कोरोना वायरस और एचएमपीवी में कितनी समानता और असमानता? जानिए क्या कहते हैं डॉक्टर

नई दिल्ली, 9 जनवरी : कोरोना वायरस के दहशत के बाद अब एचएमपीवी ने लोगों में डर पैदा कर द‍िया है. लोगों के जेहन में इस वायरस को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं. मसलन, क्या यह वायरस भी कोरोना के जैसा ही खतरनाक है? क्या दोनों एक ही प्रक्रिया के तहत किसी को अपना शिकार बनाते हैं ? दोनों के लक्षणों के बीच क्या अंतर है? दोनों से कैसे निपटा जाए? इसी संबंध में आईएएनएस ने सीके बिड़ला अस्पताल के डॉ. विकास मित्तल से खास बातचीत की.

डॉ. मित्तल बताते हैं कि कोरोना वायरस और एचएमपीवी को आपस में जोड़कर देखा जा रहा है. लेकिन, हमें यह बात समझनी होगी कि दोनों एक-दूसरे से बहुत अलग हैं. दोनों के बीच किसी भी प्रकार का संबध नहीं है. दोनों अलग फैमिली से आते हैं. ऐसे में दोनों के बीच किसी भी प्रकार का संबंध तलाशना, उचित नहीं है. यहां पर आपको एक बात समझनी होगी कि चिकित्सकीय विज्ञान में वायरस को उनकी फैलिमी के मुताबिक विभाजित किया जाता है, जिसके आधार पर सभी वायरस को श्रेणीबद्ध किया जा सकता है. यह भी पढ़ें : Loneliness is Hurting Your Health: अकेलापन सिर्फ मेंटल हेल्थ के लिए नहीं, फिजिकल हेल्थ के लिए भी खतरनाक

डॉ. बताते हैं कि अगर दोनों वायरस के समानता और असमानता की बात करें, तो दोनों ही वायरस से संक्रम‍ित होने पर कुछ विशेष लक्षण सामने आते हैं, जैसे सर्दी, जुकाम और गले में दर्द. लेकिन ध्यान देने वाली बात यह है कि कोरोना वायरस की जद में आने के बाद मरीज में सूंघने और स्वाद की क्षमता खत्म हो जाती है. लेकिन, एचएमपीवी में ऐसा नहीं होता है. कोरोना वायरस में भी निमोनिया होता है और एचएमपीवी में भी निमोनिया हो सकता है. लेकिन, दोनों ही वायरस में होने वाले निमोनिया थोड़े अलग होते हैं. दोनों ही निमोनिया मरीज को अलग तरह से प्रभावित करते हैं. इसे आप एक अंतर के रूप में देख सकते हैं. कोरोना वायरस में मरीज में लंग्स के अंदर क्लाउटिंग की समस्या आती है, जबकि एचएमपीवी में ऐसा नहीं होता है.

वहीं, वो बताते हैं कि कोरोना वायरस का डेथ रेट ज्यादा है. आसान भाषा में कहे तो कोरोना से संक्रमित होने के बाद मरीज में मृत्यु की संभावना ज्यादा होती है, जबकि एचएमपीवी में ऐसा नहीं होता है.

डॉ. बताते हैं कि अगर दोनों वायरस के रोकथाम की बात करें, तो आपको सबसे पहले उन लोगों से दूर रहना होगा, जो कोरोना या एचएमपीवी से संक्रमित हों. यहां आपको एक बात समझनी होगी कि किसी वायरस से संक्रमित मरीज छह फीट के दायरे में किसी अन्य व्यक्ति को संक्रमित रखने की क्षमता रखता है. जिसका विशेष ध्यान रखना होगा. ऐसी स्थिति में अगर आपको एहसास हो कि आप इस वायरस से संक्रमित हो रहे हैं, तो सबसे पहले आपको खुद को आइसोलेट कर लें. इसके अलावा, अगर आप खांसे तो मास्क जरूर लगाएं. ऐसा करके आप खुद को संक्रमण से बचा सकते हैं.

डॉ. बताते हैं कि अगर किसी की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है, या किसी को लंग्स या डायबिटीज की समस्या है, तो उसे भीड़भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचना चाहिए. अगर किसी कारणवश जाना भी पड़ रहा है, तो उसे मास्क जरूर पहनना चाहिए, क्योंकि आमतौर पर देखा जाता है कि कम उम्र वाले, बुजुर्ग और जिन लोगों की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है, उनके अंदर संक्रमण की आशंका ज्यादा रहती है, क्योंकि यह वायरस खांसने और छींकने से फैलता है. जिसे देखते हुए आपको विशेष सावधानी बरतनी होगी.

उधर, कई जगह यह दावा किया जा रहा है कि यह वायरस चीन से आया है, तो ऐसी स्थिति में यह सवाल लोगों के जेहन में है क‍ि क्या यह वायरस चीन से आया है, तो इस पर डॉ. कहते हैं कि बिल्कुल भी नहीं. यह वायरस चीन से नहीं आया है. इस वायरस की खोज सबसे पहले हॉलैंड के एक वैज्ञानिक ने की थी. 1958 में कुछ वैज्ञानिकों इसके ब्लड सैंपल को संभालकर रखे थे, जब इसकी एंटीबॉडी चेक की गई, तो उसी में से इस वायरस का एवीसेंड मिला. यह वायरस चीन से नहीं आया है, यह दुनिया में पहले से मौजूद है. वहीं, अगर कोरोना की बात करें, तो वो भी चीन से नहीं आया था. यह वायरस भी पूरी दुनिया में पहले से ही मौजूद है, लेकिन चीन में एक नए फॉर्म में आया था. आप कह सकते हैं कि कोविड-19 कोरोना वायरस का एक नया प्रतिरूप है.

डॉ. बताते हैं कि अगर आप इस वायरस से संक्रमित हो जाते हैं, तो किसी भी कीमत पर तीन पांच दिन तक अपने घर से बाहर न निकलें. इसके बाद वायरस का प्रभाव खुद ब खुद खत्म हो जाएगा. जब तक खांसी, जुकाम और बुखार न उतर जाए, तब तक विशेष सावधानी रखें और खुद को आइसोलेट रखें.