क्या सबरीमाला मंदिर में जा सकतीं है महिलाएं? देश की सर्वोच्च न्यायालय कल करेगी फैसला
केरल की प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी मामले में सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को फैसला सुनाएगा. दरअसल सबरीमला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर चल रहे विवाद में एक अगस्त को सुनवाई पूरी हो चुकी है और सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ ने फैसला सुरक्षित रख लिया था.
नई दिल्ली: केरल की प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी मामले में सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाएगा. दरअसल सबरीमला मंदिर में सभी महिलाओं के प्रवेश को लेकर चल रहे विवाद में एक अगस्त को सुनवाई पूरी हो चुकी है और सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ ने फैसला सुरक्षित रख लिया था.
बता दें कि इस मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि महिलाओं को मंदिर में जाने का पूरा अधिकार है. पीठ ने सुनवाई पूरी होने के बाद कहा था, ‘‘हम आदेश पारित करेंगे. फैसला सुरक्षित किया जाता है.” इस पीठ में देश के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति आर. भानुमति और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की सदस्यता वाली पीठ छह सवालों पर विचार करने के बाद फैसला लेनेवाली है.
सबरीमाला में स्थित भगवान अय्यप्पा के मंदिर में महिलाओं को प्रवेश के लिए आयु प्रमाणपत्र दिखाना पड़ता है. इस मंदिर में 10 वर्ष से 50 वर्ष तक की महिलाओं को प्रवेश नहीं दिया जाता. दरअसल महिलाओं के उस समूह को मंदिर में प्रवेश से रोका जाता है जिन्हें माहवारी होती है.
इंडियन यंग लॉयर्स एसोसिएशन और अन्य ने इस प्रथा को चुनौती दी है. उन्होंने याचिका में कहा है कि यह प्रथा लैंगिक आधार पर भेदभाव करती है, इसे खत्म किया जाना चाहिए. वहीँ केरल सरकार ने भी मंदिर में सभी महिलाओं के प्रवेश की वकालत की है.
हाल ही में मंदिर प्रमुख ने कहा था कि मासिक धर्म टेस्ट करने वाली मशीन के इजाद के बाद ही महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की इजाजत मिलेगी. इस बयान के बाद मंदिर प्रशासन के खिलाफ महिलाओं ने सोशल साइट्स के जरिए जमकर अपनी भड़ास निकाली थी.
ऐसी मान्यता है कि बारहवीं सदी में बने इस मंदिर में महिलाओं को इसलिए नहीं जाने दिया जाता था क्योकि भगवान अयप्पा खुद ब्रहमचारी थे.