Diwali Puja 2022: देवी-देवता की पूजा के समय दीपक क्यों जलाते हैं? जानें क्या हैं इसके आध्यात्मिक एवं वैज्ञानिक तर्क!
दीपों का महापर्व दीपावली के बस कुछ ही दिन शेष रह गये हैं. यह वह अवसर होता है, जब माँ लक्ष्मी के स्वागत के लिए लोग अपने-अपने घरों को दीपों से प्रज्वलित कर सजाते हैं. यद्यपि इस संदर्भ में कई मान्यताएं हैं. हिंदू धर्म के अनुसार प्रज्वलित दीया अग्नि तत्व का प्रतिनिधित्व करता है. अग्नि पांच तत्वों (पृथ्वी, जल, अग्नि, आकाश और वायु) में एक होता है...
Diwali Puja 2022: दीपों का महापर्व दीपावली के बस कुछ ही दिन शेष रह गये हैं. यह वह अवसर होता है, जब माँ लक्ष्मी के स्वागत के लिए लोग अपने-अपने घरों को दीपों से प्रज्वलित कर सजाते हैं. यद्यपि इस संदर्भ में कई मान्यताएं हैं. हिंदू धर्म के अनुसार प्रज्वलित दीया अग्नि तत्व का प्रतिनिधित्व करता है. अग्नि पांच तत्वों (पृथ्वी, जल, अग्नि, आकाश और वायु) में एक होता है. यह पवित्रता का प्रतिनिधित्व करता है. सनातन धर्म में किसी भी देवी-देवता की पूजा से पूर्व उनके आह्वान के लिए दीप प्रज्वलित करने का प्राचीन विधान है. हजारों वर्षों से यह परंपरा चली आ रही है. हिंदू धर्म में अग्नि प्रत्यक्ष देव माने जाते हैं. इसीलिए किसी भी कर्मकांड के समय शुद्ध घी, तिल अथवा सरसों तेल के दीप भगवान को अर्पित करते हैं. दीप प्रज्वलन के पीछे कुछ आध्यात्मिक तो कुछ वैज्ञानिक तर्क दिये जाते हैं. आइये जानें दीप प्रज्वलन के पीछे का गूढ़ रहस्य क्या है. यह भी पढ़ें: Diwali Easy Rangoli Designs 2022: दिवाली पर फूलों और रंगों से बनाएं ये आसान और खूबसूरत रंगोली डिजाइन्स, देखें Videos
आध्यात्मिक कारण
हिंदू धर्म के अनुसार दीपक ज्ञान और रोशनी का प्रतीक माना जाता है. कहते हैं कि दीप प्रज्वलित करने से दरिद्रता का नाश होता है, घर में नकारात्मक अथवा बुरी शक्तियां प्रवेश नहीं करतीं. सनातन धर्म में पूजा के समय दीपक लगाना अनिवार्य बताया जाता है. आमतौर पर विषम संख्या में ही दीप जलाये जाते हैं. दीपों की यह संख्या विभिन्न देवी-देवताओं की पूजा के नियमानुसार एक, तीन, पांच अथवा सात मुखी दीपक प्रज्वलित कर पूजा किया जाता है. ये दीपक शुद्ध घी, तिल अथवा सरसों तेल से प्रज्वलित किये जाते हैं. कहते हैं कि सुख एवं समृद्धि के लिए माँ लक्ष्मी के सामने शुद्ध घी का दीप जलाते हैं, जबकि तामसिक अथवा तांत्रिक पूजा पाठ के लिए सरसों के तेल का दीया जलाया जाता है. तिल का तेल सबसे शुद्ध माना जाता है, तो किसी भी देवी-देवता के सामने तिल के तेल का दीया जलाया जा सकता है.
दीप प्रज्वलन के वैज्ञानिक तर्क
गाय के दूध से बने शुद्ध घी में रोगाणुओं को नष्ट करने की क्षमता होती है. घी में मौजूद मैग्नीशियम वायु में मौजूद सल्फर एवं कार्बन के ऑक्साइड के साथ क्रिया कर सल्फेट और कार्बोनेट बनाता है. इससे विषैले एवं भारी तत्व जमीन पर गिरते हैं. इसीलिए जले हुए दीप के आसपास सफेद राख जैसा पदार्थ नजर आता है, भारी और प्रदूषित तत्व के जमीन पर गिरने से वायु हल्की और प्रदूषण मुक्त हो जाती है, जिसमें सांस लेना आसान हो जाता है. इस तरह अग्नि के माध्यम से घी का फैलना वातावरण को शुद्ध करता है. चिकित्सकों के अनुसार वातावरण साफ और खुशनुमा रहने से इम्यून सिस्टम बेहतर रहता है और व्यक्ति निरोगी रहता है.