केरल: तिरुअनंतपुरम के पद्मनाभस्वामी मंदिर में छुपा है करोड़ों का खजाना, जानिए इससे जुड़ी प्राचीन कथा
पद्मनाभस्वामी मंदिर, केरल, (फोटो क्रेडिट्स: Wikimedia Commons)

केरल: भारत देश अपनी संस्कृति और पौराणिक मंदिरों के लिए जाना जाता है. प्राचीन किलों और मंदिरों में कई राज दफन हैं. भारत में ऐसे कई प्राचीन मंदिर खंडहर बने हुए हैं, जहां कई राज दफ़न हैं और किसी की इन्हें जानने की हिम्मत नहीं हुई. लेकिन आर्कियोलॉजिस्ट डिपार्टमेंट के ढूंढने पर कई मंदिरों से खजाने मिले, उन्ही मंदिरों में से एक है केरल का पद्मनाभस्वामी मंदिर. ये भगवान विष्णु का प्रसिद्ध मंदिर है. 1733 में इस मंदिर का निर्माण त्रावणकोर के महाराजा मार्तण्ड ने करवाया था. उन्होंने अपने आपको ‘पद्मनाभ दास’ यानी भगवान विष्णु का दास बना लिया था. इसके साथ ही उन्होंने ने अपना जीवन और संपत्ति सौंप भगवान विष्णु को सौंप दी थी, बता दें कि 1947 तक त्रावणकोर के राजाओं ने इस राज्‍य में राज किया था. फिलहाल इस मंदिर की देख-रेख का कार्य एक प्राइवेट ट्रस्ट संभाल रहा है. एक पौराणिक कथा अनुसार सबसे पहले इस स्थान से भगवान विष्णु की प्रतिमा प्राप्त हुई थी, जिसके बाद उस स्थान पर मंदिर का निर्माण किया गया.

भारत के मंदिर चमत्कारों और अपनी शैली के लिए प्रसिद्ध हैं, लेकिन पद्मनाभस्वामी मंदिर अपनी विशाल संपत्ति के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है. साल 2011 में पुरातत्त्व विभाग को इस मंदिर के गुप्त तहखाने से करीब दो लाख करोड़ की संपत्ति मिली. मंदिर में कई तहखाने हैं, जिन्हें अब तक खोला नहीं गया है. मंदिर के पुजारियों का कहना है कि छठे तहखाने में बहुत सारे किंग कोबरा सांप हैं, अगर इन्हें खोला गया तो बहुत बड़ी प्राकृतिक आपदा आ सकती है.

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सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर के तहखाने को खोलने पर रोक लगाई है. सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि,'ये संपत्ति मंदिर की है और इसलिए उसके साथ छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए. बता दें कि पद्मनाभस्वामी विश्वप्रसिद्ध मंदिरों में से एक है. मंदिर में प्रवेश के लिए पुरुषों को धोती तथा स्त्रियों को साड़ी पहनना अनिवार्य है. इस मन्दिर में सिर्फ हिन्दुओं को ही प्रवेश मिलता है.