लखनऊ, 2 दिसंबर : अंजलि पाल अभी 19 साल की हुई थी और अपने उसी उम्र के प्रेमी के साथ परियों जैसी जिंदगी जीना चाहती थी. लड़की के माता-पिता उसकी प्रेम कहानी से अनजान थे. वह अपने प्रेमी के नौकरी मिलने का इंतजार कर रही थी ताकि वह अपने माता-पिता को उससे शादी करने के अपने इरादे के बारे में बता सके. वह अक्टूबर 2023 की शाम थी, जब उसके माता-पिता कुछ रिश्तेदारों से मिलने गए थे. इस लिए उन्हें लौटने में कुछ घंटे लगने वाले थे. अंजलि की दो बहनें सुरभि (6) और रोशनी (7) जब खेलने के लिए बाहर गईं, तब उसने अपने प्रेमी को घर आने को कहा क्योंकि वह घर पर अकेली थी.
उसका प्रेमी घर आ गया और कुछ ही समय में दोनों इंटिमेट (अंतरंग) हो गए. तभी दोनों बहनें खेलकर लौटीं और अंजलि के कमरे का दरवाजा खोला. उन्होंने दोनों को आपत्तिजनक स्थिति में पकड़ लिया. इसलिए अंजलि को डर हो गया कि वे माता-पिता के सामने राज उगल देंगी. इसके बाद उसने अपने प्रेमी के साथ मिलकर दोनों बहनों पर फावड़े से हमला किया और उनका गला काट दिया. जब उसके माता-पिता वापस आये, तो वह शोक में परिवार के साथ शामिल हो गयी. एक सीनियर पुलिस अधिकारी ने कहा, ''जब पुलिस घटनास्थल पर पहुंची तो खून के धब्बों वाला एक फावड़ा (साफ किया हुआ लग रहा था) बरामद हुआ. हमें यह भी मिला कि कुछ कपड़े घर के अंदर सूखने के लिए छोड़े गए थे." यह भी पढ़ें : किशोर अपराधियों पर सख्त रुख अपनाने के आह्वान से अधिकारों पर छिड़ी बहस
मौके पर पहुंचे एएसपी सत्यपाल सिंह ने कहा, ''जांच के दौरान अंजलि बहुत शांत थी और इससे संदेह पैदा हुआ. उसके बयान भी विरोधाभासी थे.'' पुलिस को एक स्थानीय युवक के साथ उसके प्रेम संबंध के बारे में पता चला और उससे पूछताछ की गई. आख़िरकार वह टूट गई और अपना अपराध कबूल कर लिया जिसके बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया. उसके पिता और जिले के बहादुरपुर गांव के किसान जयवीर को विश्वास नहीं हो रहा था कि उनकी बेटी ऐसा अपराध कर सकती है. उसने कभी भी आक्रामकता का कोई संकेत नहीं दिखाया और अपने भाई-बहनों से प्यार करती थी. मैं यह पचा नहीं पा रहा हूं कि अंजलि ने अपनी बहनों की हत्या कर दी. पुलिस अधिकारियों ने कहा कि अंजलि का व्यवहार असामान्य था क्योंकि जैसे ही उसकी बहनों ने उसे देखा, उसने फावड़ा उठाया और उन पर हमला कर दिया.
पुलिस अधिकारी ने कहा कि लड़कियों को खून से लथपथ देखकर वह शांत रही, फावड़ा धोया, अपने प्रेमी को दूर भेजा और यहां तक कि अपने कपड़े भी धोए. यह चौंकाने वाली बात है कि इतनी कम उम्र की लड़की इतने जघन्य अपराध में शामिल हो सकती है. गिरफ्तारी के बाद भी, वह असामान्य रूप से शांत रही. मनोचिकित्सक डॉ. आर के सक्सेना ने कहा, ''मामले में एक महत्वपूर्ण बात यह है कि अंजलि मोबाइल की आदी थी और सेक्स व अपराध से संबंधित क्लिप देखती रही होगी. इसलिए अपराध करना उसके लिए कोई बड़ी बात नहीं लगती थी. अपराध करने वाले अधिकांश नाबालिग लड़कियों या लड़कों के पास मोबाइल फोन और इंटरनेट तक असीमित पहुंच पाई गई है.''
डॉक्टर ने नाबालिगों के लिए कानूनों को और अधिक सख्त बनाने का भी आह्वान किया. नाबालिग अपराधियों को आश्रय गृहों में भेज दिया जाता है और तीन साल बाद रिहा कर दिया जाता है. हमें कानूनों पर फिर से विचार करने की जरूरत है क्योंकि जो कोई ऐसे जघन्य अपराध कर सकता है उसे अपराध की गंभीरता के अनुरूप सजा की जरूरत है. इस मामले में, अंजलि ने दो नाबालिग बहनों की हत्या कर दी और कोई पछतावा नहीं दिखाया, जो अपराध को गंभीर बनाता है.