New Year 2023: भारतीय सेना आज के समय के अनुरूप कई बदलावों से गुजर रही है. एक तरफ जहां हम नए वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं वहीं सशस्त्र बलों को मजबूती देने के लिए आधुनिक तकनीकों से अपग्रेड किया जा रहा है. इसके साथ ही इस साल सेनाओं से जुड़े प्रशासनिक बदलाव की भी तैयारी चल रही है. भारतीय सेना के पुनर्गठन के चल रहे प्रयासों के बीच पूर्व सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने बड़ा बयान दिया है. देश के पहले सीडीएस दिवंगत जनरल बिपिन रावत की पहल पर शुरू किए एकीकृत थिएटर कमांड में सेना के पुनर्गठन पर विचार-विमर्श के बीच जनरल नरवणे का यह बयान कई मायनों में महत्वपूर्ण माना जा रहा है. New Year 2023: नए साल 2023 में इन वादों को पूरा करने करेगी मोदी सरकार, Govt का आधिकारिक कैलेंडर जारी
सेना के पुनर्गठन के पहले ये सुधार जरूरी
पूर्व सेना जनरल नरवणे सेना की महार रेजिमेंट और यूनाइटेड सर्विस इंस्टीट्यूशन ऑफ इंडिया की ओर से आयोजित चतुर्थ जनरल केवी कृष्णा राव स्मारक व्याख्यान दे रहे थे. उन्होंने कहा कि थिएटर कमांड बनाने से पहले राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति, राष्ट्रीय रक्षा रणनीति और उच्च रक्षा संगठन होना आवश्यक है, इसके बाद ही हम इसके बारे में सोच सकते हैं. सेना के पुनर्गठन पर जनरल मनोज पांडे ने कहा कि मानव संसाधन प्रबंधन, आधुनिकीकरण और प्रौद्योगिकी का समावेश, पुनर्संतुलन और पुनर्गठन तथा संयुक्तता और बेहतर एकीकरण इसके चार प्रमुख पहलू हैं.
एनएसएस और एनडीएस पर ध्यान केंद्रित
एनएसएस के साथ एक ऐसे उच्च रक्षा संगठन की भी आवश्यकता है, जो पूरे देश के दृष्टिकोण को प्रभावी करे और उसमें सभी संबंधित मंत्रालयों का प्रतिनिधित्व हो. जनरल नरवणे ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान मलायन अभियान और सिंगापुर के पतन की पृष्ठभूमि में थिएटर कमांड के बारे में बात की. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की अध्यक्षता में एक शीर्ष स्तरीय रक्षा योजना समिति की स्थापना 2018 में की गई थी, जिसे एनएसएस और एनडीएस तैयार करना था लेकिन अब तक इस पर कोई प्रगति नहीं हो पाई है. जनरल नरवणे ने कहा कि तय की गई रणनीति के तहत अन्य कूटनीतिक और राजनीतिक विचार हो सकते हैं, जो थिएटर कमांडरों को दी गई कार्रवाई की स्वतंत्रता को सीमित कर देंगे.
थिएटर कमांड विकसित करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध
एनएसएस, एनडीएस और एक उच्च रक्षा संगठन के बाद ही हम थिएटर कमांड के बारे में सोचना शुरू कर सकते हैं. भारतीय सेनाओं का पुनर्गठन करने के पीछे बहुत सारे संस्थानों को पुनर्गठित करने की योजना है. सेना अपने गैर-मुख्य कार्यों के लिए आउटसोर्सिंग पर भी विचार कर रही है. संयुक्तता और एकीकरण पर सेना प्रमुख ने कहा कि सेना एकीकृत थिएटर कमांड विकसित करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है और यही आगे बढ़ने का रास्ता है.
थिएटर कमांड सिस्टम का तात्पर्य
‘थियेटर कमांड सिस्टम’ के पीछे का विचार सशस्त्र बलों की तीन शाखाओं के बीच सहक्रियाशील समन्वय लाना है. इसके अलावा, इसका उद्देश्य सेना, नौसेना, वायु सेना के लिए अलग-अलग कमानों को एक ही कमांडर के नेतृत्व वाली एकीकृत कमान के तहत लाना है. एकीकरण प्रक्रिया अंततः एक ऑपरेशनल हेड के तहत एक ही कमांड में जुड़े हुए एकीकृत सैन्य संपत्ति की ओर अग्रसर होगी, जो किसी दिए गए स्थिति में उनकी गतिविधियों को निर्देशित करने और नियंत्रित करने के लिए जिम्मेदार होंगे.
ऑपरेशनल क्रियाओं के अलावा, थिएटर कमांड सिस्टम अधिक सुव्यवस्थित लागत और कम लड़ाकू बल में भी योगदान देगा. वार्षिक रक्षा बजट का एक बड़ा हिस्सा पेंशन और वेतन में चला जाता है जबकि व्यय हमेशा सशस्त्र बलों की वास्तविक जरूरतों के अनुरूप नहीं बढ़ता है, थिएटर कमांड सिस्टम संसाधनों के आवंटन पर अधिक ध्यान देगा और अतिरेक को कम करने में मदद करेगा.
थिएटर कमांड सिस्टम अपनाने वाले देश
दुनिया भर के 32 से अधिक देशों के पास अपने सैन्य बलों के बीच बेहतर एकीकरण लाने के लिए पहले से ही किसी न किसी रूप में थिएटर या संयुक्त कमांड है. विशेष रूप से, संयुक्त राज्य अमेरिका थिएटर कमांड सिस्टम को लागू करने वाला पहला देश था, जिसमें वर्तमान में छह भौगोलिक और चार कार्यात्मक कमांड शामिल हैं. रूस ने भी 2008 में अपने रक्षा बलों के पुनर्गठन के साथ शुरुआत की थी और इसके चार थिएटर कमांड हैं. कहा जाता है कि चीन का थिएटर कमांड सिस्टम अमेरिकी मॉडल पर आधारित है और इसमें “शांति के समय में पांच भौगोलिक कमांड” हैं. चाइनीज वेस्टर्न थिएटर कमांड भारतीय सीमा से सटे इलाके को कवर करती है.
सैन्य पुनर्गठन के इन संकल्पों के साथ आगे बढ़ रही सेना
दुनिया में अपनी सैन्य क्षमता के लिए प्रसिद्ध भारतीय सेना अपनी कार्य प्रणाली में बदलाव के साथ-साथ आधुनिकीकरण पर भी विशेष ध्यान दे रही है. हथियारों को अपग्रेड करने के लिए रक्षा उद्योग से जुड़े देश के विभिन्न संगठनों के साथ मिलकर नई रक्षा प्रणाली विकसित की जा रही है. इसी क्रम में रक्षा आत्मनिर्भरता के विजन पर भी सेना तेजी से काम कर रही है, जिसके परिणाम स्वरूप ना केवल स्वदेशी तकनीकों को सेना में अपनाया जा रहा है बल्कि रक्षा निर्यात में भी उछाल देखा गया है. सेना के थिएटराइजेशन के साथ-साथ राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति, राष्ट्रीय रक्षा रणनीति और उच्च रक्षा संगठन के विकास को लेकर भी सेना संकल्पित है. सरकार आने वाले वर्ष में सैन्य बदलावों पर तेजी से काम करते हुए सुरक्षा बलों को और अधिक सशक्त बनाने के लिए पूरी तरह संकल्पित है.