Armed Forces Flag Day 2024: सशस्त्र सेना झंडा दिवस पर आइये देश के प्रहरियों के कल्याणार्थ सहयोग भावना को आगे बढ़ाएं

प्रत्येक वर्ष 7 दिसंबर को देश भर में ‘सशस्त्र सेना झंडा दिवस’ मनाया जाता है. यह दिवस भारतीय सशस्त्र बलों के प्रति सम्मान और कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए समर्पित होता है. इस दिन सभी सरकारी-गैर सरकारी विभाग, शिक्षण संस्थाएं तथा आम नागरिक व्यक्तिगत रूप से क्षमतानुसार अंशदान करके सैनिकों एवं उनके परिजनों से भावनात्मक संबंध स्थापित कर सकते हैं.

प्रत्येक वर्ष 7 दिसंबर को देश भर में ‘सशस्त्र सेना झंडा दिवस’ मनाया जाता है. यह दिवस भारतीय सशस्त्र बलों के प्रति सम्मान और कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए समर्पित होता है. इस दिन सभी सरकारी-गैर सरकारी विभाग, शिक्षण संस्थाएं तथा आम नागरिक व्यक्तिगत रूप से क्षमतानुसार अंशदान करके सैनिकों एवं उनके परिजनों से भावनात्मक संबंध स्थापित कर सकते हैं. इससे प्राप्त धनराशि का उपयोग भूतपूर्व सैनिकों, विधवाओं, वीरांगनाओं तथा उनके आश्रितों के कल्याणार्थ कार्य किया जाता है. आइये जानते हैं, 7 दिसंबर को होने वाले ‘सशस्त्र सेना झंडा दिवस’ के महत्व, इतिहास एवं इससे जुड़े कुछ रोचक तथ्यों के बारे में...

सशस्त्र सेना झंडा इतिहास

आजादी के बाद भारत सरकार ने 28 अगस्त 1949 के दिन सैनिकों और उनके परिवारों के हितों को देखते हुए देश के रक्षा मंत्री की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया, और प्रत्येक वर्ष 7 दिसंबर को ‘सशस्त्र सेना झंडा दिवस’ मनाने का फैसला लिया. झंडा दिवस के अवसर पर आम लोगों को छोटे-छोटे झंडे बांटे जाते हैं, और उनसे न्यूनतम धनराशि एकत्र किया जाता है. ‘सशस्त्र सेना झंडा दिवस’ आम जनता को संदेश देता है कि देश के लिए शहादत देने वाले सैनिकों और उनके परिवारों की मदद करना देश के नागरिकों का दायित्व है. यह भी पढ़ें : Mahaparinirvan Diwas 2024 Quotes: महापरिनिर्वाण दिवस पर डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के इन 10 महान व प्रेरणादायी विचारों को करें प्रियजनों संग शेयर

झंडा दिवस का मुख्य उद्देश्य

सशस्त्र सेना झंडा दिवस के अवसर पर धन संग्रह हेतु आम लोगों को बिल्ले, स्टीकर, झंडे एवं राष्ट्रीय प्रतीक की अन्य वस्तुएं वितरित किया जाता है. इस तरह एकत्रित धन का उपयोग सैनिकों और उनके परिवारों की मदद के लिए किया जाता है. इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य बिंदुवार नीचे उल्लिखित है.

* इस दिन थलसेना, वायुसेना, और नौसेना के लोग कुछ चुनिंदा शहरों में प्रदर्शनियां, प्ले, संगीत समारोह, उत्सव जैसे कार्यक्रमों का आयोजन करती हैं, तथा धन संग्रह करते हैं.

* युद्ध में शहीद हुए और सेवारत सैनिकों का सम्मान करना.

* सेवारत जवानों और उनके परिवारों के कल्यार्थ धन संग्रह करना.

* पूर्व सैनिकों और उनके परिजनों का कल्याण सुनिश्चित करना.

* युद्ध में घायल या विकलांग सैनिकों तथा उनके परिवार का पुनर्वास करना.

फंड प्रबंधन

* इस दिवस पर प्राप्त फंड देश के रक्षा मंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय स्तर पर और राज्य स्तर पर कार्यकारी प्रमुख द्वारा धन का प्रबंधन किया जाता है.

* राज्य एवं जिला सैनिक बोर्ड स्थानीय स्तर पर रिटायर्ड सैनिकों और उनके परिवारों के पुनर्वास और कल्याणकारी योजनाएं लागू करते हैं.

* केंद्रीय सैनिक बोर्ड के सचिव कल्याणार्थ योजनाओं की सफलता का मूल्यांकन करते हैं, और समुचित प्रबंधन में मदद करते हैं.

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