Chanakya Niti: ऐसे लोगों की मेजबानी करना, आपके भविष्य, आपकी इमेज को तार-तार कर सकता है!
चाणक्य नीति का अध्ययन करके आम आदमी जीवन में सफलता-असफलता, गलत-सही, नीति-अनीति, नैतिक-अनैतिक, धर्म-अधर्म अथवा ज्ञान एवं मूर्खता की पहचान करने में सक्षम हो सकता है. आचार्य के अनुसार जो व्यक्ति उपरोक्त बातों का पारखी होता है, वह कभी मुश्किलों में नहीं पड़ता.
चाणक्य नीति का अध्ययन करके आम आदमी जीवन में सफलता-असफलता, गलत-सही, नीति-अनीति, नैतिक-अनैतिक, धर्म-अधर्म अथवा ज्ञान एवं मूर्खता की पहचान करने में सक्षम हो सकता है. आचार्य के अनुसार जो व्यक्ति उपरोक्त बातों का पारखी होता है, वह कभी मुश्किलों में नहीं पड़ता. वह ऐसे लोगों से शुरू से ही दूरी बनाकर रखता है, ताकि गाहे-बगाहे, वह व्यक्ति उसके लिए मुसीबत न बने. लेकिन कभी-कभी सहज स्वभाव के लोग चाह कर भी अव्यवहारिक नहीं हो पाते. वे ऐसे लोगों को अपने समारोह आदि में आमंत्रित कर ही लेते हैं, जिसके कारण बाद में उसे पछताना पड़ता है. आइये, यहां चाणक्य इसी संदर्भ में कुछ टिप्स बता रहे हैं, जो आपको संभावित दुर्घटना से बचा सकते हैं.
जिसे वेदों का ज्ञान न होः चाणक्य के अनुसार जिस व्यक्ति को वेदों का ज्ञान न हो उससे मित्रता नहीं करनी चाहिए. वेद ज्ञान और जीवन मूल्यों का भंडार हैं. व्यक्ति को वेदों पर विश्वास करना चाहिए और पवित्र ग्रंथों का ज्ञान रखना चाहिए. अज्ञानी लोगों से मित्रता बाद में कष्टदायक साबित हो सकती है. यह भी पढ़ें : Chanakya Neeti: जिसने रति-क्रिया का सुख नहीं भोगा! उसका ना इस लोक में भला, ना परलोक में! जानें चाणक्य ने ऐसा क्यों कहा?
बुरी प्रवृत्ति वाले छोटा या बड़ा गुनाह करने का अवसर नहीं चूकते? कुछ लोग ऐसे होते हैं, जो भरोसेमंद नहीं होते, वे असभ्य और दुष्ट प्रकृति के होते हैं, मौका मिलने पर पीठ पर छूरा घोंपने से नहीं चूकते, मौका मिलता है तो छोटी-मोटी चोरियां भी करते हैं. ऐसे लोगों को अपने समारोहों, घरों आदि में आमंत्रित नहीं करना चाहिए, ये लोग आपके लिए घातक साबित हो सकते हैं.
ना कहना सीखेः ‘हां’ कहने की आदत में हम ‘ना’ कहने का साहस नहीं कर पाते हैं. चाणक्य नीति के अनुसार हमारे जीवन में ऐसे बहुत से लोग हैं, जो हमें एक आंख नहीं भाते, लेकिन जब हम कोई समारोह करते हैं, तो ना-ना कहते हुए भी उन लोगों को इनवाइट कर लेते हैं. ये लोग आपके समारोह की तो धज्जियां उड़ाते हैं, आपकी प्रतिष्ठा को भी मिट्टी में मिलाने से नहीं चूकते. ऐसे लोगों से बचें.
असली-नकली पहचानेः बहुत से लोग हैं, जो अपना असली चेहरा छिपाते हैं और नकली चेहरा दिखाकर लोगों को मूर्ख बनाते हैं. चाणक्य की एक नीति के अनुसार कुछ धूर्त खुद को बहुत बड़ा ईमानदार बताकर पीठ पीछे षड़यंत्र रचते हैं, बुराई करते हैं. ऐसे लोगों को किसी भी आयोजन पर आमंत्रित करने से बचना चाहिए, वरना ये लोग आपके लिए खतरा साबित हो सकते हैं.
बुरे लोग बुरे ही होते हैः कहते हैं आदमी अपनी आदत से बाज नहीं आता. जो आक्रामक होते हैं, अथवा बददिमाग होते हैं, वह कहीं भी अपनी बुराई का प्रदर्शन करने का मौका नहीं छोड़ते. आचार्य की नीति के अनुसार दोस्ती उन्हीं से करिये, जिसके भाव-व्यवहार को आप जानते समझते हैं. बदमिजाज लोगों की मेजबानी से बचने की कोशिश करें, इनकी उपस्थिति आपके लिए घातक साबित हो सकती है.