हम पर नेताओं का नहीं, उनके द्वारा बनाए गए कानूनों का शासन है: NSA अजित डोभाल
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल (Photo Credit-PTI)

नई दिल्ली: सीबीआई में मचे घमासान के बीच राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल ने गुरुवार को सरदार पटेल मेमोरियल में बोलते हुए सरकार का पक्ष रखा. डोभाल ने कहा, 'हम पर जनता के प्रतिनिधियों का नहीं, उनके बनाए कानूनों का शासन है, इसलिए कानून का राज बेहद अहम है.' अजित डोभाल ने कहा कि देश को अगले दस सालों तक कड़े फैसले लेेने वाली मजबूत सरकार की जरूरत है. भारत को इस समय ऐसी निर्णायक सरकार की जरूरत है, जो देशहित में कड़े फैसले ले सके.

सरदार पटेल मेमोरियल लेक्चर में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजित डोभाल ने कहा, 'फर्जी और झूठी कहानियों से जातीय, नस्ली हिंसा और दंगे फैलते हैं. फर्जी और झूठी कहानियां देश को बहुत दुर्बल बना सकती हैं.'

अगले 10 साल के लिए निर्णायक सरकार की जरुरत

डोभाल ने कहा कि कमजोर लोकतंत्र ऐसा देश बनाते हैं, जो 'नर्म शक्तियां' बनकर रह जाते हैं. भारत 'नर्म शक्ति' नहीं बन सकता है. उसे ऐसे कदम उठाने होंगे, जिनसे वह 'मज़बूत शक्ति' की काबिलियत हासिल कर सके. भारत को अगले 10 साल के लिए ऐसी निर्णायक सरकार की ज़रूरत है, जो कड़े फैसले ले सके, जो लोगों के भले के लिए हों, भले ही लोकप्रिय फैसले न हों.' बिहार में बीजेपी ने मुख्यमंत्री का अपहरण कर लिया है : गुलाम नबी आजाद

2030 तक भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था 

देश के अर्थव्यवस्था पर बात करते हुए डोभाल ने कहा कि डोभाल ने आगे कहा कि 70 के दशक में अर्थव्यवस्था के मामले में भारत चीन से आगे था लेकिन मौजूदा समय 2019 में चीन भारत से बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है. देश की अर्थव्यवस्था को बढ़ाने के लिए हमें एक स्थाई सरकार की जरूरत है. इस दौरान उन्होंने यह भी दावा किया कि वर्ष 2030 तक भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा.

उन्होंने कहा, 'सरकार के लोकप्रिय कदमों को राष्ट्रहित से ऊपर नहीं रखा जाना चाहिए. कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी हमारे लिए संकट है, इसलिए देश को उस स्थिति का सामना करना ही होगा.

डोभाल ने आगे कहा कि देखिए, चीन की 'अलीबाबा' और अन्य किस तरह बड़ी कंपनियां बन गईं, चीन की सरकार ने उन्हें कितना समर्थन दिया. हम चाहते हैं कि भारतीय निजी क्षेत्र की कंपनियां अच्छा प्रदर्शन करें, और भारत के रणनीतिक हितों को बढ़ावा दें.' अगर हमें बड़ी ताकत बनना है, तो हमारी अर्थव्यवस्था भी बड़ी होनी चाहिए, वैश्विक स्तर पर प्रतियोगी होनी चाहिए, और ऐसा तभी हो सकता है, जब हमारी अर्थव्यवस्था तकनीकी रूप से आगे हो.'