क्या है MUDA स्कैम? जानें इस केस में कैसे बढ़ीं कर्नाटक के CM सिद्धारमैया की मुश्किलें
Karnataka CM Siddaramaiah | PTI

MUDA Scam: कर्नाटक में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया (Siddaramaiah) के खिलाफ लोकायुक्त द्वारा केस दर्ज किया गया है, जो मैसूर अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी (MUDA) स्कैम से जुड़ा हुआ है. इस घोटाले का मुख्य मुद्दा 3.14 एकड़ जमीन का है, जो उनकी पत्नी पार्वती के नाम पर है. इस मामले में सिद्धारमैया और उनकी पत्नी पर आरोप है कि उन्होंने जमीन आवंटन में अनियमितताएं कीं, जिससे उन्हें बड़ा फायदा हुआ. इस केस में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को पहले आरोपी के तौर पर नामित किया गया है.

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FIR में उनकी पत्नी पार्वती, साले मल्लिकार्जुन स्वामी और जमीन के मालिक देवराज का भी नाम शामिल है. आरोप है कि MUDA ने पार्वती की जमीन अधिग्रहित कर उन्हें मुआवजे में अत्यधिक मूल्यवान प्लॉट दिए. इस मामले में अनुमान लगाया जा रहा है कि अनियमितताएं करीब 4,000 करोड़ रुपये की हैं.

MUDA स्कैम: क्या है पूरा मामला?

MUDA, यानी मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण, मैसूर शहर के विकास कार्यों और जमीन के अधिग्रहण और आवंटन की जिम्मेदारी संभालता है. यह एक स्वायत्त संस्था है, जिसका मुख्य कार्य शहर के विकास के लिए उचित योजनाएं बनाना और उन्हें लागू करना है.

इस मामले में आरोप है कि जब सिद्धारमैया मुख्यमंत्री थे, तब उनकी पत्नी पार्वती को मुआवजे के तौर पर उच्च मूल्य वाली जमीन दी गई. आरोप के अनुसार, मैसूर विकास निकाय (MUDA) ने पार्वती की जमीन अधिग्रहित की और बदले में उन्हें महंगे भूखंड दिए. यह आरोप है कि इस प्रक्रिया में अनियमितताएं हुईं, जिससे सरकारी खजाने को करोड़ों का नुकसान हुआ.

सिद्धारमैया ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 17A और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 218 के तहत उनके खिलाफ जांच के लिए राज्यपाल की मंजूरी को कर्नाटक हाई कोर्ट में चुनौती दी थी. लेकिन हाई कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी, जिससे उनकी मुश्किलें और बढ़ गईं. राज्यपाल थावर चंद गहलोत ने अगस्त में इस मामले की जांच के लिए मंजूरी दी थी, जिसके बाद लोकायुक्त ने केस दर्ज किया.

आरोप क्या हैं?

शिकायत के अनुसार, सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती को मैसूर के एक प्रमुख इलाके में मुआवजे के तौर पर प्लॉट आवंटित किए गए, जो उनकी जमीन के मुकाबले अधिक मूल्यवान थे. यह आरोप भी है कि जिस 3.16 एकड़ जमीन के बदले उन्हें ये प्लॉट दिए गए, उस जमीन पर पार्वती का कानूनी अधिकार नहीं था. सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस प्रक्रिया में अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए दावा किया कि इससे सरकारी खजाने को बड़ा नुकसान हुआ है.