उत्तराखंड के चमोली जिले में रविवार को एक बड़ी त्रासदी हुई, जब नंदादेवी ग्लेशियर जोशीमठ में टूट गया, जिससे धौली गंगा नदी में बड़े पैमाने पर बाढ़ आ गई. इस क्षेत्र में भारी बाढ़ से कम से कम 8 लोगों की मौत हो गई और 170 से अधिक लापता हो गए. दो बिजली परियोजनाएं एनटीपीसी की तपोवन-विष्णुगढ़ जल विद्युत परियोजना और ऋषि गंगा हाइडल परियोजना को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचा है.
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि वह राज्य में स्थिति की लगातार निगरानी कर रहे हैं. "भारत उत्तराखंड के साथ खड़ा है, सभी की सुरक्षा के लिए प्रार्थना करता है", उन्होंने कल ट्वीट किया था. उन्होंने पश्चिम बंगाल में एक रैली को संबोधित करते हुए, आपदा से लड़ने में सभी मदद का आश्वासन दिया और कहा कि वह उत्तराखंड के मुख्यमंत्री और गृह मंत्री अमित शाह के साथ लगातार संपर्क में हैं और बचाव और राहत कार्य जारी हैं. प्रधान मंत्री ने घटना में मारे गए लोगों के परिवार को 2 लाख रुपये के मुआवजे की घोषणा की हैं. वहीँ उत्तराखंड के सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने मृतकों के परिवार को 4 लाख रुपये के मुआवजे की घोषणा की है. यह भी पढ़ें: Uttarakhand Glacier Burst: उत्तराखंड के चमोली के तपोवन की सुरंग से लोगों को निकालने का काम जारी, 170 लोग लापता; पढ़े लेटेस्ट अपडेट
केदारनाथ बाढ़ त्रासदी के बाद यह अब तक की यह सबसे बड़ी प्राक्रतिक आपदा है. नदी किनारे बसे लोगों को को जान माल की हानि हुई है. बता दें कि देवभूमि उत्तराखंड पिछले तीन दशकों में बड़ी प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित हुई हैं. आइए उनमें से कुछ पर एक नज़र डालें:
1991 उत्तरकाशी भूकंप: 19 अक्टूबर 1991 को राज्य में 6.8 की तीव्रता वाले भूकंप के बाद कम से कम 768 लोग मारे गए और हजारों घर नष्ट हो गए. भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर (IITK) के वैज्ञानिकों ने 27 अक्टूबर से 4 नवंबर के बीच प्रभावित क्षेत्र में एक सर्वेक्षण किया. इस सर्वेक्षण से पता चला था कि इस भूकंप से 1,294 गांवों में 300,000 से अधिक लोग सदमे से प्रभावित थे.
1998 मालपा भूस्खलन: पिथौरागढ़ जिले के मालपा के छोटे से गांव में हुए भूस्खलन में 255 लोग मारे गए. जिसमें 55 कैलाश मानसरोवर तीर्थयात्री शामिल थे. इन लैंडस्लाइड की वजह से शारदा नदी आंशिक रूप से अवरुद्ध हो गई थी.
1999 चमोली भूकंप: साल 1999 में चमोली जिले में आए 6.8 तीव्रता के भूकंप में 100 से अधिक लोगों की मौत हुई थी. निकटवर्ती रुद्रप्रयाग जिला भी भारी प्रभावित हुआ था. भूकंप के परिणामस्वरूप कई जमीनी विकृतियां हुईं, और भूस्खलन और जल प्रवाह में बदलाव भी दर्ज किए गए. सड़कों और जमीन पर दरारें देखी गईं थीं. यह भी पढ़ें: Uttarakhand Glacier Burst: उत्तराखंड हादसे में मृतकों के परिजनों को 4 लाख देगी राज्य सरकार, प्रधानमंत्री राहत कोष से 2 लाख की मदद
2013 केदारनाथ बाढ़: साल 2013 में उत्तराखंड में बहु-दिवसीय बादल फटने के बाद लगभग 6,000 लोग मारे गए थे, जिसके कारण बाढ़ और भूस्खलन से भारी तबाही हुई थी. हादसे में पुल और सड़कें नष्ट होने के कारण चार धाम तीर्थ स्थलों की ओर जाने वाली घाटियों में 3 लाख से अधिक लोग फंस गए थे.
बता दें कि उत्तराखंड के चमोली क्षेत्र में एक मल्टी-एजेंसी बचाव अभियान अभी भी जारी है. SDRF सदस्य मंदाकिनी नदी के स्तर के कम होने की प्रतीक्षा कर रहे हैं ताकि वे सुरंग में फंसे लोगों के लिए बचाव अभियान शुरू कर सकें. इस घटना ने 2013 के केदारनाथ जलप्रलय की आपदा की याद दिला दी है.