उत्तर प्रदेश: तीन तलाक पीड़ित महिलाओं को योगी सरकार देगी 6000 रुपये सालाना पेंशन
मुस्लिम महिला (विवाह पर अधिकारों का संरक्षण) तीन तलाक अधिनियम 2019 बिल पास होने के बाद तलाक को अपराधिक श्रेणी में रखा गया है. पति द्वारा महिला को तत्काल तीन तलाक दिए जाने को अपराध माना गया है, इस जुर्म में तीन साल की जेल और जुर्माना दोनों है. इस अधिनियम के तहत आरोपी को बिना वारंट तुरंत गिरफ्तार किया जा सकता है.
मुस्लिम महिला (विवाह पर अधिकारों का संरक्षण) तीन तलाक अधिनियम (Triple Talaq Bill) 2019 पास होने के बाद तलाक को अपराधिक श्रेणी में रखा गया है. पति द्वारा महिला को तत्काल तीन तलाक दिए जाने को अपराध माना गया है, इस जुर्म में तीन साल की जेल और जुर्माना दोनों है. इस अधिनियम के तहत आरोपी को बिना वारंट तुरंत गिरफ्तार किया जा सकता है. योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) सरकार ने मुस्लिम महिलाओं के हक़ में एक और घोषणा की है. नए साल से योगी सरकार तीन तलाक पीड़ित महिलाओं को सालाना 6000 रुपये पेंशन के रूप में देने की घोषणा की है. मुख्यमंत्री ने कहा कि निर्जन महिलाओं के "पुनर्वास" के लिए पेंशन दी जाएगी.
तीन तलाक बिल संसद में पास होने के बाद केंद्र सरकार ने राज्यों के लिए अधिसूचना जारी की थी. इस पर योगी आदित्यनाथ सरकार ने तुरंत कार्रवाई शुरू कर दी थी. उस वक्त सीएम योगी ने तलाक पीड़िताओं से मुलाकात की थी और उन्हें पेंशन देने का वादा किया था. लेकिन उस वक्त पेंशन की राशी तय नहीं हुई थी. अब जाकर वित्त मंत्रालय ने 6000 रुपए सालाना राशि तय की है, नए साल से ये योजना शुरू हो जाएगी.
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आदित्यनाथ के अनुसार पिछले साल उत्तर प्रदेश में तीन तलाक के 273 मामले सामने आए थे और सरकार ने उन सभी पर एफआईआर दर्ज की थी क्योंकि "मुस्लिम महिलाएं राज्य के लगभग हर जिले में सबसे ज्यादा पीड़ित रही हैं". ऐसी बहुत ही महिलाएं हैं जिन्हें तीन तलाक और हलाला निकाह का सामना करना पड़ा.