UP: गरीब कोटे से यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर बनने वाले बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी के भाई ने दिया इस्तीफा, कहा- बिना किसी सिफारिश के हुआ था मेरा अपॉइंटमेंट
यूपी के बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी (Photo Credits: Twitter)

लखनऊ: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी (Satish Dwivedi) के भाई ने अपनी नियुक्ति पर सियासी घमासान शुरू होने के बाद असिस्टेंट प्रोफेसर के पद से इस्तीफा दे दिया है. योगी सरकार में मंत्री सतीश द्विवेदी के भाई डॉ अरुण द्विवेदी (Dr Arun Dwivedi) ने इस्तीफा देते हुए कहा कि वह मानसिक पीड़ा से गुजर रहे है. गरीब कोटे से उनकी नियुक्ति नियमों और प्रक्रियाओं के तहत हुयी थी, उनके बड़े भाई ने कोई सिफारिश नहीं की थी. प्रियंका गांधी बोलीं- पंचायत चुनाव ड्यूटी के दौरान हुई 1621 शिक्षकों की मौत पर लीपापोती न करे यूपी सरकार, इस तरह दे उन्हें सच्ची श्रद्धाजंली

पीएचडी कर चुके डॉ अरुण द्विवेदी ने इस्तीफा देने वाले पत्र में अपनी योग्यता का भी जिक्र किया है और कहा है कि उनके बड़े भाई सतीश द्विवेदी की छवि को धूमिल करने के लिए बेबुनियाद आरोप लगाये जा रहे है. इससे पहले उनके यूपी के बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी ने कहा था कि 'आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग' कोटे से सहायक प्रोफेसर के पद पर सिद्धार्थ विश्वविद्यालय में उनके भाई की नियुक्ति को लेकर लगाए जा रहे आरोप निराधार हैं और वह किसी भी जांच के लिए तैयार हैं.

द्विवेदी ने बीते शनिवार को सोनभद्र में एक सवाल के जवाब पर कहा कि उनकी तथा उनके भाई की आमदनी में अंतर है और नियुक्ति को लेकर लगाए जा रहे आरोपों का कोई आधार नहीं है. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय को चयन के लिए जो प्रक्रिया अपनानी थी, उसमें किसी तरह का कोई हस्तक्षेप नहीं किया गया है, फिर भी अगर किसी को कुछ गलत लगता है तो वह किसी भी जांच के लिए तैयार हैं.

दरअसल, कैबिनेट मंत्री के भाई की 'आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग' कोटे से सहायक प्रोफेसर के पद पर हुई नियुक्ति को लेकर तरह-तरह की चर्चा हो रही है. वहीं, सिद्धार्थ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सुरेंद्र दुबे ने रविवार को इस बारे में कहा कि अरुण द्विवेदी की आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग (ईडब्ल्यूएस) कोटा से विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर के पद पर नियुक्ति हुई है.

उन्होंने कहा कि नियुक्ति करते वक्त उन्हें यह मालूम नहीं था कि अरुण प्रदेश के बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी के भाई हैं. उन्हें सोशल मीडिया से इस बारे में पता चला. कुलपति ने कहा कि अगर अरुण की नियुक्ति के लिए लगाया गया ईडब्ल्यूएस प्रमाण पत्र फर्जी मिला तो उनके खिलाफ दंडात्मक कार्यवाही होगी.

उन्होंने बताया कि अरुण कुमार की नियुक्ति आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य अभ्यर्थी कोटे में मनोविज्ञान के सहायक प्रोफेसर के पद पर की गई है जिन्होंने पिछले शुक्रवार को विश्वविद्यालय में अपना पदभार भी ग्रहण कर लिया है.

कुलपति का कहना है कि मनोविज्ञान विभाग के इस पद के लिए लगभग 150 आवेदन आए थे. मेरिट के आधार पर 10 आवेदकों का चयन किया गया. इसमें अरुण कुमार पुत्र अयोध्या प्रसाद भी शामिल हैं. इन 10 आवेदकों का साक्षात्कार लिया गया जिसमें अरुण का मेरिट में दूसरा स्थान रहा. साक्षात्कार, शैक्षणिक योग्यता तथा अन्य मदों के अंक जोड़ने पर अरुण पहले स्थान पर आ गए. इसलिए उनका चयन हुआ है.

बहरहाल, मंत्री के भाई की गरीब कोटे से नियुक्ति को लेकर तरह-तरह के सवाल उठाए जा रहे हैं. इस बात को लेकर भी सवाल किए जा रहे हैं कि आखिर जब कुलपति का कार्यकाल 21 मई तक ही था तो 20 मई को उनका कार्यकाल अगले कुलपति की नियुक्ति होने तक क्यों बढ़ा दिया गया.