Chanakya Neeti: पत्नी की चरित्रहीनता, धन की चोरी या अपमानित होने पर भी शांत रहने का सुझाव क्यों दिया चाणक्य ने

भारतीय इतिहास के पन्नों में दर्ज आचार्य चाणक्य अपनी कूटनीति., राजनीति एवं अर्थनीति से ही नहीं बल्कि तमाम विशेषताओं के लिए पूरी दुनिया में सराहे जाते हैं. यहां हम बात करेंगे उनकी सैकड़ों साल पूर्व रचित नीतियों की, जो आज भी सामयिक ही लगती है...

चाणक्य नीति (Photo Credits: File Image)

Chanakya Neeti: भारतीय इतिहास के पन्नों में दर्ज आचार्य चाणक्य अपनी कूटनीति., राजनीति एवं अर्थनीति से ही नहीं बल्कि तमाम विशेषताओं के लिए पूरी दुनिया में सराहे जाते हैं. यहां हम बात करेंगे उनकी सैकड़ों साल पूर्व रचित नीतियों की, जो आज भी सामयिक ही लगती है. उन्हीं नीतियों की एक कड़ी की बात हम इस श्लोक और उसके भावार्थ के साथ करने जा रहे हैं. विषय है अगर पत्नी पर किसी तरह का लांछन लगाया जा रहा है तो पति को क्या उस विषय की चर्चा किसी से करनी चाहिए? आइये जानते हैं...यह भी पढ़ें: Chanakya Niti: विपत्ति के समय धन महत्वपूर्ण है या पत्नी? जानें क्या कहती है चाणक्य नीति?

अर्थनाशं मनस्तापं गृहे दुश्चरितानि च ।

वञ्चनं चापमानं च मतिमान्न प्रकाशयेत् ॥

अर्थात

धन के नष्ट होने अथवा खो हो जाने पर, मन में किसी बात का दुखः होने पर, पत्नी के चाल-चलन की जानकारी मिलने पर, नीच यानी बुरे व्यक्ति से कुछ घटिया बातें सुनने पर तथा कहीं से खुद को अपमानित किये जाने पर अपने मन में घुमड़ रही बातों अथवा शिकवा-शिकायतों को किसी दूसरे व्यक्ति से चर्चा नहीं करनी चाहिए.

1- दौलत अथवा पैसा खोने पर!

आचार्य चाणक्य के अनुसार अगर व्यवसाय, नौकरी अथवा लेन-देन इत्यादि में किसी तरह का नुकसान हो जाए अथवा पैसों की चोरी हो जाये तो ऐसी बात किसी से भी शेयर नहीं करनी चाहिए, चाहे वह कितना भी करीबी इंसान क्यों न हो. हालांकि यह स्वाभाविक है कि व्यक्ति को धनहानि मानसिक पीड़ा तो होती है, वह विपन्नता का अनुभव भी करता है.

2- किसी बात से दुःखी होने पर

आप किसी बात पर बहुत दुःखी हैं, या किसी काम में आपका मन नहीं लग रहा है तो अपनी इस स्थिति के बारे भी किसी से कोई चर्चा नहीं करनी चाहिए. वरना इसमें आपको और नुकसान हो सकता है.

3- पत्नी के बुरे चरित्र की बात

आचार्य चाणक्य ने पत्नी के बारे में भी बहुत सारी महत्वपूर्ण बातें लिखी है. यहां उनका कहना है कि किसी को अगर अपनी पत्नी के चरित्र के संदर्भ में कोई शिकायत अथवा उसकी बुरी आदत सुनता है, अथवा उसे अपनी पत्नी की किसी बुरी आदत के बारे में पता चलता है तो ये बात किसी भी व्यक्ति से शेयर नहीं करना चाहिए. उसे किसी भी हालत में इस मानसिक व्यथा को सह लेना ही समझदारी है.

4- किसी के द्वारा अपमानित किये जाने पर

चाणक्य ने यहां यह भी कहना चाहा है कि किसी से पराजित होने, कहीं से अपमानित होने अथवा कोई नीच या मुर्ख व्यक्ति आपको गलत बात, या आपके लिए किसी और से गलत भाषा का इस्तेमाल कर दे तो इसकी चर्चा भी किसी दूसरे से नहीं करनी चाहिए. यानी खामोशी से एक कान से सुनकर दूसरी कान से निकाल देना चाहिए, क्योंकि जो इन बातों को किसी के सामने प्रकट करता है, अपमान के साथ-साथ लोग उसकी हंसी भी उड़ाते हैं, इसलिए इस अपमान को विष समझ कर पी लेना ही समझदारी है.

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