वाराणसी, उत्तर प्रदेश: ज्ञानवापी मस्जिद विवाद मामले में हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व कर रहे एडवोकेट विष्णु शंकर जैन ने एक बयान में चौंकाने वाली जानकारी साझा करते हुए बताया है कि पुरातत्व विभाग (एएसआई) की रिपोर्ट में, जिस मस्जिद के अस्तित्व की बात हो रही है, उसके निर्माण से पहले वहां एक विशाल हिंदू मंदिर मौजूद था. उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा, "एएसआई का निर्णायक निष्कर्ष है कि विद्यमान संरचना के निर्माण से पहले, उस स्थान पर एक बड़ा हिंदू मंदिर स्थापित था."
जैन के अनुसार, एएसआई रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्तमान मस्जिद की संरचना में इस्तेमाल किए गए खंभों और प्लास्टरों का विस्तृत अध्ययन किया गया है. यह जांच इस बात की पुष्टि करता है कि मस्जिद के विस्तार और सभागृह के निर्माण के लिए पहले से मौजूद मंदिरों के कुछ हिस्सों, जिनमें खंभे और प्लास्टर शामिल हैं, को थोड़े से बदलाव के साथ दोबारा इस्तेमाल किया गया था.
एएसआई रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष:
- गलियारों में खंभों और प्लास्टरों का सूक्ष्म अध्ययन बताता है कि वे मूल रूप से एक पूर्व-मौजूद हिंदू मंदिर का हिस्सा थे, जिन्हें वर्तमान संरचना में फिर से इस्तेमाल किया गया.
- कमल पदक के दोनों ओर नक्काशीदार व्याल आकृतियों को क्षत-विक्षत कर दिया गया था और कोनों से पत्थर का द्रव्यमान हटाने के बाद, उस स्थान को पुष्प डिजाइन से सजाया गया था.
- यह अवलोकन पश्चिमी कक्ष के उत्तरी और दक्षिणी दीवारों पर अभी भी मौजूद दो समान प्लास्टरों द्वारा समर्थित है.
#WATCH | Varanasi, Uttar Pradesh | Advocate Vishnu Shankar Jain, representing the Hindu side, gives details on the Gyanvapi case.
He says, "The ASI has said that the pillars and plasters used in the existing structure were studied systematically and scientifically for the… pic.twitter.com/KANG7l3B0r
— ANI (@ANI) January 25, 2024
यह बयान ज्ञानवापी मामले में एक ऐतिहासिक मोड़ साबित हो सकता है. 1669 में औरंगजेब द्वारा एक पुराने शिव मंदिर को ध्वस्त करने के बाद इस मस्जिद का निर्माण करवाया गया था. हिंदू संगठनों का लंबे समय से यह दावा रहा है कि मस्जिद के नीचे हिंदू मंदिर के अवशेष दबे हुए हैं और इस स्थान को उन्हें वापस लौटाया जाना चाहिए. एएसआई की रिपोर्ट, यदि सार्वजनिक की जाती है, तो इस दावे को मजबूत सबूत दे सकती है.
#WATCH | Varanasi, Uttar Pradesh | Advocate Vishnu Shankar Jain, representing the Hindu side, gives details on the Gyanvapi case.
He says, "The ASI has said that there existed a large Hindu Temple prior to the construction of the existing structure. This is the conclusive… pic.twitter.com/rwAV0Vi4wj
— ANI (@ANI) January 25, 2024
हालांकि, मस्जिद प्रबंधन समिति का इस पर अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है. यह मामला वर्तमान में न्यायालय में विचाराधीन है और एएसआई रिपोर्ट की सामग्री अभी सार्वजनिक नहीं की गई है. हालांकि, एडवोकेट जैन के बयान से हिंदू समुदाय में उत्साह की लहर दौड़ गई है और अब सभी की निगाहें न्यायलय के अगले कदम पर टिकी हुई हैं.