Diwali 2022: विधि-विधान से करें गणेश-लक्ष्मी की पूजा? अल्पकालिक शुभ मुहूर्त को देखते हुए पहले से रखें पूजा सामग्री तैयार! देखें पूरी सूची

हिंदी पंचांग के अनुसार दीपावली महापर्व कार्तिक मास अमावस्या (कृष्ण पक्ष) के दिन मनाया जाता है. इस दिन माँ लक्ष्मी के साथ भगवान श्रीगणेश, देवी सरस्वती एवं महाकाली की पूजा होती है. पूजा से पूर्व घर के बाहर एवं घर के मंदिर के पास रंगोली सजाई जाती है, दरवाजे पर आम्र पल्लव एवं गेंदे के पुष्प का तोरण बनाकर दरवाजे पर लगाते हैं.

कोजागरी लक्ष्मी पूजा 2022 (Photo Credits: File Image)

हिंदी पंचांग के अनुसार दीपावली महापर्व कार्तिक मास अमावस्या (कृष्ण पक्ष) के दिन मनाया जाता है. इस दिन माँ लक्ष्मी के साथ भगवान श्रीगणेश, देवी सरस्वती एवं महाकाली की पूजा होती है. पूजा से पूर्व घर के बाहर एवं घर के मंदिर के पास रंगोली सजाई जाती है, दरवाजे पर आम्र पल्लव एवं गेंदे के पुष्प का तोरण बनाकर दरवाजे पर लगाते हैं. बहुत-सी जगहों पर मुख्य द्वार से पूजा स्थल तक सिंदूर से आगे बढ़ते चरण चिह्न बनाकर दर्शाया जाता है कि माँ लक्ष्मी आप सादर आमंत्रित हैं. इसके अलावा पूरे घर को फूलों और बिजली के झालरों से सजाया जाता है. लक्ष्मी पूजा के पश्चात भक्त माँ लक्ष्मी के आगमन की प्रतीक्षा में पूरी रात दरवाजे खुला रखते हैं. इस वर्ष 24 अक्टूबर 2022, सोमवार के दिन लक्ष्मी पूजा सम्पन्न होगी. इस रात लक्ष्मीजी के साथ गणेश जी की पूजा पूरे विधि-विधान से की जाती है. इस बार चूंकि पूजा के लिए शुभ मुहूर्त काफी कम समय मिल रहा है, लिहाजा बहुत जरूरी है कि पूजा मंडप पर सपरिवार बैठने से पूर्व पूजा संबंधित सारी सामग्री आपके पास उपलब्ध होनी चाहिए. यहां सबसे पहले जानेंगे पूजा का शुभ मुहूर्त की समय अवधि क्या है, और इसके बाद पूजा संबंधित सारी सामग्री की सूची देखें. यह भी पढ़ें : Diwali 2022: माँ लक्ष्मी के स्वागत के लिए ऐसे करें तैयारी! जानें घर के कौन-कौन से हिस्से उनके प्रवास के लिए होते हैं महत्वपूर्ण?

लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त

लक्ष्मी-पूजन शुभ मुहूर्त 06.54 PM से 08.16 PM तक कुल अवधि (1 घंटा 21 मिनट)

प्रदोष कालः 05.43 PM से 08.16 PM तक

वृषभ कालः 06.55 PM से 08.51 PM

दीवाली महानिशीथ पूजा काल

लक्ष्मी पूजाः 11.40 PM से 12.31 AM

लक्ष्मी पूजा के लिए आवश्यक सामग्री

चांदी, सोने के सिक्के, कॉइंस कौड़ी,

एक लकड़ी की चौकी, इस पर बिछाने के लिए लाल या पीला वस्त्र, ओढ़ने के लिए दो चुनरी

गणेश एवं लक्ष्मी जी की प्रतिमा (मिट्टी की)

सिंदूर, कुमकुम, चंदन, हल्दी, रोली, दूर्वा (गणेशजी के लिए) तुलसी दल (लक्ष्मीजी के लिए)

सुपारी, इत्र. जटा वाला नारियल, खड़ा गेहूं एक मुट्ठी,

धूप बत्ती, कपूर, पांच बड़े मिट्टी के दीये, छोटे दीये कम से कम 11, शुद्ध घी, सरसों तेल, मोमबत्ती, कपास की बत्ती, जनेऊ, कपूर, कलाई नारा,

प्रसाद के लिए पंचामृत, बतासा, खोये की मिठाई, मौसमी फल, खील, लाई, रेवड़ी, गट्टे, गंगाजल

गुलाब के फूल का हार, गेंदा फूल, कमल का फूल

गंगाजल, कलश (पीतल अथवा मिट्टी का),

आम के पत्ते, अशोक के पत्ते, पान के पत्ते, एक लघु झाड़ू, पीतल की घंटी, बैठने का आसन

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