चमोली आपदा के बाद उत्तराखंड पर फिर मंडरा रहा है खतरा? ऋषि गंगा में बनी झील से घबराए स्थानीय लोग

उत्तराखंड के वैज्ञानिकों को ऋषिगंगा नदी के छह किलोमीटर उपर एक हिमनदीय झील मिली है. स्थानीय लोग आपदा के बाद उनके इलाके में झील का निर्माण होने को लेकर काफी परेशान हैं.

चमोली आपदा (Photo Credits: ANI)

देहरादून: चमोली (Chamoli) में 7 फरवरी को ग्लेशियर टूटने से भारी तबाही आई. इस हादसे के बाद ऐसा ही एक खतरा उत्तराखंड पर फिर से मंडराने लगा है. इस खतरे की वजह है ऋषि गंगा में बनी बड़ी झील. दरअसल उत्तराखंड के वैज्ञानिकों को ऋषिगंगा नदी के छह किलोमीटर उपर एक हिमनदीय झील मिली है. इस झील का पता लगाने वाले वाडिया इंस्टीटयूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी ने हालांकि, कहा कि अभी यह नहीं मालूम हो सका है कि इस झील से निचले इलाकों में रहने वाली जनसंख्या को कोई खतरा है या नहीं. इंस्टीटयूट के निदेशक कलाचंद साई ने बताया, "संस्थान के वैज्ञानिकों के एक दल ने रविवार को आई आपदा के एक दिन बाद ऋषिगंगा के उपरी क्षेत्र का हवाई सर्वेंक्षण किया था और वहां एक नयी बन रही हिमनदीय झील को देखा था."

चमोली जिले में सात फरवरी को आई आपदा से सर्वाधिक प्रभावित ऋषिगंगा के उपरी क्षेत्र में एक झील बनने की सूचना के बाद वैज्ञानिकों का एक दल निरीक्षण करने मौके पर जा रहा है. चमोली की जिलाधिकारी स्वाति एस भदौरिया ने बताया कि 'भारतीय भूगर्भ सर्वेंक्षण की आठ—सदस्यीय टीम गठित की गयी है जो ऋषिगंगा के उपरी क्षेत्र का निरीक्षण कर जिला प्रशासन को अपनी रिपोर्ट देगी.'

चमोली जिले के विभिन्न क्षेत्रों से आई खबरों में कहा गया है कि ऋषिगंगा का प्रवाह गुरुवार दोपहर से अचानक बढ़ गया है. इसके बाद एहतियात के तौर पर संवेदनशील इलाकों में तलाशी अभियान पर भी वितरित असर पड़ा है. अधिकारियों को एनटीपीसी के 520 मेगावॉट की तपोवन-विष्णुगाड जलविद्युत परियोजना की सुरंग के अंदर भी तलाशी अभियान स्थगित करना पड़ रहा है. जब सैलाब आया था तो सुरंग के आसपास के क्षेत्र में काफी मलबा और पानी पहुंच गया था. इस सुरंग में कई लोगों के फंसे होने की संभावना है, जिन्हें निकाले जाने को लेकर कई दिनों से अभियान चल रहा है. ऋषिगंगा धौलीगंगा नदी की एक सहायक नदी है, जिस पर तपोवन परियोजना का काम चल रहा है.

गुरुवार सुबह से ही ऋषिगंगा परियोजना के आसपास के ग्रामीण आपदा के बाद उनके इलाके में झील का निर्माण होने को लेकर काफी परेशान हैं और वह इस बारे में पता लगाने के लिए जिला प्रशासन को शिकायत कर रहे हैं. रैणी गांव के ग्राम प्रधान भगवान सिंह ने कहा, "हमारे रैणी गांव के लोग इस झील के बारे में सुनकर बहुत डर गए हैं. हमें उम्मीद है कि प्रशासन इस संबंध में आवश्यक कदम उठाएगा."

ऋषिगंगा नदीं के पास स्थित सलधर गांव के आशीष रावत ने कहा, "हमारी रातों की नींद हराम हो गई है." ग्राम प्रधान ने कहा कि रैणी में कुछ लोग, जो आपदा से बुरी तरह प्रभावित हैं, इतने भयभीत हैं कि वे अपने घरों में नहीं जा रहे हैं और ऊंचाई वाले क्षेत्रों में सर्द रातें गुजार रहे हैं. कांग्रेस महासचिव हरीश रावत ने भी सरकार से झील निर्माण मुद्दे पर शीघ्र कदम उठाने को कहा है.

(इनपुट: एजेंसी)

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