सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्रियों द्वारा कथित रूप से किराए का भुगतान न करने के मामले में सोमवार को केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल 'निशंक' के खिलाफ उत्तराखंड हाईकोर्ट की अवमानना की कार्यवाही पर रोक लगा दी है. न्यायाधीश रोहिंटन फली नरीमन, नवीन सिन्हा और हृषिकेश रॉय की एक पीठ ने पोखरियाल की ओर से दायर याचिका पर यह फैसला सुनाया. उत्तराखंड हाईकोर्ट ने पिछले साल मई में राज्य के पूर्व मुख्यमंत्रियों को, जितने भी समय वह सरकारी आवास में रहे, उस अवधि का बाजार दर से किराया देने का आदेश दिया था. हाईकोर्ट ने राज्य के पूर्व मुख्यमंत्रियों को आवास और अन्य सुविधाएं प्रदान करने के संबंध में 2001 से सभी सरकारी आदेशों को अवैध और असंवैधानिक घोषित कर दिया था. यह भी पढ़ें: कोरोना संकट: सुप्रीम कोर्ट का सभी राज्यों को निर्देश, डॉक्टर्स-मेडिकल स्टाफ की सैलरी समय पर दें
यह आदेश देहरादून के एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) की ओर से दायर याचिका पर पारित किया गया है. इस एनजीओ ने आदेश का पालन न करने का आरोप लगाते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को पूर्व मुख्यमंत्रियों को प्रदान की गई बिजली, पानी, पेट्रोल, तेल और अन्य सुविधाओं की सभी देय राशि की गणना करने का निर्देश दिया था.
अदालत ने निर्देश जारी किया था कि यह प्रक्रिया चार महीने के भीतर पूरी की जानी चाहिए। साथ ही हाईकोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्रियों को आवास और अन्य सुविधाओं का बकाया छह माह के भीतर जमा करने के निर्देश दिए थे.