Dhanteras Special: दक्षिण भारत के धन्वंतरि मंदिर, जहां आरोग्य होने की कामना लेकर दूर-दूर से आते हैं भक्त
विष्णु भगवान के रूप भगवान धन्वंतरि को आयुर्वेद का जनक माना जाता है. भगवान धन्वंतरि रोगों से मुक्ति दिलाने के लिए जाने जाते हैं, क्योंकि समुंद्र मंथन के समय के वह हाथ में अमृत कलश और जड़ी-बूटियां के साथ अवतरित हुए थे. दक्षिण भारत में भगवान धन्वंतरि को समर्पित कई मंदिर हैं, जहां धनतेरस पर दूर-दूर से भक्त अपनी मन्नत लेकर आते हैं.
नई दिल्ली, 9 अक्टूबर : विष्णु भगवान (Lord Vishnu) के रूप भगवान धन्वंतरि को आयुर्वेद का जनक माना जाता है. भगवान धन्वंतरि (Lord Dhanvantari) रोगों से मुक्ति दिलाने के लिए जाने जाते हैं, क्योंकि समुंद्र मंथन के समय के वह हाथ में अमृत कलश और जड़ी-बूटियां के साथ अवतरित हुए थे. दक्षिण भारत में भगवान धन्वंतरि को समर्पित कई मंदिर हैं, जहां धनतेरस पर दूर-दूर से भक्त अपनी मन्नत लेकर आते हैं. धनतेरस त्योहार पर भगवान धन्वंतरि की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है और आरोग्य होने का वरदान लिया जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि भगवान धन्वंतरि के सबसे ज्यादा मंदिर दक्षिण भारत में हैं? यहां धनतेरस के दिन भक्त अपने रोगों से मुक्ति पाने के लिए आते हैं.
आंध्र प्रदेश के तिरुमला में धन्वंतरि मंदिर है, जिसे अपनी सकारात्मक ऊर्जा और रोगों से मुक्ति पाने के लिए जाना जाता है. मान्यता है कि यहां विशेष पूजा-अर्चना करने से आध्यात्मिक ऊर्जा बढ़ती है और धन-धान्य का आशीर्वाद भी मिलता है. यहां हर साल धन्वंतरि होमम होता है, जो वहां के पुजारी करते हैं. ये होमम पूरे देश के कल्याण और महामारी से बचाने के लिए होता है. तमिलनाडु के चेन्नई में प्राचीन श्री धन्वंतरि आरोग्य पीठम मंदिर है, जहां आयुर्वेदिक पूजा का महत्व बहुत ज्यादा है. दूर-दूर से भक्त यहां आकर अपनी बीमारियों से छुटकारा पाने के लिए भगवान धन्वंतरि को जड़ी-बूटी अर्पित करते हैं. धनतेरस के मौके पर यहां मंदिर में खास पूजा रखी जाती है और मंदिर को फूलों से सजा दिया जाता है. यह भी पढ़ें : Benefits of Moong Dal: मूंग दाल हर उम्र के लिए फायदेमंद, दिल-दिमाग को स्वस्थ और त्वचा पर लाती है चमक
केरल के वैद्यनाथपुर जिले के त्रिशूर में भी भगवान धन्वंतरि का मंदिर है, जो अपने आप में अनूठा है. इस मंदिर को अपनी पारंपरिक आयुर्वेदिक विरासत के लिए जाना जाता है. माना जाता है कि धनतेरस के दिन अगर मंदिर में बैठकर पूजा और जाप किया जाए तो सभी रोगों से मुक्ति मिलती है और भक्त को लंबी आयु भी मिलती है. यहां भगवान धन्वंतरि पर खास तौर पर घी और तुलसी के पत्ते अर्पित किए जाते हैं और प्रसाद के तौर पर भी उन्हें खाया जाता है. वहां खास तरह का प्रसाद मुक्कुडी बनता है. केरल के थोट्टुवा में भी भगवान धन्वंतरि का मंदिर है. माना जाता है कि इस मंदिर में खुद भगवान धन्वंतरि विराजते हैं और यहां की गई पूजा फलदायी होती है.
धनतेरस के मौके पर भक्त लंबी-लंबी लाइनों में लगकर भगवान के दर्शन करते हैं और प्रसाद स्वरूप प्राकृतिक चीजें अर्पित करते हैं. भक्त यहां अपने परिवार के लिए अनुष्ठान भी कराते हैं. तमिलनाडु का रंगनाथस्वामी मंदिर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी का मंदिर है, लेकिन धनतेरस पर यहां धन्वंतरि भगवान की विशेष पूजा-अर्चना होती है और जड़ी-बूटियों से बना प्रसाद अर्पित किया जाता है.