Telangana SIM Box Scam: तेलंगाना में पुलिस ने एक बड़े साइबर फ्रॉड रैकेट का पर्दाफाश किया है. यह गिरोह लोगों को सरकारी अधिकारी बनकर फोन करता था और उन्हें डरा-धमका कर पैसे ऐंठने की कोशिश करता था. तेलंगाना के मंचेरियल जिले में की गई इस कार्रवाई में 4 लोगों को गिरफ्तार किया गया है.
पुलिस की इस संयुक्त कार्रवाई में तेलंगाना साइबर सिक्योरिटी ब्यूरो (TGCSB), दूरसंचार विभाग (DoT) और रामागुंडम पुलिस शामिल थी. इस गिरोह के पास से 5 सिम बॉक्स डिवाइस और 230 से ज़्यादा अवैध सिम कार्ड जब्त किए गए हैं.
कैसे काम करते थे ये ठग?
यह पूरा मामला तब सामने आया जब एक व्यक्ति ने दूरसंचार विभाग के 'चक्षु पोर्टल' पर शिकायत दर्ज कराई. शिकायत करने वाले ने बताया कि उसे धमकी भरे फोन आ रहे हैं, जिसमें फोन करने वाला खुद को सरकारी अधिकारी बता रहा है और कह रहा है कि आपका मोबाइल नंबर बंद कर दिया जाएगा. यह ठगों का एक आम तरीका है जिससे वे लोगों को डराते हैं.
जांच में हुआ बड़ा खुलासा
शिकायत मिलने के बाद पुलिस और साइबर टीम ने जांच शुरू की. जांच में पता चला कि ये ठग 'सिम बॉक्स' नाम की एक डिवाइस का इस्तेमाल कर रहे थे. सिम बॉक्स एक ऐसी डिवाइस है जिससे एक साथ कई सिम कार्ड इस्तेमाल करके हजारों कॉल की जा सकती हैं. इससे उन्हें पकड़ना मुश्किल हो जाता है.
पुलिस ने कॉल डिटेल रिकॉर्ड (CDR) और स्थानीय खुफिया जानकारी के आधार पर मंचेरियल जिले के जन्नारम में एक किराए के मकान का पता लगाया, जहाँ से यह पूरा नेटवर्क चलाया जा रहा था.
29 जुलाई 2025 को पुलिस ने इस मकान पर छापा मारा और 4 लोगों को गिरफ्तार कर लिया. गिरफ्तार किए गए लोगों के नाम यंद्रापु कामेश (24), बावु बपैया (43), बावु मधुकर (32), और गोटला राजेश्वर (40) हैं.
छापेमारी में 5 सिम बॉक्स डिवाइस, 230 सिम कार्ड (Jio, Airtel, Vi), एक लैपटॉप, कई मोबाइल फोन और इंटरनेट उपकरण बरामद हुए.
मास्टरमाइंड कंबोडिया से चला रहा था नेटवर्क
जांच में पता चला है कि इस गिरोह के तार विदेश से, खासकर कंबोडिया से जुड़े हैं. इस पूरे खेल का मास्टरमाइंड 'जैक' उर्फ 'राजू' उर्फ 'पालवलसुला साई कृष्णा' नाम का एक शख्स है, जो विशाखापत्तनम का रहने वाला है और माना जा रहा है कि वह कंबोडिया से ही इस पूरे नेटवर्क को चला रहा था.
कहानी यह है कि गिरोह के एक सदस्य बावु बपैया की मुलाकात जैक से चंडीगढ़ में हुई थी. बाद में जैक ने उसे कंबोडिया बुलाया. जब बपैया अप्रैल 2025 में भारत लौटा, तो जैक ने उसे वॉट्सऐप पर जन्नारम में एक किराए का कमरा लेने को कहा.
इसके बाद जैक ने कंबोडिया से सिम बॉक्स डिवाइस भेजीं. बपैया और उसके भाई मधुकर ने मिलकर इसे सेटअप किया. जैक ने उन्हें हर महीने 30,000 रुपये की सैलरी और ठगी के पैसों में हिस्सेदारी का वादा किया.
पैसे के लालच में फंसा इंजीनियर
इस काम के लिए गिरोह ने यंद्रापु कामेश नाम के एक पॉलीटेक्निक इंजीनियर को नौकरी पर रखा, जो पैसे की तंगी से जूझ रहा था. उसे 70,000 रुपये महीने की सैलरी का लालच दिया गया. उसका काम इन डिवाइसों को चलाना था. गिरोह ने आंध्र प्रदेश के पार्वतीपुरम जैसी जगहों से सैकड़ों सिम कार्ड खरीदे, जिसके लिए पैसा मास्टरमाइंड जैक ने ही भेजा था.
फिलहाल सभी गिरफ्तार आरोपी पुलिस हिरासत में हैं और आगे की जांच चल रही है ताकि इस नेटवर्क से जुड़े और लोगों का पता लगाया जा सके. यह मामला दिखाता है कि साइबर अपराध की जड़ें कितनी गहरी और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैली हुई हैं और इनसे निपटने के लिए सभी एजेंसियों का मिलकर काम करना कितना ज़रूरी है.













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