बीएसपी प्रमुख मायावती का मीडिया से अनुरोध, कहा- सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी को तोड़-मरोड़ कर ना करे पेश
उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती (Photo credits ANI)

लखनऊ: बीएसपी (BSP) के शासनकाल में उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में बनाए गए मूर्तियों, स्मारक और पार्कों पर खर्च किए गये खर्च को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme court में एक याचिका दायर की गई थी. जिस याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने मायावती (Mayawati) को इन पर खर्च किए गए पैसों को सरकारी खजाने में जमा करवाने को लेकर आदेश दिया था. उनके इस  खबर को प्रिंट इलेक्ट्रॉनिक दूसरे अन्य मीडिया तेजी के साथ बता रही है. कोर्ट के इस टिपण्णी को लेकर मायावती का एक बयान आया है. उन्होंने अपने बयान में मीडिया से अनुरोध किया है वे सुप्रीम कोर्ट की टिपण्णी को तोड़-मरोड़ कर पेश ना करे. वहीं बीजेपी को लेकर बीएसपी सुप्रीमो ने तंज करते हुए कहा कि बीजेपी के लोग कटी पतंग ना बनें तो बेहतर है.

बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने अपने ट्वीट में लिखा है, "मीडिया कृपया करके माननीय सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी को तोड़-मरोड़ कर पेश ना करे. माननीय न्यायालय में अपना पक्ष ज़रूर पूरी मजबूती के साथ आगे भी रखा जाएगा. हमें पूरा भरोसा है कि इस मामले में भी मा. न्यायालय से पूरा इंसाफ मिलेगा. मीडिया व बीजेपी के लोग कटी पतंग ना बनें तो बेहतर है." यह भी पढ़े: उत्तर प्रदेश: मायावती को सुप्रीमकोर्ट का बड़ा झटका, BSP चिन्ह ‘हाथी’ और अपनी मूर्तियां बनवाने पर खर्च किए हुए पैसे का देना होगा हिसाब

मायावती ने अपने इस ट्वीट के बाद एक और ट्वीट किया. जिसमें उन्होंने लिखा, "सदियों से तिरस्कृत दलित व पिछड़े वर्ग में जन्मे महान संतों, गुरुओं व महापुरुषों के आदर-सम्मान में निर्मित भव्य स्थल, स्मारक, पार्क आदि उत्तर प्रदेश की नई शान, पहचान व व्यस्त पर्यटन स्थल हैं, जिसके आकर्षण से सरकार को नियमित आय भी होती है. यह भी पढ़े: मायावती को सुप्रीम कोर्ट ने दिया बड़ा झटका, लौटाना पड़ेगा मूर्ति निर्माण पर खर्च किया हुआ सारा पैसा

बता दें मूर्तियों के निर्माण से जुड़ी एक याचिका की सुनवाई के दौरान शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उनकी राय है कि मूर्तियों पर खर्च पैसे को मायावती सरकारी कोष में जमा करवाना चाहिए. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि प्रथम दृष्टया मूर्तियों, स्मारक और पार्कों पर खर्च हुए पब्लिक मनी को मायावती को सरकारी कोष में लौटना चाहिए. वहीं कोर्ट ने इस मामले की अगली तारीख की सुनवाई

2 अप्रैल को रखा है.