Ahoi Ashtami 2018: संतान सुख की प्राप्ति के लिए रखें अहोई अष्टमी का व्रत, जानें पूजन विधि और शुभ मुहूर्त
एक ओर जहां करवा चौथ का व्रत अंखड सौभाग्य के लिए रखा जाता है तो वहीं दूसरी तरफ अहोई अष्टमी का व्रत संतान सुख की प्राप्ति और उसकी दीर्घायु के लिए रखा जाता है. करवा चौथ में चांद को देखकर सुहागन स्त्रियां अपना व्रत खोलती हैं तो अहोई अष्टमी के दिन तारों की पूजा करके माताएं अपना व्रत पूर्ण करती हैं.
Ahoi Ashtami 2018: आज पुरे देश में अहोई अष्टमी का पर्व है. करवा चौथ के ठीक चार दिन बाद और दिवाली से 8 दिन पहले अहोई अष्टमी का पर्व मनाया जाता है. उत्तर भारत में खासकर इस पर्व को लेकर महिलाओं में खासा उत्साह देखने को मिलता है. शास्त्रों के अनुसार, अहोई अष्टमी पर्व और व्रत का संबंध माता पार्वती के अहोई स्वरूप से है. खास बात तो यह है कि इस दिन से दीपावली के पर्व की शुरुआत भी हो जाती है.
एक ओर जहां करवा चौथ का व्रत अंखड सौभाग्य के लिए रखा जाता है तो वहीं दूसरी तरफ अहोई अष्टमी का व्रत संतान सुख की प्राप्ति और उसकी दीर्घायु के लिए रखा जाता है. करवा चौथ में चांद को देखकर सुहागन स्त्रियां अपना व्रत खोलती हैं तो अहोई अष्टमी के दिन तारों की पूजा करके माताएं अपना व्रत पूर्ण करती हैं.
संतान के लिए रखा जाता है यह व्रत
अहोई अष्टमी का व्रत संतान सुख और संतान की समृद्धि के लिए रखा जाता है. इसके अलावा मान्यता है कि अगर नि: संतान दंपत्ति भी संतान की प्राप्ति की कामना करके पूरे विधि-विधान के साथ यह व्रत पूर्ण करें तो उन्हें संतान का सुख प्राप्त होता है. इस दिन महिलाएं माता पार्वती के अहोई स्वरूप से अपने संतान की सुरक्षा, लंबी आयु, अच्छे स्वास्थ्य और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं. यह भी पढ़ें: भगवान विष्णु को अतिप्रिय है कार्तिक मास, आर्थिक लाभ और सुखी जीवन के लिए रखें इन बातों का विशेष ध्यान
इस विधि से करें पूजन
अहोई अष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद माताओं को एक मिट्टी के कोरे करवे में पानी भरकर अहोई माता का ध्यान करना चाहिए और व्रत का संकल्प लेना चाहिए. अहोई पूजन के लिए शाम को घर की उत्तर दिशा की दीवार पर गेरू या पीली मिट्टी से आठ कोष्ठक की एक पुतली बनाई जाती है और बच्चों की आकृतियां बनाई जाती हैं. अगर ऐसा नहीं कर सकते तो बाजार में बनी बनाई तस्वीर आसानी से मिल जाती है.
संध्या के समय अहोई माता का षोडशोपचार विधि से पूजन करें. गाय के घी में हल्दी मिलाकर दीपक तैयार करें, धूप-दीप, रोली, हल्दी व केसर से पूजन करें. पूजन के दौरान माता को चावल की खीर और हलवा-पूरी का भोग लगाएं. माता अहोई को भोग लगाने से पहले 7 पुत्रों की मां की कहानी भी जरूर पढ़ी जाती है.
अहोई माता के पूजन के पश्चात सूर्यास्त के बाद जब आसमान में चंद्रमा और तारे नजर आने लगें तब तारों को जल का अर्घ्य दें और उसके बाद अपना व्रत खोलें. ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से बच्चों के ऊपर आने वाली हर मुसीबत टल जाती है और बच्चों को दीर्घायु का वरदान मिलता है. यह भी पढ़ें: Diwali 2018: 5 दिनों तक मनाया जाता है दिवाली का पर्व, जानें क्या है इसके हर एक दिन का महत्व?
तिथि और शुभ मुहूर्त
कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि यानी 31 अक्टूबर को अहोई अष्टमी मनाई जाएगी. इस दिन पूजन का शुभ मुहूर्त शाम 5.45 से 7.00 बजे तक है.
अष्टमी तिथि प्रारंभ: 31 अक्टूबर 2018, सुबह 11 बजकर 09 मिनट से.
अष्टमी तिथि समाप्त: 01 नवंबर 2018, सुबह 09 बजकर 10 मिनट तक.
पूजन का शुभ मुहूर्त: 31 अक्टूबर 2018, शाम 05.45 मिनट से शाम 7. 02 बजे तक