शाहजहांपुर, 28 अप्रैल : यूपी में एक बेटे ने अपना मां का अंतिम संस्कार (Funeral) करने से इसलिए मना कर दिया, क्योंकि उसकी मौत कोरोना से हुई थी. जिसके बाद स्थानीय लोगों की मदद से बेटी ने अपनी मां का अंतिम संस्कार किया. 61 साल की सुदामा देवी सोमवार को कोविड 19 (COVID-19) से अपनी लड़ाई हार गईं, जिसके बाद उनके परिवार में से कोई भी व्यक्ति उनका शव लेने के लिए नहीं आया, जबकि उनके परिवार में उनका एक बेटा और एक बेटी है. उनके शराबी बेटे अजय ने उनकी बॉडी लेने से मना कर दिया जिस कारण उनका शव कई घंटो तक मार्चुरी में ऐसे ही पड़ा रहा. उनकी बेटी मंजू पावयन शहर में रहती है लेकिन उसके पास शाहजहाँपुर जाने के लिए पैसे नहीं थे जहाँ उसकी माँ रहती थी. शव तीन दिनों तक शाहजहांपुर मेडिकल कॉलेज की मोर्चरी में रखा रहा.
एक स्थानीय पत्रकार, मीरजुद्दीन खान, जो अपने निजी समाचार पोर्टल के लिए अस्पताल से रिपोटिर्ंग कर रहे थे, को इस मामले के बारे में पता चला, तो एक एम्बुलेंस चालक की मदद से, उन्होंने पैसे जमा किए और मंजू को जिला अस्पताल पहुंचाने की व्यवस्था की. खान ने कहा, "जब मैंने महिला के बेटे से संपर्क किया, तो उसने संक्रमण के कारण दाह संस्कार में आने से इनकार कर दिया. उसकी छोटी बहन आना चाहती थी, लेकिन उसके पास पैसे नहीं थे. तब एक एम्बुलेंस चालक, वीरू कुमार, और मैंने पैसे एकत्र किए और सुनिश्चित किया कि महिला का अंतिम संस्कार उसकी बेटी की उपस्थिति में होगा. " यह भी पढ़ें : कोरोना संक्रमित मरीज का स्वस्थ होने के चार से आठ सप्ताह बाद हो टीकाकरण : विशेषज्ञ
मंजू ने संवाददाताओं से कहा, "मेरा भाई नहीं आया, लेकिन मुझे अब कई भाई मिल गए हैं. उन्होंने सुनिश्चित किया कि मेरी मां का अंतिम संस्कार पूरे विधि विधान के साथ होगा." अजय ने अपनी मां को जिला अस्पताल में भर्ती कराया था और कोविड के सकारात्मक परीक्षण के बाद उसे वहां छोड़ दिया था. मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ यू.पी. सिन्हा ने कहा, 23 अप्रैल को उनकी मौत के बाद महिला का बेटा अयाा नहीं. उसे डर था कि वह संक्रमित हो जाएगा. पर उनकी बेटी ने शव का अंतिम संस्कार किया.