देहरादून. उत्तराखंड के जंगलों में भीषण आग से तबाही शुरू। उत्तराखंड के जंगलों में फैली आग ने लिया विकराल रूप..' आदि सनसनीखेज खबरें फर्जी हैं। यह सिर्फ राज्य को बदनाम करने की साजिश भर है. जंगल में आग की जो तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं, वे कई साल पुरानी हैं. साथ ही इस फजीर्वाड़े में कुछ विदेशियों के भी शामिल होने की बात निकल कर सामने आ रही है. राज्य पुलिस ने इस तरह की फर्जी अफवाह फैलाने वालों की धरपकड़ के लिए कई टीमें बना दी हैं. जो भी आरोपी पकड़े जाएंगे, उन सभी के खिलाफ मुकदमा कायम करके उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेजा जाएगा.
यह बात राज्य के पुलिस महानिदेशक (अपराध एवं कानून-व्यवस्था) अशोक कुमार ने आईएएनएस से बुधवार को फोन पर कही. वरिष्ठ आईपीएस अशोक कुमार ने कहा, दो-तीन दिन से देश में ऐसी अफवाहें उड़ाई जा रही हैं कि उत्तराखंड राज्य के जंगलों में आग लग गई है। आग इस कदर विकराल रूप धारण करती जा रही है कि वह राज्य के लिए मुसीबत बन सकती है. अशोक कुमार ने आगे कहा, सोशल मीडिया के जरिए फैलाई जा रही इन खबरों को कथित रूप से पुष्ट करने के लिए लोग जंगल में आग की तस्वीरें भी वायरल कर रहे हैं। तथ्यों की जांच कराई गई तो पता चला कि यह सब महज कोरी अफवाह है. जिन तस्वीरों को दिखाया जा रहा है, वे पुरानी हैं. राज्य के जंगलों में इस वक्त कहीं भी इतनी भीषण आग का नाम-ओ-निशान नहीं है. यह भी पढ़ें-Forest Fire in Uttarakhand: उत्तराखंड के जंगलों में लगी आग की Fake Photos सोशल मीडिया पर वायरल, अधिकारियों ने पुरानी तस्वीरों को शेयर न करने की अपील की (Check Tweets)
इस तरह राज्य के जंगलों में भीषण आग भड़क उठने की खबरें क्यों और किस मकसद से फैलाई जा रही हैं? इन अफवाहों के फैलने से किसे लाभ मिलेगा? पूछने पर अशोक कुमार ने कहा, यह सिर्फ और सिर्फ कुछ शरारती तत्वों की हरकत है. यह महज एक माहौल खराब करने की कोशिश करने जैसी बात है, जिसे कानून की नजर में किसी भी कीमत पर उचित नहीं माना जा सकता है. यह एक गंभीर अपराध है। जांच के लिए टीमें गठित कर दी गई हैं.
डीजी लॉ एंड ऑर्डर ने आगे कहा, राज्य पुलिस ने इन खबरों को गंभीरता से लिया है। इन फर्जी खबरों से के स्क्रीन शाट्स भी हमारी टीमों ने जुटाए हैं. तकनीकी सर्विलांस की मदद से हम आरोपियों तक पहुंचने के लिए दिन रात जुटे हैं। जल्दी ही हम अफवाह फैलाने वालों तक पहुंच जाएंगे। जब आरोपी पकड़ में आएंगे, तो इस तरह की अफवाहों को फैलाने के पीछे की असली वजह तभी साफ हो पाएगी.
अशोक कुमार ने एक सवाल के जबाब में यह भी कहा, अब तक शुरुआती जांच में जो तथ्य सामने आए हैं, उनमें वायरल तस्वीरें पुरानी पाई गई हैं. वायरल की जा रही आग की तमाम तस्वीरें तो 2016 व सन् 2017 की हैं. प्रेस सूचना ब्यूरो ने भी अपनी फैक्ट फाइंडिंग टीम की जांच में इस मामले को फर्जी बताया है.
आखिर इतने बड़े स्तर पर उत्तराखंड के जंगलों में भीषण आग फैलाने की साजिश कोई फोकट में क्यों रचेगा? पुलिस महानिदेशक ने कहा, इसमें कुछ विदेशी लोगों का हाथ होने की बात भी पता चल रही है। साथ ही ऐसे तथ्य भी सामने आए हैं कि राज्य के जंगलों में भीषण आग लगने की बे-सिर पैर की अफवाहें फैला कर कुछ लोग मोटी रकम वसूली करने की भी जुगत में थे. हालांकि पुलिस ने तुरंत एक्शन में आकर इन सभी षड्यंत्रों को जहां का तहां रोक दिया है. पुलिस के एक्टिव होते ही षड्यंत्रकारियों ने खुद को डी-एक्टिवेट और भूमिगत कर लिया है. इससे भी हालांकि वे कानून की नजरों से ज्यादा दिन दूर नहीं रह पाएंगे.