जायरा वसीम को नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस के नेताओं से मिला समर्थन, शिवसेना-बीजेपी ने की आलोचना
जायरा वसीम (Photo Credits: Instagram)

नई दिल्ली: ‘दंगल’ की अभिनेत्री जायरा वसीम (Zaira Wasim) ने अपने काम को उनके आस्था के रास्ते में आने का आधार बताकर फिल्मों में अभिनय छोड़ने का फैसला किया है. हालांकि फिल्मों में काम छोड़ने के उनके फैसले पर राजनीतिक गलियारे में बहस छिड़ गयी है. कांग्रेस और नेकां के नेताओं ने इसे अभिनेत्री का निजी फैसला बताकर जहां उनके फैसले का समर्थन किया है वहीं शिवसेना ने इसे उनके धर्म के लिए अहितकारी और गलत धारणा बनाने वाला बताया है. रविवार को फेसबुक पर अपने लंबे-चौड़े पोस्ट में 18 वर्षीय कश्मीरी अभिनेत्री ने कहा कि इस पेशे (फिल्मों) में उन्होंने पांच साल पूरे कर लिये हैं और अब वह कबूल करना चाहती हैं कि अपने इस काम से मिली ‘‘पहचान से वह वाकई में खुश नहीं हैं.’’

अभिनेत्री के इस फैसले पर प्रतिक्रिया देने वाले नेताओं में कांग्रेस नेता मिलिंद देवड़ा, नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला और शिवसेना की प्रियंका चतुर्वेदी शामिल हैं.कांग्रेस नेता मिलिंद देवड़ा ने ट्वीट किया, ‘‘कुछ पाखंडी लोग अचानक जायरा वसीम और नुसरत जहां को उपदेश देने लगे हैं। यहां दक्षिण मुंबई में मेरे कई हिंदू और जैन मित्र हैं, जिन्होंने अपने गुरुओं और धर्म के नाम पर अपने शानदार कॅरियर तक को छोड़ दिया। आप यह चयन कर सकते हैं कि धर्म आपके कॅरियर या प्रेम जीवन को निर्धारित करता है या नहीं.’’उन्होंने नवनिर्वाचित एवं नवविवाहित तृणमूल कांग्रेस सांसद नुसरत जहां का भी जिक्र किया, जिनके ‘सिंदूर’ लगाने और ‘मंगलसूत्र’ पहनने तथा उनके (इस्लाम के) विचारों को नहीं मानने पर कट्टर मुस्लिम मौलाना नुसरत की आलोचना कर रहे हैं. यह भी पढ़े: जायरा वसीम के फिल्म इंडस्ट्री छोड़ने पर भड़की रवीना टंडन, कहा – ऐसी सोच वाले शांति से निकल जाए

अब्दुल्ला ने कहा कि किसी को भी वसीम के फैसले पर सवाल उठाने का हक नहीं है. उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘जायरा वसीम की पसंद पर सवाल उठाने वाले हम कौन होते हैं? यह उनका जीवन है, अपने जीवन में वह चाहे जैसे रहें। मैं सिर्फ उन्हें उनकी बेहतरी के लिये शुभकामना दूंगा और उम्मीद करता हूं कि वह जो भी करें उससे उन्हें खुशी मिले.’’इस पर अलग रुख अपनाते हुए शिवसेना की प्रियंका चतुर्वेदी ने कई पोस्ट किये. उन्होंने कहा, ‘‘हर किसी को अपने आस्था के पालन का अधिकार है, लेकिन कॅरियर के चयन के लिये इसे (धर्म को) असहिष्णु नहीं ठहराना चाहिए, जो हकीकत में ऐसा बिल्कुल नहीं होता है.’’

उन्होंने कहा, ‘‘वास्तव में उनका यह कदम उनके धर्म के लिये बहुत अहितकारी और लोगों के मन में गलत धारणा बनाने वाला है और यह इस्लाम के बारे में उन बातों को बल देता है कि इस्लाम असहिष्णु है.’’उन्होंने कहा, ‘‘हिन्दी सिनेमा ने इसी धर्म से आये लोगों की सफलता की कई कहानियां देखी हैं। क्या उनकी यह वजह (फिल्मों में अभिनय छोड़ने की) उन दिग्गज कलाकारों पर भी लागू होती है कि वे सभी अपने धर्म को नहीं जानते? कुछ लोग उनके फैसले की बराबारी विनोद खन्ना से कर रहे हैं, जिन्होंने कहा था कि उनके कॅरियर के चुनाव में उनकी आस्था आड़े आ रही थी.’’