Dev Diwali 2024: कब, कहां और क्यों मनाई जाती है देव दिवाली? जानें शुभ मुहूर्त, तिथि, अनुष्ठान एवं इस परंपरागत महोत्सव के बारे में!

देव दिवाली सनातन धर्म का महत्वपूर्ण पर्व है. यह पर्व कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार देव दिवाली का पर्व भगवान शिव द्वारा त्रिपुरासुर के संहार के पश्चात उनके विजय के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है. इसलिए इस पर्व को दिवाली उत्सव, त्रिपुरोत्सव अथवा त्रिपुरारी पूर्णिमा आदि के नाम से भी मनाया जाता है.

Dev Diwali 2024

देव दिवाली सनातन धर्म का महत्वपूर्ण पर्व है. यह पर्व कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार देव दिवाली का पर्व भगवान शिव द्वारा त्रिपुरासुर के संहार के पश्चात उनके विजय के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है. इसलिए इस पर्व को दिवाली उत्सव, त्रिपुरोत्सव अथवा त्रिपुरारी पूर्णिमा आदि के नाम से भी मनाया जाता है. इस पर्व का मुख्य आयोजन दुनिया के सबसे प्राचीन नगरी काशी (अब वाराणसी) में किया जाता है. इस अवसर पर संपूर्ण काशी को दुल्हन की तरह सजाया जाता है. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस वर्ष देव दिवाली का पर्व 15 नवंबर 2024, शुक्रवार को मनाया जाएगा.

देव दिवाली मूल तिथि एवं मुहूर्त

कार्तिक पूर्णिमा प्रारंभः 06.19 AM (15 नवंबर 2024, शुक्रवार)

कार्तिक पूर्णिमा प्रारंभः 02.58 AM (16 नवंबर 2024, शनिवार)

देव दिवाली की पूजा प्रदोष काल में होती है, इसलिए इस वर्ष यह पर्व 15 नवंबर 2024 को मनाया जाएगा.

पूजा मुहूर्तः 05.10 PM से 07.47 PM तक है.

देव दिवाली का महत्व

देव दिवाली मूलतः बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है. ऐसी भी मान्यता है कि देव दिवाली के दिन सारे देवतागण भी बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाने काशी के गंगा तट पर अवतरित होते हैं. भगवान शिव, माता पार्वती समेत स्वर्ग के सभी देवताओं के सम्मान में पृथ्वीवासी वाराणसी स्थित गंगा नदी के सभी 88 घाटों एवं मंदिरों में लाखों दीये प्रज्वलित करते हैं. संपूर्ण काशी नगरी में घंटा, घड़ियाल एवं शंख की सुमधुर ध्वनि झंकृत होती है, जो इस उत्सव को चार चांद लगाते हैं. यह भी पढ़ें : Aaj 5 November 2024 Ka Panchang: जानें आज के पंचांग में शुभ-अशुभ, राहु काल एवं सूर्य-चंद्र, ग्रह-नक्षत्रों आदि की स्थिति!

देव दिवाली पर पूजा-अनुष्ठान की विधि

देव दिवाली पर सूर्योदय से पूर्व उठकर गंगा अथवा किसी अन्य पवित्र नदी में स्नान कर उगते सूर्य को अर्घ्य दें. अगर नदी सुलभ नहीं हो तो स्नान के जल में कुछ बूंद गंगाजल की मिलाकर स्नान कर सकते हैं. घर के मंदिर की सफाई कर सभी देवी-देवताओं पर गंगाजल छिड़ककर प्रतीकात्मक स्नान कराएं. धूप-दीप प्रज्वलित करें. देवी-देवताओं को रोली का तिलक लगाएं. पुष्प अर्पित करें. विष्णु अष्टाक्षर मंत्र ‘ॐ नमो नारायणाय’ का 108 जाप करें. भगवान को भोग में मिष्ठान एवं फल अर्पित करें. अंत में विष्णु जी की आरती उतारें, और प्रसाद का वितरण करें.

संध्या काल में घर के मंदिर में 7 घी के दीपक जलाएं. इसके पश्चात सभी देवी-देवताओं के नाम से गंगा जी में दीप-दान करें. ऐसा करने से सभी सभी देवी-देवताओं के आशीर्वाद से सारे संकट टलते हैं. गंगाजी में दीप दान करने वाले जातक के घर-परिवार में पूरे साल खुशहाली बनी रहती है.

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