UP Mosque Row: स्वामी प्रसाद मौर्य ने योगी सरकार को दी चेतावनी, मस्जिद में मंदिर खोजने वालों को महंगा पड़ेगा
राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी के प्रमुख स्वामी प्रसाद मौर्य ने बुधवार को संभल हिंसा के संबंध में कहा कि अगर आप गड़े मुर्दे उखाड़ेंगे, तो मैं स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि मस्जिद में मंदिर खोजने वालों को महंगा पड़ेगा, क्योंकि अगर आप मस्जिद में मंदिर खोजेंगे, तो लोग मंदिरों में बौद्ध मठ खोजना शुरू कर देंगे.
लखनऊ, 11 दिसंबर : राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी के प्रमुख स्वामी प्रसाद मौर्य ने बुधवार को संभल हिंसा के संबंध में कहा कि अगर आप गड़े मुर्दे उखाड़ेंगे, तो मैं स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि मस्जिद में मंदिर खोजने वालों को महंगा पड़ेगा, क्योंकि अगर आप मस्जिद में मंदिर खोजेंगे, तो लोग मंदिरों में बौद्ध मठ खोजना शुरू कर देंगे.
उन्होंने कहा, “इतिहास इस बात का गवाह है कि केदारनाथ, बद्रीनाथ, जगन्नाथ पुरी, यह सब बड़े तीर्थस्थल थे. इन्हें आज हिंदू धर्म का स्वरूप दे दिया गया है. सम्राट अशोक ने 84 हजार बौद्ध स्तूप बनवाए थे. आखिर वो कहां चले गए. इससे साफ जाहिर होता है कि इन्हीं लोगों ने इसे तोड़कर मंदिर बनवाया है, इसलिए मैं स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि अगर आप मस्जिद में मंदिर खोजेंगे, तो हम मंदिरों में बौद्ध मठ खोजना कर देंगे, इसलिए देश में एकता बनाए रखने के लिए यह जरूरी हो जाता है कि 1947 से पहले के बाद जिस धर्म की स्थिति जैसी थी, मौजूदा समय में उसे वैसा ही रहने दिया जाए, उसके साथ किसी भी प्रकार का छेड़छाड़ नहीं किया जाए.” यह भी पढ़ें :Bengaluru Techie Case: अतुल सुभाष की भगत सिंह से तुलना, मृतक के भाई ने कहा, ”समाज में बदलाव लाने के लिए दिया बलिदान”
उन्होंने कहा, “हम चाहेंगे देश में भाईचारा बना रहे. किसी भी धर्म के लोगों के बीच में नफरत पैदा न हो. हमें इस बात का विशेष ध्यान रखना होगा.” वहीं, उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार की कार्यशैली पर भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा, “आज की सरकारें अपने कार्यों में बुरी तरह विफल रही हैं, जिससे आम जनता को भारी नुकसान हुआ है. बेरोजगारी, महंगाई, किसानों की समस्याएं, और शिक्षा जैसे मुद्दों पर केंद्र और राज्य सरकारों ने कोई ठोस कदम नहीं उठाए हैं. इसके कारण लोगों में असंतोष बढ़ रहा है, और सरकार के खिलाफ लगातार विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं.”
उन्होंने कहा, “केंद्र और प्रदेश में भाजपा की "डबल इंजन सरकार" ने कई बड़े वादे किए थे. लेकिन, अब यह महसूस हो रहा है कि यह सरकारें अपने वादों को पूरा करने में नाकाम साबित हो रही हैं. सरकारी नौकरियां खत्म हो गई हैं और महंगाई ने लोगों की हालत खराब कर दी है. खासकर किसान वर्ग पर इसका गहरा असर पड़ा है. किसान पहले ही कई वर्षों से कृषि संकट का सामना कर रहे हैं. लेकिन, सरकार की नीतियों से उनकी समस्याओं का समाधान नहीं हो पा रहा है. दिल्ली के बॉर्डर पर हजारों किसान पिछले कई महीनों से आंदोलन कर रहे हैं और वे अपनी फसलों के लिए उचित मूल्य की मांग कर रहे हैं. लेकिन, सरकार उनकी आवाज सुनने को तैयार नहीं है.”