुख्य स्तंभों में अनिवार्य दान है, जो मुसलमानों को हर साल देना होता है. वह इसे साल में कभी भी कहीं भी दे सकता है. जबकि फितरा रमजान में ही अपने शहर में ही दिया जा सकता है. जकात शहर से बाहर दुनिया के अन्य हिस्सों में भेजा सकता हैं, जहां आपको पता है कि उन्हें आपकी मदद की जरूरत है.