उत्तर प्रदेश: 2007 गोरखपुर विस्फोट मामले में हूजी ऑपरेटिव को उम्रकैद की सजा, बाराबंकी जेल में है बंद
गोरखपुर सेशंस कोर्ट ने 2007 में हुए सिलसिलेवार बम विस्फोटों के सिलसिले में हरकत-उल-जिहाद अल-इस्लामी (हूजी) ऑपरेटिव तारिक कासमी को उम्रकैद की सजा सुनाई है. यह चौथा मामला है जिसमें कासमी को उम्रकैद की सजा मिली है. वह वर्तमान में बाराबंकी जिला जेल में बंद है.
गोरखपुर/उत्तर प्रदेश, 23 दिसंबर: गोरखपुर सेशंस कोर्ट ने 2007 में हुए सिलसिलेवार बम विस्फोटों के सिलसिले में हरकत-उल-जिहाद अल-इस्लामी (Harkat-ul-Jihad Al-Islami) ऑपरेटिव तारिक कासमी को उम्रकैद की सजा सुनाई है. यह चौथा मामला है जिसमें कासमी को उम्रकैद की सजा मिली है. वह वर्तमान में बाराबंकी जिला जेल में बंद है. सरकारी वकील एसपी नारायण सिंह ने कहा, "अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश नरेंद्र कुमार सिंह ने सीरियल ब्लास्ट मामले में कासमी को उम्र कैद की सजा सुनाई है. कुल मिलाकर, 23 अभियोजन पक्ष के गवाहों की जांच की गई, जिनमें से सात अपने बयान से पलट गए थे."
वहीं, कासमी के वकील जलालुद्दीन खान ने कहा कि उनके मुवक्किल फैसले के खिलाफ अपील करेंगे. यूनानी डॉक्टर कासमी, शादीशुदा है और उसके चार बच्चे हैं. अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली तत्कालीन समाजवादी पार्टी सरकार ने 2013 में गोरखपुर विस्फोट मामले को वापस लेने के लिए अदालत में एक आवेदन दिया था, लेकिन इसे खारिज कर दिया गया था. 22 मई, 2007 को, गोरखपुर में पांच मिनट के भीतर तीन विस्फोट हुए, जिसमें छह लोग घायल हो गए.
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पुलिस जांच में पता चला कि विस्फोट चरमपंथी संगठनों इंडियन मुजाहिदीन और हूजी द्वारा किए गए थे. यूपी पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स ने 20 दिसंबर, 2007 को बाराबंकी रेलवे स्टेशन के पास जौनपुर के कासमी और एक अन्य संदिग्ध हूजी ऑपरेटिव खालिद मुजाहिद को गिरफ्तार किया और उनसे कथित तौर पर 1.25 किलोग्राम आरडीएक्स, छह डोटोनेटर्स, तीन सेलफोन, और दो सिम कार्ड जब्त किए थे.
गोरखपुर मामले के अलावा, पुलिस ने लखनऊ और फैजाबाद की अदालत में विस्फोट के मामले में भी खालिद और कासमी के खिलाफ मामला दर्ज किया. यह विस्फोट 23 नवंबर, 2007 को हुआ था. खालिद की 2013 में तब मौत हो गई जब पुलिस उसे लखनऊ जिला जेल से फैजाबाद ले जा रही थी.