अटल थे, अटल हैं और अटल ही रहेंगे: उत्तर प्रदेश के इन नदियों में प्रवाहित की जाएंगी वाजपेयी जी की अस्थियां
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नई दिल्ली. नई दिल्ली के एम्स अस्पताल में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 16 अगस्त की शाम 5.05 बजे अंतिम सांस ली. जिसके बाद क्या आम और खास सभी दुखी हैं. हर कोई अपने अंदाज अपने प्रिय नेता अटल जी के प्रति अपनी सवेंदना प्रकट कर रहा है. वाजपेयी का पार्थिव शरीर दिल्ली में उनके घर 6A कृष्णा मेनन मार्ग से अब बीजेपी मुख्यालय रखा गया है. दोपहर 1 बजे से अटल जी अंतिम यात्रा शुरू होगी.

दिल्ली के कई मार्गों से होती हुई अटल बिहारी जी की अंतिम यात्रा राजघाट के पास राष्ट्रीय स्मृति पर खत्म होगी. जहां शाम 4 बजे अटल जी का अंतिम संस्कार किया जाएगा. अटल बिहारी वाजपेयी का उत्तर प्रदेश से विशेष लगाव रहा है. यही कारण है कि यूपी की सरकार ने 7 दिनों का राजकीय शोक रखा है. इसके अलावा राज्य के सभी सरकारी कार्यालय, स्कूल, कॉलेजों को आज बंद रखने का फैसला किया गया है. वहीं अटल जी के अंतिम संस्कार के बाद उनकी अस्थियां हर जिले की पवित्र नदियों में प्रवाहित की जाएंगी.

अटल का अटल सफरनामा

अटल बिहारी वाजपेयी को 2014 में देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया था. उनके जन्मदिवस 25 दिसंबर को सुशासन दिवस के रूप में मनाया जाता है. वाजपेयी 3 बार भारत के प्रधानमंत्री रहे. पहली बार वह 1996 में प्रधानमंत्री बने और उनकी सरकार सिर्फ 13 दिनों तक ही चल पाई थी. साल 1998 में वह दूसरी बार प्रधानमंत्री बने, तब उनकी सरकार 13 महीने तक चली थी. 1999 में वाजपेयी तीसरी बार प्रधानमंत्री बने और पांच सालों का कार्यकाल पूरा किया.

अटल बिहारी वाजपेयी को 1971 में बांग्लादेश की स्वतंत्रता के लिए पाकिस्तान पर विजय प्राप्त करने के बाद इंदिरा गांधी को दुर्गा कहकर प्रशंसा करने के लिए भी जाना जाता है. उनमें विदेश नीति मुद्दे की विशिष्ट योग्यता थी और तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव ने उन्हें संयुक्त राष्ट्र मानवधिकार कांफ्रेंस में पाकिस्तान के कश्मीर अभियान का जवाब देने के लिए भारतीय प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई करने के लिए चुना था.