Apara Ekadashi 2024: प्रेत-योनि या ब्रह्म-हत्या का पाप मिटाने हेतु इस विधि से करें अपरा एकादशी व्रत-अनुष्ठान! जानें व्रत का महत्व, मुहर्त एवं व्रत कथा!

हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास कृष्ण पक्ष की एकादशी को अपरा एकादशी के नाम से पूजा जाता है. इसे भद्रकाली अथवा जलक्रीड़ा एकादशी भी कहा जाता है. अन्य एकादशियों की तरह अपरा एकादशी पर भी भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है, व्रत रखनेवालों को तीन दिन तक व्रत के नियमों का पालन करना होता है.

Apara Ekadashi 2024

हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास कृष्ण पक्ष की एकादशी को अपरा एकादशी के नाम से पूजा जाता है. इसे भद्रकाली अथवा जलक्रीड़ा एकादशी भी कहा जाता है. अन्य एकादशियों की तरह अपरा एकादशी पर भी भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है, व्रत रखनेवालों को तीन दिन तक व्रत के नियमों का पालन करना होता है. दशमी को सेकेंड हाफ के बाद भोजन नहीं करना चाहिए, इससे एकादशी के दिन भोजन का अपशिष्ठ पदार्थ पेट में नहीं रहता. एकादशी को पूरे दिन व्रत रहकर अगले दिन यानी द्वाद्वशी को पारण के बाद व्रत तोड़ना चाहिए. तभी व्रत पूर्णतः सफल माना जाता है. आइये जानते हैं अपरा एकादशी व्रत का महत्व, मुहूर्त, पूजा विधि एवं व्रत कथा इत्यादि के बारे में.

अपरा एकादशी का महत्व

अन्य एकादशियों की तुलना में अपरा एकादशी को विशिष्ठ एकादशियों में गिना जाता है. ज्योतिषियों के अनुसार अपरा एकादशी के व्रत एवं पूजा के प्रभाव से भूत-योनि, ब्रह्म-हत्या, पर-निंदा आदि के पाप मिट जाते हैं, साथ ही झूठी गवाही, झूठ बोलने, झूठे शास्त्र पढ़ने, झूठे आडंबर, पर-स्त्री गमन आदि के पाप भी मिट जाते हैं. युद्ध क्षेत्र से पलायन करनेवाले क्षत्रियों को, गुरूओं की निंदा करने वालों को नरक की सजा मिलती है, लेकिन अपरा एकादशी का व्रत करने से उनके भी पाप मिट जाते हैं, और उन्हें स्वर्ग में स्थान मिलता है. ऐसी भी मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा पर तीनों पुष्कर में गंगा-स्नान एवं पितरों को पिंडदान करने से मिलता है, वह फल अपरा एकादशी व्रत करने से मिलता है. यह भी पढ़ें : Telugu Hanuman Jayanti 2024 Wishes: तेलुगु हनुमान जयंती की इन भक्तिमय WhatsApp Messages, Facebook Greetings, Quotes के जरिए दें शुभकामनाएं

अपरा एकादशी 2024 तिथि एवं शुभ मुहूर्त

अपरा एकादशी व्रत प्रारंभः प्रातः 05. 04 AM (02 जून 2024, रविवार) से

अपरा एकादशी व्रत समाप्तः प्रातः 02. 41 AM (03 जून 2024, सोमवार) तक

उदया तिथि के अनुसार 02 जून 2024 को अपरा एकादशी व्रत रखा जाएगा.

पारण काल का समयः 08.06 AM से 08.24 AM तक

अपरा एकादशी पूजा-अनुष्ठान विधि

ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नानादि से निवृत्त हों. भगवान विष्णु का ध्यान कर व्रत एवं पूजा का संकल्प लें. मंदिर के समक्ष उत्तर दिशा में मुंह कर बैठें. धूप-दीप प्रज्वलित करें. निम्न मंत्र का उच्चारण करें.

‘ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि।

तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥‘

विष्णु जी का गंगाजल से अभिषेक करें. भगवान विष्णु को पिताबर अर्पित करें. भगवान को पीले चंदन का तिलक लगाएं. पीले गेंदा का फूल अर्पित करें. पान, सुपारी, तुलसी दल चढ़ाएं. भोग में मिठाई एवं फल चढ़ाएं. विष्णु सहस्त्रनाम का जाप करें, और विष्णु चालीसा का पाठ करें. अंत में भगवान की आरती उतारें और सभी को प्रसाद वितरित करें.

अपरा एकादशी व्रत कथा!

प्राचीनकाल में महीध्वज नामक धर्मात्मा राजा थे, उनका छोटा भाई वज्रध्वज बहुत क्रूर, अधर्मी एवं अन्यायी प्रवृत्ति का था. वह महीध्वज से बहुत द्वेष रखता था. एक रात उसने महीध्वज की हत्या करके उसके मृत शरीर को जंगल में एक पीपल वृक्ष के नीचे गाड़ दिया. अकाल मृत्यु से महीध्वज की आत्मा पीपल वृक्ष पर रहकर उत्पात करने लगा. एक दिन वहीं से गुजर रहे धौम्य ऋषि ने अपने तपोबल से देखकर सब कुछ समझ गये. ऋषि ने प्रेत को पीपल से नीचे उतारकर परलोक विद्या का उपदेश दिया. ऋषि ने प्रेत के लिए स्वयं अपरा एकादशी व्रत किया, इससे राजा प्रेत योनि से मुक्त हो गया. तभी से अपरा एकादशी का व्रत रखा जा रहा है.

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