Psoriasis के लिए बायोलॉजिकल थेरेपी हृदय रोग को कम कर सकती है, अध्ययन से हुआ खुलासा
प्रतीकात्मक तस्वीर Photo Credits: Pixabay)

नए शोध के अनुसार, सोरायसिस (Psoriasis) के मरीजों का इलाज बायोलॉजिकल थेरेपी से किया जाता है, जो सूजन (inflammation) को कम करने के लिए प्रोटीन आधारित इन्फ्यूजन होता है. ये दिल की धमनियों में एक साल से जमे प्लाक को हटाने में मदद करता है. 15 सितंबर को कार्डियोवस्कुलर इमेजिंग एक अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन जर्नल में प्रकाशित अध्यन के अनुसार  सोरायसिस (psoriasis) वाले लोगों में कोरोनरी धमनी (coronary artery ) में सूजन के जोखिम बढ़ जाते हैं. जैविक चिकित्सा दवाएं (Biologic therapy medications) प्रोटीन हैं जो इंजेक्शन या इन्फ्यूजन द्वारा दी जाती हैं और साइटोकिन्स (cytokines) के एक्शन को ब्लॉक कर सूजन को कम करती है. यह भी पढ़ें: दिल की बीमारी वाले ध्यान दें: ये बैक्टीरिया आपके लिए बन सकता है वरदान

पिछले शोध में psoriasis और कोरोनरी में प्लाक के हाई रिस्क है, दोनों के बीच एक स्पष्ट लिंक दिखाया गया है. यह अध्ययन एक लिपिड-समृद्ध नेक्रोटिक कोर (lipid-rich necrotic core) का एक लक्षण देता है, एक खतरनाक प्रकार की कोरोनरी प्लाक जो मृत कोशिकाओं और सेल मलबे (debris) से बना होता है, जिसके फटने का खतरा होता है, इसके फटने से दिल का दौरा या स्ट्रोक हो सकता है.

डॉ. नेहाल एन मेहता, एमडी, एमएससीई, एफएएचए, एक वरिष्ठ लेखक ने अपने अध्ययन में बताया कि,'सुजन वाली प्लाक जिसके फटने का खतरा है, दस साल के भीतर दिल के दौरे के जोखिम को पांच गुना बढ़ा देता है," यह पहली बार है जब मनुष्यों में एक साल से चल रहे इमेजिंग अध्ययन से पता चला है कि, अनट्रीटेड सूजन (untreated inflammation) दिल की धमनियों की क्षति को उलट सकते हैं. अनट्रीटेड सूजन बहुत खतरनाक है. इससे हार्ट अटैक और स्ट्रोक हो सकता है, ये बात डॉक्टर मेहता ने कही.

विश्लेषण में सोरायसिस के साथ 209 मध्यम आयु वर्ग के रोगियों (37-62 वर्ष की उम्र) शामिल थे जिन्होंने राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान में सोरायसिस एथेरोस्क्लेरोसिस कार्डियोमेटाबोलिक (Psoriasis Atherosclerosis Cardiometabolic) में भाग लिया था, अध्ययन में निरंतर ओब्जेर्वेशन के बाद इन प्रतिभागियों में से 124 ने जैविक चिकित्सा (biologic therapy) प्राप्त की और 85 नियंत्रण समूह में थे, केवल सामयिक क्रीम (topical creams) और लाइट चिकित्सा (light therapy) के साथ इलाज किया गया. यह भी पढ़ें: दिल की बीमारी से अगर है बचना तो रोजाना करें कम से कम इतने पुश-अप

हृदय की धमनियों पर बायोलॉजिक थेरेपी के प्रभावों को मापने के लिए, शोधकर्ताओं ने चिकित्सा शुरू करने से पहले और एक साल बाद सभी अध्ययन प्रतिभागियों पर कार्डियक कंप्यूटेड टोमोग्राफी (सीटी) स्कैन किया. दो समूहों के बीच सीटी परिणामों की तुलना तब की गई थी.

अध्ययन की शुरुआत में सोरायसिस के प्रतिभागियों को पारंपरिक हृदय जोखिम (cardiovascular risk) स्कोर द्वारा कम हृदय जोखिम (conventional cardiovascular risk ) था और गंभीर Psoriasis उच्च शरीर द्रव्यमान सूचकांक (higher body mass index) (बीएमआई), उच्च संवेदनशीलता सी-प्रतिक्रियाशील प्रोटीन (high-sensitivity C- reactive protein) और कोरोनरी धमनी प्लाक के उच्च स्तर के साथ जुड़ा था.

एक वर्ष के उपचार के बाद, जिन रोगियों को बायोलॉजिक थेरेपी मिली, उनकी तुलना नियंत्रण समूह से की गई. शोधकर्ताओं ने पाया कि जैविक चिकित्सा कोरोनरी प्लाक में 8 प्रतिशत की कमी के साथ जुड़ी थी. इसके विपरीत, नियंत्रण समूह के लोगों ने कोरोनरी प्लाक की प्रगति को थोड़ा बढ़ाया. हृदय जोखिम के कारकों और सोरायसिस की गंभीरता के समायोजन के बाद भी जैविक चिकित्सा से उपचार किए गए रोगियों में कोरोनरी प्लाक कम हो गया था.

स्टेटिन (statins) के साथ चिकित्सा के बाद कोरोनरी प्लाक में लगभग 6-8% की कमी होती है. इसी तरह एक साल बाद एक ही राशि के द्वारा जैविक उपचार के साथ हमारे उपचार ने कोरोनरी प्लाक को कम कर दिया. इन निष्कर्षों से पता चलता है कि सोरायसिस के इलाज के लिए जैविक चिकित्सा हृदय की धमनियों पर स्टैटिन थेरेपी के समान ही लाभदायक हो सकती है, ”ऐसा डॉक्टर मेहता ने कहा.

इस अध्ययन में सोरायसिस वाले लोगों के लिए और संभवतः अन्य पुरानी सूजन स्थितियों जैसे एचआईवी, ल्यूपस और rheumatoid arthritis वाले लोगों के दिल की बीमारी का खतरा भी बढ़ जाता है.

मेहता ने कहा, "हम मनुष्यों में इस तरह की सूजन वाली प्लाक के उपचार को दिखाने में पहले कभी सक्षम नहीं रहे हैं. जैविक चिकित्सा (Biologic therapy) प्रणालीगत सूजन (systemic inflammation) और प्रतिरक्षा सक्रियण (immune activation) को कम करती है और यह vascular health के सुधार पर अनुकूल प्रभाव डालती है," कल्पना करें कि क्या हम सोरायसिस और कोरोनरी हृदय रोग दोनों का इलाज एक साथ कर सकते हैं - यह भविष्य के अध्ययन में पूछे जाने वाला प्रश्न है."

अध्ययन के निष्कर्षों की सावधानी से व्याख्या की जानी चाहिए क्योंकि यह एक छोटी अनुवर्ती अवधि (short follow-up period) और रोगियों के मुकाबले कम संख्या द्वारा सीमित थी. बेहतर ढंग से समझने के लिए रैंडमकंट्रोल अध्ययनों की आवश्यकता है कि कोरोनरी प्लाक में परिवर्तन से दिल के दौरे में कमी हो सकती है और सोरायसिस वाले लोगों में स्ट्रोक हो सकता है.