नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) राज्य को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 (Article 370) को निरस्त किए जाने के सरकार के फैसले को बरकरार रखा और कहा जम्मू और कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है, इसकी कोई आंतरिक संप्रभुता नहीं है. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर जम्मू-कश्मीर के नेताओं ने निराशा जताई. नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा कि वह संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने की व्यवहार्यता पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से "निराश" हैं, हालांकि, वह हतोत्साहित नहीं हैं. Article 370 Verdict: अब नहीं लौटेगा आर्टिकल 370, जम्मू-कश्मीर में 30 सितंबर 2024 तक होंगे विधानसभा चुनाव.
पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah) ने एक्स पर लिखा, “निराश हूं लेकिन हतोत्साहित नहीं. संघर्ष जारी रहेगा. यहां तक पहुंचने में बीजेपी को दशकों लग गए. हम लंबी लड़ाई के लिए भी तैयार हैं."
उमर अब्दुल्ला ने जताई नाराजगी
Disappointed but not disheartened. The struggle will continue. It took the BJP decades to reach here. We are also prepared for the long haul. #WeShallOvercome #Article370
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) December 11, 2023
डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी (DPAP) के अध्यक्ष गुलाम नबी आजाद ने उच्चतम न्यायालय के फैसले को ‘‘दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण’’ बताया, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि ‘‘हमें इसे स्वीकार करना होगा.’’ उन्होंने कहा कि क्षेत्र के लोग शीर्ष अदालत द्वारा दिये गये इस फैसले से खुश नहीं हैं.
लड़ाई जारी रहेगी: महबूबा मुफ्ती
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर महबूबा मुफ्ती ने कहा, 'जम्मू-कश्मीर के लोग न तो उम्मीद खोने वाले हैं और न ही हार मानने वाले हैं. सम्मान और प्रतिष्ठा के लिए हमारी लड़ाई बिना किसी परवाह के जारी रहेगी. यह हमारे लिए अंत नहीं है."
महबूबा मुफ्ती ने कहा, हिम्मत मत हारो, उम्मीद मत छोड़ो, जम्मू-कश्मीर ने बहुत उतार चढ़ाव देखे हैं. सुप्रीम कोर्ट का आज का फैसला एक पड़ाव है इसे मंजिल समझने की गलती मत करो. ये हमारी हार नहीं है ये इस मुल्क की हार है. ये बात यहां रूकने वाली नहीं है.
The people of J&K are not going to lose hope or give up. Our fight for honour and dignity will continue regardless. This isn’t the end of the road for us. pic.twitter.com/liRgzK7AT7
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) December 11, 2023
सज्जाद गनी लोन ने क्या कहा
जम्मू-कश्मीर पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के नेता सज्जाद गनी लोन कहते हैं, ''अनुच्छेद 370 पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला निराशाजनक है. न्याय एक बार फिर जम्मू-कश्मीर के लोगों से दूर है.अनुच्छेद 370 भले ही कानूनी रूप से खत्म कर दिया गया हो, लेकिन यह हमेशा हमारी राजनीतिक आकांक्षाओं का हिस्सा बना रहेगा."
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में क्या कहा?
सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, "जम्मू-कश्मीर के संविधान में संप्रभुता का कोई जिक्र नहीं था. हालांकि, भारत के संविधान की प्रस्तावना में इसका उल्लेख मिलता है. भारत का संविधान अपनी प्रस्तावना में जोर देता है कि भारत के लोग खुद को 'संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक गणराज्य' बनाने का संकल्प लेते हैं. संविधान के सभी प्रावधान जम्मू कश्मीर पर लागू होते हैं. ये फैसला जम्मू कश्मीर के एकीकरण के लिए था." शीर्ष अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा जल्द से जल्द बहाल किया जाए.
सीजेआई ने कहा, भारतीय संविधान आने पर अनुच्छेद 370 जम्मू-कश्मीर पर लागू हुआ. अनुच्छेद 370 जम्मू-कश्मीर के संघ के साथ संवैधानिक एकीकरण के लिए था और यह विघटन के लिए नहीं था, और राष्ट्रपति घोषणा कर सकते हैं कि अनुच्छेद 370 का अस्तित्व समाप्त हो गया है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "जम्मू और कश्मीर राज्य के पास आंतरिक संप्रभुता नहीं है जो देश के अन्य राज्यों द्वारा प्राप्त शक्तियों और विशेषाधिकारों से अलग हो." कोर्ट ने यह भी कहा कि अगले साल 30 सितंबर तक विधानसभा चुनाव कराने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए.
5 अगस्त 2019 को खत्म हुआ था आर्टिकल 370
5 अगस्त 2019 को मोदी सरकार ने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 के प्रभाव को खत्म कर दिया था, साथ ही राज्य को 2 हिस्सों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांट दिया था और दोनों को केंद्र शासित प्रदेश बना दिया था. 370 हटने के 4 साल, 4 महीने, 6 दिन बाद आज सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत की बेंच ने फैसला सुनाया.