Chewing Gum: कितनी देर तक चबानी चाहिए च्युइंग गम? साइंस ने खोजा टाइमिंग का फॉर्मूला!
च्युइंग गम कइयों के लिए टाइम पास है, तो कुछ इसे माउथ फ्रेशनर के तौर पर यूज करते हैं. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि च्युइंग गम कितनी देर तक चबाना सही होता है? नीदरलैंड्स की 'यूनिवर्सिटी ऑफ ग्रॉनिंगन' के कुछ शोधार्थियों ने कुछ साल पहले एक रोचक रिसर्च की.
नई दिल्ली, 20 सितंबर : च्युइंग गम (Chewing Gum) कइयों के लिए टाइम पास है, तो कुछ इसे माउथ फ्रेशनर के तौर पर यूज करते हैं. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि च्युइंग गम कितनी देर तक चबाना सही होता है? नीदरलैंड्स की 'यूनिवर्सिटी ऑफ ग्रॉनिंगन' के कुछ शोधार्थियों ने कुछ साल पहले एक रोचक रिसर्च की. टीम ने पाया कि च्युइंग गम सिर्फ मुंह का स्वाद बदलने या बोरियत भगाने की चीज नहीं, बल्कि मुंह की सफाई में भी मददगार हो सकती है, बशर्ते टाइमिंग का ख्याल रखा जाए यानी इसे सही समय तक चबाया जाए.
इस अध्ययन में 5 अलग-अलग ब्रांड्स की गम्स को 10 मिनट और 30 मिनट तक चबाकर जांचा गया. पता चला कि 10 मिनट तक चबाने से मुंह से करीब 100 मिलियन बैक्टीरिया बाहर निकल जाते हैं! लेकिन चौंकाने वाली बात ये थी कि 30 मिनट के बाद चबाने पर इसका असर कम होने लगा. चलिए जानते हैं कि आखिर जब आप च्युइंग गम चबाते हैं तो होता क्या है? तो वैज्ञानिकों के मुताबिक स्लाइवा या लार का प्रवाह बढ़ता है जो गम में मिलकर बैक्टीरिया और डेड सेल्स को सोख लेता है. शुरुआत में जब गम सबसे ज्यादा एक्टिव होता है तो स्पंज की तरह बैक्टीरिया खींचता है, लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता है गम की बैक्टीरिया पकड़ने की ताकत घटने लगती है. इसलिए 10 मिनट तक चबाना मुंह के लिए अच्छा होता है. यह भी पढ़ें : नट्स और सीड्स में छिपा विटामिन B3 कर सकता है स्किन कैंसर से बचाव, स्टडी का बड़ा खुलासा
एक और स्टडी है 'अमेरिकन डेंटल एसोसिएशन' की. जो कहती है कि शुगर फ्री च्युइंग गम को 20 मिनट तक चबाना चाहिए और ये दांतों को साफ रखने में मदद करता है. लेकिन अकसर देखा जाता है कि स्वाद या 'बस यूं ही' चबाने वाले समय का ध्यान ही नहीं रखते और देर तक गम चबाते हैं. ये जबड़ों पर जोर डाल सकता है, खासकर अगर टीएमजे यानी 'जॉ ज्वाइंट' समस्या हो तो. दोनों स्टडी का लबोलुआब ये है कि किसी भी च्युइंग गम को चबाने का सही समय 10 से 20 मिनट के बीच का होता है. इससे माउथ हाइजीन, लार प्रवाह और सांस की ताजगी बनी रहती है. और अगर समय की इस पाबंदी को दरकिनार किया तो तय है कि ये बेअसर होगा और कुछ मामलों में तो जबड़ों को नुकसान भी पहुंचा सकता है.