
सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को वक्फ (संशोधन) कानून, 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई हुई. कोर्ट ने दोनों ओर की दलीलें सुनने के बाद कहा कि बहस गुरुवार को भी जारी रहेगी.चीफ जस्टिस संजय खन्ना, जस्टिस केवी विश्वनाथन और जस्टिस पीवी संजय कुमार की तीन सदस्यों वाली बेंच इस मुद्दे पर सुनवाई कर रही है. बेंच ने बुधवार को इस मामले में कोई अंतरिम आदेश पारित नहीं किया. हालांकि, सीजेआई खन्ना ने सुनवाई के आखिर में पश्चिम बंगाल में वक्फ कानून के खिलाफ भड़की हिंसा पर चिंता व्यक्त की. उन्होंने कहा कि हिंसा बहुत परेशान करने वाली बात है, अगर मामला कोर्ट में लंबित है तो ऐसा नहीं होना चाहिए.
कोर्ट ने पूछा- क्या हिंदू धार्मिक ट्रस्ट में मुसलमान को शामिल होने देंगे
याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने वक्फ परिषद में गैर-मुस्लिमों को शामिल करने के खिलाफ दलील दी. न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक, उन्होंने कहा कि पहले वक्फ परिषद और बोर्ड में केवल मुसलमान ही शामिल होते थे लेकिन संशोधन के बाद अब हिंदू भी इसका हिस्सा बन सकते हैं, यह संसदीय कानून द्वारा दिए गए मौलिक अधिकारों का सीधा हनन है.
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि क्या वे मुसलमान को हिंदू धार्मिक ट्रस्टों का हिस्सा बनने की अनुमति देने के लिए तैयार हैं. इंडियन एक्सप्रेस अखबार के मुताबिक, कोर्ट ने यह भी कहा कि पदेन सदस्यों को बोर्ड में नियुक्त किया जा सकता है, चाहे उनका धर्म कोई भी हो लेकिन अन्य सदस्यों का मुस्लिम होना अनिवार्य है.
‘वक्फ बाई यूजर' को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने जताई चिंता
‘वक्फ बाई यूजर' का मतलब ऐसी संपत्तियों से है जिनका लंबे समय से धार्मिक या धर्मार्थ कार्यों में इस्तेमाल हो रहा होता है और इस वजह से उन्हें वक्फ माना जाता है. भले ही उनके पास औपचारिक दस्तावेज ना हों. संशोधित कानून में यह छूट दी गई है कि यह प्रावधान उन संपत्तियों पर लागू नहीं होगा जो विवादित हैं या सरकारी भूमि पर हैं. याचिकाकर्ताओं ने सुनवाई के दौरान इस पर अपनी आपत्ति जताई.
इंडिया टुडे के मुताबिक, कोर्ट ने कहा कि ‘वक्फ बाई यूजर' प्रावधान को हटाने के बड़े परिणाम होंगे और केंद्र सरकार से इसे लेकर स्पष्टीकरण मांगा. कोर्ट ने कहा कि 14वीं से 16वीं शताब्दी के दौरान बनी ज्यादातर मस्जिदों के पास विक्रय पत्र यानी सेल डीड नहीं होंगे और ऐसी मस्जिदों से पंजीकृत दस्तावेज मांगना असंभव होगा. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, कोर्ट ने प्रस्ताव दिया कि न्यायालयों द्वारा वक्फ घोषित की गई संपत्तियों को गैर-अधिसूचित नहीं किया जाएगा, फिर चाहे वे ‘वक्फ बाई यूजर' हों या ‘वक्फ बाई डीड'.
तीन बिंदुओं पर जारी हो सकता था अंतरिम आदेश
एनडीटीवी की खबर के मुताबिक, सुनवाई के अंत में जजों ने तीन बिंदु उठाए और उन पर एक अंतरिम आदेश जारी करने का संकेत दिया, जिसके तहत संशोधित कानून के कुछ प्रावधानों पर रोक लगाई जा सकती थी. हालांकि, केंद्र और राज्यों ने इन बिंदुओं पर अपनी दलीलें पेश करने के लिए और समय मांगा, जिसके बाद कोर्ट ने कोई अंतरिम आदेश जारी नहीं किया.
जजों की ओर से उठाए गए बिंदुओं में एक मुद्दा वक्फ बाई यूजर प्रावधान से जुड़ा था. दूसरा मुद्दा वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों की नियुक्ति से संबंधित था. वहीं, तीसरा मुद्दा संशोधित कानून के तहत कलेक्टर को दी गई शक्तियों से संबंधित था. खबर के मुताबिक, चीफ जस्टिस खन्ना ने कहा कि सामान्यतया हम ऐसे अंतरिम आदेश पारित नहीं करते हैं लेकिन यह एक अपवाद है. उन्होंने यह भी संकेत दिया कि इस मामले की सुनवाई छह से आठ महीने तक चल सकती है.
आखिर होता क्या है वक्फ
इस्लामी परंपरा में, वक्फ मुसलमानों द्वारा समुदाय के लाभ के लिए किया गया धर्मार्थ या धार्मिक दान है. ऐसी संपत्तियों को बेचा या किसी अन्य उद्देश्य के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है और ना ही उन्हें विरासत में हासिल किया जा सकता है, बल्कि वे हमेशा अल्लाह के लिए समर्पित रहती हैं. वक्फ की गई संपत्ति पर दोबारा दावा नहीं किया जा सकता.
भारत में इनमें से बड़ी संख्या में संपत्तियों का इस्तेमाल मस्जिदों, मदरसों, कब्रिस्तानों और यतीमखानों के लिए किया जाता है, और कई अन्य संपत्तियां खाली पड़ी हैं या उन पर अतिक्रमण हो चुका है.
सरकार का कहना है कि वक्फ बोर्ड भारत में सबसे बड़े भूस्वामियों में से एक है. देश भर में कम से कम 8,72,351 वक्फ संपत्तियां हैं, जो 9,40,000 एकड़ से अधिक क्षेत्र में फैली हुई हैं, जिनका अनुमानित मूल्य 1.2 लाख करोड़ रुपये है. वक्फ बोर्ड भारत में सशस्त्र बलों और भारतीय रेलवे के बाद सबसे बड़ा भूस्वामी है. केंद्र की बीजेपी सरकार का कहना है कि वक्फ संपत्तियों और वक्फ बोर्डों में व्यापक भ्रष्टाचार है और इन्हें सुधारने के लिए वक्फ संशोधन कानून लाया गया है.
सुप्रीम कोर्ट में वक्फ (संशोधन) कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई गुरुवार को भी जारी रहेगी.