UP Assembly Election 2022: बीजेपी ने किया सुनिश्चित- अखिलेश के लिए अब करहल से चुनाव लड़ना आसान नहीं
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के लिए अब करहल से चुनाव लड़ना आसान नहीं होगा और भाजपा ने यहां से केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल को मैदान में उतारकर यह सुनिश्चित कर लिया है.
करहल मैनपुरी (यूपी), 7 फरवरी : समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के लिए अब करहल से चुनाव लड़ना आसान नहीं होगा और भाजपा ने यहां से केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल को मैदान में उतारकर यह सुनिश्चित कर लिया है. हालांकि जातीय समीकरण पूरी तरह से अखिलेश के पक्ष में झुका हुआ है, लेकिन भाजपा समर्थन के लिए गैर-यादव ओबीसी पर भरोसा कर रही है. करहल निर्वाचन क्षेत्र में कुल 3.7 लाख मतदाताओं में से अनुमानित 1.4 लाख यादव हैं. इस निर्वाचन क्षेत्र में दलित वोट लगभग 70,000 हैं और बीजेपी का गणित 'हिंदू फस्र्ट' कार्ड खेलना और दलितों और गैर-यादव ओबीसी के बीच की जाति की रेखाओं को मिटाना है.
करहल को समाजवादी गढ़ माना जाता है और 1993 के बाद से यहां सपा कभी चुनाव नहीं हारी. अखिलेश यादव के पैतृक गांव सैफई से करीब पांच किलोमीटर दूर स्थित करहल का यादव परिवार से गहरा भावनात्मक जुड़ाव है. स्थानीय शिक्षक धनराज यादव कहते हैं, "यादव कारक के अलावा, जो निस्संदेह हावी है, लोग जानते हैं कि अखिलेश को वोट देकर, वे एक मुख्यमंत्री का चुनाव कर रहे हैं और यही सब कुछ बदल रहा है. यादव परिवार हमेशा से लोगों के साथ रहा है और हम अपनी समस्याओं के साथ उन तक पहुंचते हैं." भाजपा प्रत्याशी एसपी सिंह बघेल (61) यादव परिवार के एक सदस्य को तीसरी बार करहल से चुनावी जंग में चुनौती देंगे. यह भी पढ़ें : Odisha: पंचायत चुनाव की बैठकों में 300 लोगों के शामिल होने की अनुमति दी गई
बघेल 2009 में अखिलेश यादव, 2009 में डिंपल यादव (उपचुनाव) और 2014 में फिरोजाबाद से अक्षय यादव के खिलाफ चुनाव लड़ चुके हैं. बघेल, संयोग से, मुलायम सिंह यादव की सुरक्षा में थे, जब वे उत्तर प्रदेश पुलिस में उप-निरीक्षक थे और यह मुलायम ही थे जिन्होंने उन्हें राजनीति में उतारा था. स्थानीय निवासी सुशील त्यागी ने कहा, "बघेल एक विश्वासघाती है. उन्हें उस परिवार के खिलाफ क्यों लड़ना है जिसने उन्हें आज बनाया है. वह सड़कों पर एक और पुलिसकर्मी होते अगर नेताजी (मुलायम) ने उन्हें राजनीति में लाने की शुरूआत नहीं की होती. करहल के लोग भावनात्मक रूप से यादव परिवार से जुड़े हुए हैं और बघेल के उम्मीदवार को बहुत दयालुता से नहीं देखा जा रहा है."
फिर भी, बघेल के लिए घर-घर प्रचार करने और अखिलेश की जीत के अंतर को कम करने के लिए भाजपा कार्यकर्ता ओवरटाइम कर रहे हैं. भाजपा के एक पदाधिकारी ने कहा, "हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि अखिलेश इस निर्वाचन क्षेत्र में टिके रहें और हाशिये के लिए लड़ें. आप कभी नहीं जानते, अगर दलित यहां गैर-यादव ओबीसी के साथ हाथ मिलाते हैं तो वह धूल चटा सकते हैं." बघेल दलितों में धनगर उप जाति के हैं और उन्हें दलित वोट मिलने का भरोसा है.