भारत-चीन बार्डर पर तनाव खत्म! LAC पर पीछे हटे दोनों देशों के सैनिक, 5 दिन में फिर शुरू होगी पेट्रोलिंग
भारत और चीन के बीच चार साल से चल रहे सीमा विवाद का अंत होने की राह पर है. भारतीय और चीनी सैनिकों ने अपने-अपने अस्थायी ढांचों को हटा दिया है. अगले 4-5 दिनों में पेट्रोलिंग फिर से शुरू होने की उम्मीद है.
भारत और चीन के बीच चार साल से चल रहे सीमा विवाद का अंत होने की राह पर है. हाल ही में दोनों देशों ने पूर्वी लद्दाख में तनाव खत्म करने के लिए समझौता किया है, जिसके बाद सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया शुरू हो गई है. सूत्रों के अनुसार, दोनों पक्षों ने अपने-अपने क्षेत्र में टेंट और अस्थायी ढांचे हटा दिए हैं. भारतीय सैनिक अब चारडिंग नाला के पश्चिमी हिस्से में लौट रहे हैं, जबकि चीनी सैनिक पूर्वी हिस्से की ओर पीछे हट रहे हैं.
सैनिकों की वापसी और पेट्रोलिंग की बहाली
गुरुवार को चीनी सेना ने अपने वाहनों की संख्या में कमी की, जबकि भारतीय सेना ने भी कुछ सैनिकों को हटा लिया. अगले 4-5 दिनों में देपसांग और डेमचोक क्षेत्रों में पेट्रोलिंग फिर से शुरू होने की उम्मीद है. इस कदम से दोनों देशों के बीच आपसी विश्वास को मजबूत करने और तनाव कम करने में मदद मिलेगी.
2020 में शुरू हुआ था विवाद
इससे पहले मई 2020 में गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद भारत-चीन के बीच सीमा विवाद गहरा गया था, जिससे दोनों देशों के संबंधों में तनाव आ गया था. लेकिन अब 21 अक्टूबर को भारत ने इस बात की घोषणा की कि चीन के साथ एक समझौते पर सहमति बन गई है, जिससे सीमा पर शांति बहाल की जा सकेगी.
द्विपक्षीय संबंधों में सुधार के संकेत
चीन ने भी इस समझौते की पुष्टि की है और कहा है कि वह भारत के साथ मिलकर इन समझौतों को लागू करेगा. इसके बाद, ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात में इस समझौते को समर्थन दिया गया.
इस बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने ज़ोर दिया कि सीमा संबंधी मुद्दों को आपसी शांति भंग नहीं करने देना चाहिए. शी जिनपिंग ने भी द्विपक्षीय संबंधों को बेहतर बनाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी के सुझावों से सहमति जताई.
नॉर्मल संबंधों की ओर बढ़ते कदम
इस समझौते से दोनों देशों के बीच वर्षों से चले आ रहे तनाव को समाप्त करने की दिशा में सकारात्मक संकेत मिले हैं. अब दोनों देश विभिन्न द्विपक्षीय संवाद तंत्रों को पुनर्जीवित करने के प्रयास कर रहे हैं, जिससे आपसी संबंधों में स्थिरता आ सके.
इस समझौते और सैनिकों की वापसी से एशिया की दो बड़ी शक्तियों के बीच बेहतर रिश्तों का एक नया अध्याय शुरू होने की उम्मीद की जा रही है.