नई दिल्ली: राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड (NMPB) और राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान (सीएसआईआर-एनबीआरआई) ने भारत में औषधीय पौधों और जड़ी-बूटियों की खेती और उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए संयुक्त सहयोगात्मक प्रयासों के विस्तार के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। समझौता ज्ञापन एनएमपीबी द्वारा पहचाने गए औषधीय पौधों और जड़ी-बूटियों की गुणवत्ता रोपण सामग्री (क्यूपीएम) के विकास की सुविधा प्रदान करेगा, क्यूपीएम के लिए उनकी नर्सरी स्थापित करने में मदद करेगा, विभिन्न कृषि-जलवायु क्षेत्रों में उपयुक्त औषधीय पौधों के विकास, संवर्धन, संरक्षण और खेती में मदद करेगा. इनमें उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों के लिए संकटग्रस्त औषधीय पौधों की प्रजातियां और पौधे शामिल हैं.
इस सहयोग के माध्यम से एनएमपीबी जर्मप्लाज्म संग्रह या नर्सरी, बीज बैंकों और जीन बैंकों के संरक्षण और स्थापना के लिए उच्च वाणिज्यिक मूल्य के साथ संभावित औषधीय पौधों की प्रजातियों को आगे बढ़ाने में सीएसआईआर-एनबीआरआई का समर्थन करेगा। एमओयू शुक्रवार को साइन किया गया. यह भी पढ़े: World Environment Day 2021: इस वर्ष ‘पारिस्थितिकी तंत्र संरक्षण’ की थीम के साथ मनाया जाएगा विश्व पर्यावरण दिवस
एनबीआरआई औषधीय पौधों का सर्वेक्षण करते हुए एनएमपीबी के साथ मिलकर टागरेट वाले क्षेत्रों की दिशा में काम करेगा. एनएमपीबी और इसकी कार्यान्वयन एजेंसियों जैसे राज्य औषधीय पादप बोर्ड (एसएमपीबी), क्षेत्रीय-सह-सुविधा केंद्र इस समझौता ज्ञापन के दायरे में मिलकर काम करेंगे.
आयुष मंत्रालय के तहत काम करते हुए, एनएमपीबी औषधीय पौधों से संबंधित सभी मामलों का समन्वय करने और औषधीय पौधों के व्यापार, निर्यात, संरक्षण और खेती के विकास के लिए नीतियों और कार्यक्रमों का समर्थन करने के लिए अनिवार्य है.