Chopda Pujan 2024 Date & Muhurat: कब है चोपड़ पूजा? जानें इसका शुभ मुहूर्त एवं महत्व!
गुजराती समुदाय दुनिया भर में अपने व्यवसायी सूझ-बूझ के लिए जाना जाता है, और उनकी यह सूझबूझ पीढ़ी-दर-पीढ़ी हस्तांतरित होती रहती है. कारपोरेट घरानों के निरंतर पांव पसारने के बावजूद इस आधुनिक भारत में भी यह समुदाय भारतीय परंपराओं का निर्वाह करते हुए अपने व्यवसाय को आगे बढ़ाने के लिए प्रयासरत रहते हैं.
गुजराती समुदाय दुनिया भर में अपने व्यवसायी सूझ-बूझ के लिए जाना जाता है, और उनकी यह सूझबूझ पीढ़ी-दर-पीढ़ी हस्तांतरित होती रहती है. कारपोरेट घरानों के निरंतर पांव पसारने के बावजूद इस आधुनिक भारत में भी यह समुदाय भारतीय परंपराओं का निर्वाह करते हुए अपने व्यवसाय को आगे बढ़ाने के लिए प्रयासरत रहते हैं. इनकी सफलता की एक वजह यह है कि ये परंपरागत तौर पर अपने महत्वपूर्ण व्यावसायिक कार्यों की योजना शुभ मुहूर्त के अनुरूप अंजाम देते हैं. चौपड़ पूजा इसी परंपरा का एक हिस्सा होता है, जिसे दिवाली पर व्यवसायी वर्ग देवी-देवता की पूजा-अनुष्ठान कर व्यवसाय में पूरे साल लाभ की कामना करते हैं.
क्या है चोपड़ पूजा?
गुजरात में दिवाली पर लक्ष्मी-पूजा को चोपड़-पूजा भी कहते हैं. शास्त्र अनुसार इस दिन श्री गणेश, भगवती लक्ष्मी और मां शारदा की पूजा होती है. इसी दिन नये बही-खातों की पूजा भी होती है. गुजरात में बही-खातों को चोपड़ कहते हैं. वर्तमान में कम्प्यूटर और इंटरनेट के विस्तार एवं उन्नत लेखांकन सॉफ्टवेयर के कारण पारंपरिक बहीखाता या चोपड़ का उपयोग सिमट गया है, लेकिन दिवाली पर चोपड़-पूजा का महत्व बरकरार है. फर्क इतना है कि व्यापारी चोपड़-पूजा बही-खातों की जगह लैपटॉप रखने लगे हैं. इसकी पूजा उसी परंपरागत तरीके होती है. व्यवसायी लैपटॉप पर स्वास्तिक, ‘ॐ एवं शुभ-लाभ’ बनाते हैं. गुजरात में चौघड़िया मुहूर्त प्रचलित है. चोपड़-पूजा के लिए उपयुक्त माना जाता है. अतः दिवाली के दिन शुभ चौघड़िया मुहूर्त को माना जाता है. चोपड़-पूजा के लिए अमृत, शुभ, लाभ एवं चर ये चार चौघड़िया मुहूर्त सबसे शुभ होते हैं. चौघड़िया मुहूर्त दिन-रात की उपलब्धता इसे अनुकूल बनाती है.
दिवाली चोपड़ पूजा के लिए शुभ मुहूर्त एवं चौघड़िया मुहूर्त
पूजा तिथिः 01 नवंबर, 2024 (शुक्रवार)
चोपड़ा पूजन की सफलता काफी हद तक शुभ मुहूर्त में अनुष्ठान करने पर निर्भर करती है. मान्यता है कि इस शुभ अवधि के दौरान पूजा करने से आध्यात्मिक और भौतिक लाभ बढ़ जाते हैं. हिंदू परंपरा में, पूजा को अक्सर प्रदोष काल और स्थिर लग्न के साथ जोड़ा जाता है, क्योंकि यह देवी लक्ष्मी की पूजा करने और वित्तीय वृद्धि और स्थिरता के लिए अनुष्ठान करने का सबसे अच्छा समय माना जाता है.
प्रातःकाल मुहूर्त (चर, लाभ, अमृत) – 06.33 AM से 10.42 AM
अपराह्न मुहूर्त (चर) - 04:13 PM से 05.36 PM
अपराह्न मुहूर्त (शुभ) – 12.04 PM से 01.27 PM
अमावस्या प्रारंभः 03.52 PM (31 अक्टूबर 2024)
अमावस्या समाप्तः 06.16 PM (01 नवंबर 2024)
चोपड़-पूजन महत्व!
इस दिन, व्यवसायी अपने खाता बहियों की पूजा करते हैं. व्यवसायी इस दिन से अपने बहियों में नए खाते लिखना शुरू करते हैं. चोपड-पूजन केवल खाता-बही पर नहीं, बल्कि आध्यात्मिक बही पर भी किया जाता है. चोपड़-पूजन के दौरान, व्यापारिक समुदाय द्वारा नई खाता-बही खोले जाते हैं, जिसके बाद उनका आशीर्वाद लेने के लिए भगवान गणेश और देवी लक्ष्मी की मूर्तियों के सामने विशेष प्रार्थना की जाती है.
चोपड़ा-पूजन से स्थापित होता है कि आने वाला वर्ष फलदायी होगा और पूरे विश्व में सुख-शांति रहेगी. राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र में दिवाली एक नए व्यवसाय वर्ष की शुरुआत का प्रतीक है. इसके साथ ही पिछले सारे व्यावसायिक खाते बंद कर भगवान श्रीगणेश एवं देवी लक्ष्मी को समर्पित कर दिया जाता है