Eid Milad un Nabi 2022 Wishes: ईद-मिलाद-उन-नबी (Eid Milad un Nabi 2022) या ईद-ए-मिलाद पैगंबर मुहम्मद के जन्म का प्रतीक है. यह पूरे भारत में मुसलमानों के लिए एक महत्वपूर्ण दिन माना जाता है क्योंकि यह पवित्र पैगंबर की दया, करुणा और शिक्षाओं की याद दिलाता है. पैगंबर मुहम्मद की शिक्षा समुदाय के लिए मूल्यवान साबित होती है. त्योहार को नबी दिवस, मौलिद, मुहम्मद का जन्मदिन या पैगंबर का जन्मदिन भी कहा जाता है. ईद मिलाद 9 अक्टूबर 2022 को (चांद दिखने के आधार पर) मनाया जाएगा. ईद मिलाद 9 अक्टूबर को मनाया जाएगा, और भारत सरकार ने 7, 8 और 9 अक्टूबर को भारत में सार्वजनिक अवकाश के रूप में घोषित किया है. चूंकि यह भारत में एक राजपत्रित अवकाश है, इस दिन इस्लामिक स्टोर, व्यवसाय, स्कूल, विश्वविद्यालय, कॉलेज, शैक्षणिक संस्थान और कई मार्केटिंग स्टोर बंद रहते हैं या खुलने का समय कम हो जाता है. सरकारी कार्यालयों, डाकघरों और बैंकों में भी छुट्टी है.
इस दिन मुसलमान भाई मिलाद-उन-नबी की सभाओं का पालन करते हैं, वे पैगंबर मुहम्मद के जन्म और उनकी शिक्षाओं के आगमन को याद करते हैं, चर्चा करते हैं और जश्न मनाते हैं. कुछ लोग मिलाद-उन-नबी ई-कार्ड मित्रों और परिवार को भेजते हैं. कई सुन्नी मुसलमान इस घटना को इस्लामिक महीने रबी अल-अव्वल के 12 वें दिन मनाते हैं, जबकि शिया समुदाय इसे रबी अल-अव्वल के 17 वें दिन मनाते हैं. इस पाक दिन पर हम ले आए हैं कुछ ख़ास विशेज जिन्हें आप HD Wallpapers और GIF Greetings के जरिए भेजकर इस पाक दिन की मुबारकबाद दे सकते हैं.
1. मदीने में फिजा ऐसी लग रही है
जन्नत जैसी हवा लग रही है
पहुंचकर मदीने में जमीन को देखा
यह जन्नत का पता लग रही है.
ईद मिलाद उन नबी मुबारक
2. गुल ने गुलशन से गुलफाम भेजा है
सितारों ने आसमान से सलाम भेजा है,
मुबारक हो आपको ईद मिलाद उन नबी का दिन
हमने खुशियों का यह पैगाम भेजा है.
3. जिंदगी का हर पल खुशियों से कम ना हो
आपका हर दिन ईद के दिन से कम ना हो,
बरसे आप पर खुदा की रहमत
ईद मिलाद उन नबी मुबारक
4. नबी की याद से रोशन
मेरे दिल का नगीना है,
वो मेरे मन में रहते हैं
मेरा दिल एक मदीना है.
ईद मिलाद उन नबी मुबारक
5. आप महको सदा
कभी ना लगे कांटा फूल का,
मुबारक हो आपको
महीना रसूल का.
ईद मिलाद उन नबी मुबारक
माना जाता है कि पैगंबर के जन्मदिन का उत्सव 8 वीं शताब्दी में शुरू हुआ था, जब पैगंबर मुहम्मद के जन्म घर को अल-खयज़ुरान द्वारा प्रार्थना के घर में बदल दिया गया था. अल-खयज़ुरन एक ख़लीफ़ा हारून-अल-रशीद की माँ थी. मूल रूप से, त्योहार शियाओं द्वारा मनाया जाता था. 12वीं शताब्दी के करीब सुन्नियों ने इस त्योहार को अपनाया, हालांकि एक अलग तारीख के साथ. हालाँकि इस त्योहार के उत्सव को सुन्नियों में कुछ प्रतिरोध का सामना करना पड़ा था, 15 वीं शताब्दी तक इस त्योहार को बड़ी संख्या में अपनाया जाने लगा और 20 वीं शताब्दी की शुरुआत में, इसे दुनिया के कई क्षेत्रों में राष्ट्रीय अवकाश के रूप में मनाया जाने लगा.