प्रयागराज, 9 सितम्बर : सीबीआई ने प्रयागराज में जबरन वसूली के लिए लोगों को ब्लैकमेल करने के लिए अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अधिनियम के तहत झूठे बलात्कार और आपराधिक मामले दर्ज करने वाले एक गिरोह का भंडाफोड़ किया है. दरअसल, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिछले महीने जांच एजेंसी को गिरोह के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया था, जो निर्दोष लोगों के खिलाफ फर्जी मामले दर्ज कर रहा है. इनमें से ज्यादातर मामले जिले के ट्रांस गंगा क्षेत्र के मौइमा थाने में दर्ज हैं. हाईकोर्ट के एक वकील की जनहित याचिका पर रेप और एससी/एसटी एक्ट के 51 मामलों की जांच के आदेश जारी किए गए.
कुल मामलों में से 36 मामले मौइमा थाने में दर्ज हैं, जबकि दूसरे जिले के अन्य थानों में दर्ज हैं. सीबीआई की टीम मौइमा, कीडगंज, शिवकुटी, बहरिया, कर्नलगंज, फाफामऊ और दारागंज थाने में दर्ज 51 मामलों की लिस्ट लेकर प्रयागराज पहुंची. मौइमा थाने के पुलिस अधिकारियों ने कहा कि सीबीआई अधिकारियों को दर्ज 24 एफआईआर की कॉपियां मुहैया कराई गईं. पुलिस ने गैंगरेप के एक मामले में एफआईआर की कॉपी भी सीबीआई को सौंपी है. जिला पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सीबीआई अधिकारी अब विभिन्न पुलिस थानों में दर्ज मामलों में पीड़ितों से मिलेंगे और उनके बयान लेंगे. इस साल की शुरुआत में एक महिला ने दो वकीलों के खिलाफ दारागंज थाने में गैंगरेप का मामला दर्ज कराया था. यह भी पढ़ें : पलामू में मोटरसाइकिल शोरूम में आग लगने से बुजुर्ग महिला की मौत, 300 वाहन जलकर खाक
महिला ने दावा किया कि दोनों वकीलों ने उसकी नाबालिग बेटी के साथ कार में गैंगरेप किया. हालांकि, पुलिस जांच के दौरान, यह सामने आया कि दोनों को झूठे केस में फंसाया गया था और पीड़िता खुद इस बात से अनजान थी कि उसकी मां ने उसके खिलाफ किए गए एक कथित अपराध के लिए एफआईआर दर्ज कराई है. गैंगरेप के आरोपी दो वकीलों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और एक जनहित याचिका दायर की. उन्होंने दावा किया कि जिले में सक्रिय गिरोह निर्दोष लोगों को बलात्कार, एससी/एसटी अधिनियम आदि के फर्जी मामलों में फंसाकर उनसे पैसे वसूलने का काम कर रहा है. उनकी जनहित याचिका के जवाब में, हाईकोर्ट ने सीबीआई से मौइमा और जिले के अन्य पुलिस स्टेशनों में दर्ज 51 ऐसे मामलों की जांच शुरू करने को कहा.
एक अन्य मामले में 2021 में मौइमा थाने में एक महिला ने अपने गांव के पांच लोगों के खिलाफ गैंगरेप का मामला दर्ज कराया था. हालांकि बाद में महिला ने अपना बयान बदल दिया और आरोपी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की. पुलिस ने मामले में फाइनल रिपोर्ट सौंप दी थी. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि सीबीआई टीम को हाईकोर्ट के आदेश में उल्लिखित मामलों की एफआईआर की कॉपियां उपलब्ध कराई गई हैं. उन्होंने कहा कि मामले में बलात्कार, सामूहिक बलात्कार, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति अधिनियम के तहत और यहां तक कि कुछ पुलिस थानों में दर्ज मामूली हमले के मामले भी शामिल हैं.