फेसबुक, व्हाट्सएप और ट्विटर की लंबे समय तक बादशाहत के बाद अब इनकी बदलती नीतियों और विचारों की अभिव्यक्ति को लेकर टकराव के बाद लोग नए विकल्प की तलाश में लगे हैं. ऐसे में कुछ दिनों से व्हाट्सएप के विकल्प के रूप में लोग जहां सिग्नल और टेलीग्राम का रुख कर रहे हैं, वहीं अब माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्विटर के लिए भारतीय ऐप ‘Koo’ विकल्प बन कर उभरा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी 'मन की बात' कार्यक्रम में "कू" ऐप की चर्चा कर चुके हैं.
भारत में काफी समय से स्वदेशी ऐप पर बातें पहले भी होती रही हैं, और तमाम ऐप भी आये। उसी शृंखला में कू ऐप के सह-संस्थापक और सीईओ अप्रमेय राधाकृष्ण ने इस दिशा में अपने कदम आगे बढ़ाए और मेड इन इंडिया माइक्रोब्लॉगिंग ऐप लेकर आए। यह ऐप पिछले वर्ष सरकार के आत्मनिर्भर ऐप इनोवेशन चैलेंज के विजेताओं में दूसरे स्थान पर था. इसके साथ ही इस ऐप को 2020 के लिए गूगल प्लेस्टोर के सर्वश्रेष्ठ दैनिक आवश्यक ऐप माना गया. यह भी पढ़े: Koo App क्या है? मेड इन इंडिया ‘कू’ क्यों कहा जा रहा है ट्विटर का बेहतरीन विकल्प
कई केंद्रीय मंत्री ने किया ‘कू’ का रुख
वहीं पिछले कुछ दिनों से ट्विटर पर सामग्री और कई अकाउंट पर रोक लगाने के बाद सरकार और माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म ट्विटर के बीच विवाद चल रहा है। इन सब के बीच कई केंद्रीय मंत्री और सरकारी विभाग ट्विटर पर से मेड-इन-इंडिया कू ऐप पर विकल्प के रूप में अपने अकाउंट बना रहे हैं.
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने मंगलवार को इस बात की जानकारी भी दी और कहा, “मैं अब कू ऐप पर हूं। इस भारतीय माइक्रो-ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म पर मेरे साथ जुड़ें। आइए हम कू पर अपने विचारों और विचारों का आदान-प्रदान करें।” पीयूष गोयल के अलावा कई और मंत्रियों और मंत्रालयों ने भी कू ऐप का इस्तेमाल शुरू कर दिया है। केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद के पास पहले से ही कू पर एक वैरिफाइड हैंडल है। अन्य सरकारी विभाग जैसे केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड, और MyGovIndia, भी कू ऐप पर मौजूद हैं। इस ऐप को अब तक 10 लाख से भी ज्यादा लोगों ने इंस्टॉल कर लिया है.
ऐप को इन कंपनियों ने दिए फंड
हाल ही में इस ऐप ने निवेशकों के एक समूह से 4.1 मिलियन डॉलर जुटाए, जिसमें पूर्व इंफोसिस सीएफओ मोहनदास पाई की 3one4 कैपिटल की ओर से, एक्सेल पार्टनर्स, कलारी कैपिटल, ब्लम वेंचर्स और ड्रीम इनक्यूबेटर द्वारा समर्थित एक इकाई शामिल है.