ऑनलाइन खाना डिलीवर करने वाली कंपनी जोमैटो (Zomato) एक नए विवाद में फंसती नजर आ रही है. इस बार कंपनी का यह अंदरूनी मामला है, जिसके लिए जोमैटो के डिलीवर स्टाफ हड़ताल पर है. डिलीवर स्टाफ की शिकायत है कि उनसे ऐसा खाना जिससे उनकी धार्मिक भावनाएं आहत हो रही हैं. मामला पश्चिम बंगाल (West Bengal) का है. न्यूज एजेंसी ANI अनुसार, सूबे के हावड़ा में जोमैटो फूड डिलीवरी स्टाफ गोमांस और पोर्क देने के विरोध में अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं. उनका कहना है कि कंपनी हमारी मांगों को नहीं सुन रही है और हमें अपनी इच्छा के विरुद्ध गोमांस और पोर्क देने के लिए मजबूर कर रही है.
जोमैटो से जुड़े डिलीवरी स्टाफ का आरोप है कि उन्हें ऐसे खाने की डिलीवरी कराई जा रही है जिससे उनकी धार्मिक भावनाएं आहत हो रही हैं. उन्होंने ऐलान किया है कि वे उस खाने की डिलीवरी नहीं करेंगे जिस पमें बीफ और पार्क हो. इसके अलावा इनका ये भी कहना है कि कंपनी से जुड़े डिलीवरी ब्वॉय पोर्क फूड की भी डिलीवरी नहीं करेंगे.
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Zomato के विरोध में उतरे कर्मचारी-
Rajib Banerjee, West Bengal Minister: The organisation should not force any person to go against their religion. It is wrong. Now that I have received information in this regard, I will look into it the matter. pic.twitter.com/Rsccn4akgy
— ANI (@ANI) August 11, 2019
डिलीवर स्टाफ ने अपनी तनख्वाह भी बढ़ाने की मांग की है. उनका कहना है कि जबतक उनकी मांगें नहीं मानी जाएगी तब तक वे काम पर नहीं आएंगे. उन्होंने कंपनी के सीनियर अधिकारियों को अपने फैसले की सूचना दे दी है, लेकिन अब तक उन्हें कोई आश्वासन नहीं मिला है.
पश्चिम बंगाल सरकार के मंत्री और टीएमसी विधायक राजीब बनर्जी ने इस मामले में जांच का भरोसा दिया है. राजीब बनर्जी ने कहा, "मुझे लगता है कि जो कंपनी ऐसा कर रही है कि उसे एक बार फिर से सोचना चाहिए, उन्हें किसी भी धर्म के स्टाफ को उसके विश्वास के खिलाफ चलने के लिए मजबूर नहीं करना चाहिए, ये बहुत गलत है, हमें ऐसे कदम की जानकारी नहीं है, चूंकि हमसे इस बारे में संपर्क किया गया है इसलिए हम इस बाबत कार्रवाई करेंगे."
बता दें जोमैटो अभी हाल ही में भी चर्चा में रहा है. जोमैटो के डिलीवरी ब्वॉय के धर्म के कारण जबलपुर के निवासी अमित शुक्ला ने ऑर्डर रद्द कर दिया था, जिसके बाद उनके खिलाफ जबलपुर ने मामला दर्ज किया था. पुलिस ने जोमैटो के ग्राहक अमित शुक्ला को इस मामले में नोटिस जारी कर लिखित शपथपत्र देने को कहा था कि वह भविष्य में धार्मिक नफरत का प्रसार नहीं करेगा.