Prayagraj Flood: ये कृष्ण लीला के मंचन का VIDEO नहीं, हकीकत है प्रयागराज की; देखें स्मार्ट सिटी की खौफनाक सच्चाई
Photo- @SanjayAzadSln/X

Prayagraj Flood: यूपी के प्रयागराज से आई एक मार्मिक तस्वीर इन दिनों हर किसी के दिल को छू रही है. सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा ये वीडियो बताता है कि जब बात अपने बच्चे की जान बचाने की हो, तो मां-बाप किसी भी हद तक जा सकते हैं. पानी की तेज धारा, डूबता रास्ता और कंधे तक बहता बाढ़ का पानी भी इन माता-पिता के हौसले को नहीं रोक पाया. वीडियो में साफ दिख रहा है कि एक मां और पिता अपने नवजात बच्चे को दोनों हाथों से ऊपर उठाए हुए बाढ़ के बीच से निकलने की कोशिश कर रहे हैं.

खुद की जान की परवाह किए बिना, बस एक ही फिक्र, कहीं हमारे बच्चे को कुछ न हो जाए. चेहरे पर घबराहट है, पैर डगमगा रहे हैं, लेकिन इरादा मजबूत है.

ये भी पढें: VIDEO: प्रयागराज से पटना तक बाढ़ का कहर, गंगा-यमुना खतरे के निशान से ऊपर, उफनती नदियों ने मचाई तबाही

बाढ़ के बीच मां-बाप की जद्दोजहद

कहां है सिंचाई विभाग का 'बांध निर्माण' बजट?

यह नजारा प्रयागराज के एक बाढ़ग्रस्त इलाके का है, जहां पिछले कुछ दिनों से लगातार पानी का स्तर बढ़ता जा रहा है. कई गांव जलमग्न हो चुके हैं और हजारों लोग राहत की बाट जोह रहे हैं. ऐसे में यह वीडियो उन तमाम सवालों को जन्म देता है जो हर साल बाढ़ के साथ लौट आते हैं, क्या हमारी व्यवस्था तैयार है? क्या समय पर मदद पहुंच पा रही है? या फिर हर बार आम आदमी को खुद ही अपनी लड़ाई लड़नी पड़ती है?

कहां है मुख्यमंत्री 'बाढ़ आपदा' का बजट?

वीडियो को जिसने भी देखा, उसकी आंखें नम हो गईं. कोई इसे इंसानियत की मिसाल बता रहा है, तो कोई सिस्टम की असफलता पर गुस्सा जता रहा है. लेकिन सच्चाई यही है कि जब प्रशासन देर करता है, तब मां-बाप जैसे लोग अपने दम पर नन्हीं जिंदगियों को बचाते हैं.

कहां है नगर विकास की 'जल निकासी योजना' का बजट?

प्रशासन का कहना है कि राहत कार्य जोर-शोर से चल रहे हैं, नावें लगाई गई हैं, टीमें मुस्तैद हैं. लेकिन फिर भी अगर एक नवजात को लेकर मां-बाप को खुद पानी में उतरना पड़े, तो जाहिर है कहीं न कहीं चूक जरूर हुई है. सिस्टम कितना भी कहे कि हम तैयार हैं, लेकिन ये तस्वीर कुछ और ही हकीकत दिखा रही है.

प्रयागराज जैसे शहरों में हर साल बाढ़ क्यों आती है?

  • नदियों का बढ़ता जलस्तर: भारी वर्षा या पहाड़ों से पानी छोड़े जाने के कारण गंगा और यमुना जैसी नदियां तेजी से बढ़ती हैं.
  • अतिक्रमण और शहरी विस्तार: नदी तटों पर अवैध निर्माण और अतिक्रमण ने जल निकासी को बाधित कर दिया है. प्राकृतिक जलमार्ग अवरुद्ध हो गए हैं.
  • खराब आपदा प्रबंधन: बाढ़ की पूर्व चेतावनी प्रणाली, बचाव योजनाएं और राहत व्यवस्थाएं पर्याप्त नहीं हैं.

हर साल बाढ़ आना नियति है या लापरवाहियों का परिणाम?

यह वीडियो सिर्फ एक हादसा नहीं है, यह समाज के उस तबके की कहानी है जो हर आपदा में सबसे ज्यादा प्रभावित होता है. जिनके पास ना तो विकल्प होते हैं, ना सहारा. लेकिन हां, हिम्मत और उम्मीद की डोर अब भी उनके हाथ में है.

सवाल यही है, क्या सरकार और प्रशासन सिर्फ पानी घटने का इंतजार करेगा, या कभी पहले से तैयारी भी करेगा?

Source: bhaskar.com