Bal Gangadhar Tilak Death Anniversary 2019: बाल गंगाधर तिलक की 99वीं पुण्यतिथि, उनके ये 10 प्रेरणादायक विचार बदल सकते हैं आपका जीवन
बाल गंगाधर तिलक (Photo Credits: Flickr)

Bal Gangadhar Tilak Death Anniversary 2019: गुलाम भारत की आजादी के लिए ब्रिटिश हुकूमत (British Government) से लोहा लेने वाले महान समाज सुधारक और स्वतंत्रता सेनानी बाल गंगाधर तिलक (Freedom Fighter Bal Gangadhar Tilak)की आज 99वीं पुण्यतिथि है. कहा जाता है कि महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन को सफल बनाने में सफल बड़ा योगदान तिलक का ही था. तिलक जी के निधन पर खुद राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कहा था कि हमने आधुनिक भारत का निर्माता खो दिया है. तिलक ही पहले ऐसे कांग्रेसी नेता थे, जिन्होंने हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में स्वीकार करने की मांग की थी. आज (1 अगस्त) को बाल गंगाधर तिलक (Bal Gangadhar Tilak Death Anniversary 2019) की 99वीं पुण्यतिथि है. उनका जन्म 23 जुलाई 1856 को महाराष्ट्र के कोंकण प्रदेश (रत्नागिरी) के चिक्कन गांव में हुआ था.

बाल गंगाधर तिलक ने ही सबसे पहले ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ आवाज उठाई थी और पूर्ण स्वराज की मांग की थी. इस दौरान उनके द्वारा कहा गया एक कथन, ‘स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा, बहुत प्रसिद्ध हुआ और आज भी प्रसिद्ध है. चलिए बाल गंगाधर तिलक की पुण्यतिथि पर जानते हैं उनके 10 प्रेरणादायक व आत्मविश्वास जगाने वाले अनमोल विचार.

लोकमान्य तिलक के 10 प्रेरणादायी विचार-

1- स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा.

2- कमजोर बनने के बजाय शक्तिशाली बनें और यह विश्वास रखें कि भगवान हमेशा आपके साथ हैं.

3- आपका लक्ष्य किसी जादू से पूरी नहीं होगा, अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आपको ही मेहनत करनी पड़ेगी.

4- आप सिर्फ अपना कर्म करते जाइए, उसके परिणामों की चिंता करना छोड़ दीजिए.

5- अगर भगवान छुआछूत को मानते हैं तो मैं उन्हें भगवान नहीं कहूंगा.

6- बड़ी उपलब्धियां कभी आसानी से नहीं मिलती और आसानी से मिलने वाली उपलब्धियां महान नहीं होतीं.

7- मुश्किल समय में खतरों और असफलताओं के डर से बचने की कोशिश मत कीजिए, ये तो निश्चित रूप से आपके रास्ते में आएंगे ही.

8- आलसी व्यक्तियों के लिए भगवान अवतार नहीं लेते, मेहनती व्यक्तियों के लिए ही वे अवतरित होते हैं, इसलिए कार्य करना शुरू करें.

9- ये सच है कि बारिश की कमी के चलते अकाल पड़ता है, लेकिन यह भी सच है कि भारत के लोगों में इस बुराई से लड़ने की शक्ति नहीं है.

10- अगर आप रुक कर हर भौंकने वाले कुत्ते पर पत्थर फेंकेंगे तो आप कभी अपनी मंजिल तक नहीं पहुंच पाएंगे. बेहतर होगा कि हाथ में बिस्किट रखें और आगे बढ़ते जाएं. यह भी पढ़ें: ‘जननायक’ बाल गंगाधर तिलकः जिसके नाम से कांपती थी ब्रिटिश हुकूमत!

बाल गंगाधर तिलक ने अंग्रेजी शासन की क्रूरता और भारतीय संस्कृति के प्रति उनकी हीन भावना की बहुत आलोचना की. उन्होंने ब्रिटिश सरकार से मांग की कि फौरन भारतीयों को पूर्ण स्वराज दे दिया जाए. तिलक ने केसरी और मराठा पत्रिकाओं के माध्यम से भारतीयों के संघर्ष और परेशानियों को दुनिया के सामने रखा. अपने लेखों के जरिए उन्होंने हर भारतीय को अपने हक के लिए लड़ने का आह्वान किया. उनके क्रांतिकारी लेखों की वजह से कई बार उन्हें जेल भी जाना पड़ा.

भारतीयों में क्रांति और पूर्ण स्वराज्य की मांग का अलख जगाने वाले तिलक 1 अगस्त 1920 को इस दुनिया को अलविदा कह गए. उनके निधन की खबर सुनकर हर कोई दुखी था और अपने प्रिय नेता की आखिरी झलक पाने के लिए मुंबई में 2 लाख से ज्यादा लोग इकट्ठा हुए थे.