पति की अप्राकृतिक यौनकर्म के खिलाफ पत्नी ने याचिका दायर की

पत्नी पर अप्राकृतिक यौनकर्म करने के लिए दबाव डालने वाले पति के खिलाफ दायर याचिका पर शीर्ष अदालत करेगी सुनवाई. याचिका में महिला ने कहा है कि विवाह के चार साल के दौरान पति ने उनपर ओरल सेक्स करने का दबाव डाला. न्यायमूर्ति एन. वी. रमना और न्यायमूर्ति एम. एम. शांतनगौदार ने महिला के पति को नोटिस जारी कर मामले की सुनवाई के दौरान जवाब देने को कहा है.

सुप्रीम कोर्ट (Photo Credits: File Photo)

नई दिल्ली, पत्नी पर अप्राकृतिक यौनकर्म करने के लिए दबाव डालने वाले पति के खिलाफ दायर याचिका पर शीर्ष अदालत करेगी सुनवाई. याचिका में महिला ने कहा है कि विवाह के चार साल के दौरान पति ने उनपर ओरल सेक्स करने का दबाव डाला. न्यायमूर्ति एन. वी. रमना और न्यायमूर्ति एम. एम. शांतनगौदार ने महिला के पति को नोटिस जारी कर मामले की सुनवाई के दौरान जवाब देने को कहा है. महिला का आरोप है कि उनकी सहमति के बगैर पति-पत्नी के बीच यौन संबंध की फिल्में भी बनाईं.

महिला ने कहा कि उनके पति ने उनपर ओरल सेक्स करने का दबाव डाला जोकि प्रकृति के विरुद्ध है और भारतीय दंड संहिता की धारा 377 के तहत अपराध की श्रेणी में आता है.

याचिका के अनुसार महिला की शादी गुजरात के साबरकांठा में 2014 में एक डॉक्टर के साथ हुई थी. वह जब 15 साल की थी तभी 2002 में उनकी सगाई हुई थी. महिला ने बताया कि पति ने उनकी मर्जी के खिलाफ उनपर ओरल सेक्स करने का दबाव बनाया और वह उन्हें समझाने में असमर्थ रहीं.

याचिका में आगे कहा गया कि पति ने महिला को उनकी मर्जी के खिलाफ वीडियो बनाने के लिए भी दबाव डाला. उनको अनैतिक मांग को मानने के लिए मजबूर किया गया. इसके लिए उनको अक्सर धमकी दी जाती थी और उनका शारीरिक उत्पीड़न किया जाता था.

महिला ने पति के खिलाफ साबरकांठा में दुष्कर्म और अप्राकृतिक यौनकर्म के आरोप में मामला दर्ज करवाया.

इसके बाद पति गुजरात उच्च न्यायालय पहुंच गए जहां पत्नी की दलील में धारा 375 के तहत पर्याप्त आधार नहीं माना गया क्योंकि वैवाहिक दुष्कर्म के लिए कोई प्रावधान नहीं है.

उच्च न्यायालय ने धारा 377 के तहत आरोप को खारिज कर दिया.

उच्च न्यायालय के फैसले को महिला ने शीर्ष अदालत में चुनौती दी है.

मंगलवार को पांच न्यायाधीशों की पीठ ने याचिका पर आदेश सुरक्षित रख लिया था।

Share Now

\