तेजस्वी यादव : कड़ी मेहनत के साथ तय किया क्रिकेट के मैदान से चुनावी दंगल तक का सफर
तेजस्वी यादव (Photo Credits-ANI Twitter)

पटना, 11 नवम्बर: क्रिकेट के मैदान से चुनावी दंगल तक का सफर तय करने वाले तेजस्वी यादव को राजनीतिक अनुभव भले ही कम रहा हो लेकिन इस बार बिहार विधानसभा चुनाव में उन्होंने बड़े-बड़े राजनेताओं को कड़ी टक्कर दी और अपनी पार्टी को एक मजबूत स्थिति में ला खड़ा किया. बिहार (Bihar) 2020 विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल (Rashtriya Janta Dal) (राजद)(RJD) की पूरी जिम्मेदारी अपने कंधों पर लेने और कद्दावर नेताओं को टक्कर देने वाले तेजस्वी यादव (Tejasvi Yadav) का मन नयी दिल्ली (New Delhi) के प्रतिष्ठित डीपीएस आर (DPSR) के पुरम स्कूल में कभी पढ़ाई में नहीं लगा लेकिन अपने पिता एवं राजनेता लालू यादव (Lalu Yadav) की तरह मतदाताओं का मन पढ़ना उन्हें बखूबी आता है और यह इसी का ही नतीजा है कि विपक्षी पार्टियों के महागठबंधन ने उनके नेतृत्व 243 में से 110 सीटे अपने नाम की.

यही नहीं, उनकी पार्टी राजद चुनाव में सबसे अधिक 75 सीटें हासिल करने वाली पार्टी भी बनी. हालांकि राजग को पीछे छोड़ने में वह नाकाम रहे लेकिन फिर भी उनके इस प्रदर्शन को कम नहीं आंका जा सकता. लोकसभा चुनाव में राज्य में 40 सीटों में से एक भी हासिल ना कर पाने पर इस युवा को राजद का नेतृत्व सौंपने को लेकर काफी सवाल उठे थे और इसके परिणामस्वरूप ही पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा, पूर्व केन्द्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushvaha) के आरएलएसपी (RLSP) और मुकेश सहान (Mukesh Sahaan) के वीआईपी (VIP) ने पार्टी का साथ छोड़ दिया था.

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तेजस्वी ने केवल नौंवी तक ही पढ़ाई की और उसके बाद क्रिकेट में करियर बनाने की तैयारी शुरू कर दी. तेजस्वी को आईपीएल की टीम ‘दिल्ली डेयरडेविल्स’ (Delhi Daredevils) ने खरीदा भी लेकिन एक भी बार भी वह मैदान पर खेलते नजर नहीं आए.

इसके बाद 25 साल की उम्र में 2015 में उन्होंने क्रिकेट को अलविदा कह दिया और चुनावी दंगल में उतर आए और राधोपुर (Radhopur) विधानसभा सीट पर जीत दर्ज कर औपचारिक तौर पर अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की. इसके बाद ही लालू प्रसाद यादव ने यह स्पष्ट कर दिया था कि तेजस्वी ही उनके उत्तराधिकारी होंगे और यहीं कारण था कि नीतीश कुमार (Nitish Kumar) नीत सरकार में उन्हें उप मुख्यमंत्री बनाया गया. राजनीतिक करियर के आगाज के कुछ समय बाद ही तेजस्वी पर धनशोधन का आरोप लगा. यह मामला कथित अवैध भूमि लेनदेन से संबंधित था, जब उनके पिता संप्रग-1 सरकार में रेल मंत्री थे. कथित घोटाले के समय तेजस्वी की उम्र काफी कम थी.

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आरोपों के तुरंत बाद ही तेजस्वी को निजी जिंदगी और राजनीतिक करियर दोनों में काफी कठिन समय का सामना करना पड़ा. नीतीश कुमार ने राजद से अपना संबंध तोड़ दिया और उन्होंने राजग के साथ मिलकर राज्य में सरकार बनाई. लालू यादव के चारा (Chara) घोटाला से जुड़े मामलों में जेल जाने के बाद से ही तेजस्वी को राजद का मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार माना गया.

तमाम परेशानियों के बावजूद उन्होंने पार्टी को बचाने के पूरे प्रयास किए.... राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान को जिंदा रखने के लिए मुजफ्फरपुर (Muzaffarpur) आश्रय गृह ‘सेक्स स्कैंडल’ के खिलाफ कांग्रेस नेता राहुल गांधी और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ नयी दिल्ली में प्रदर्शन किया. वर्ष 2018 का अंत आने तक तेजस्वी को घरेलू विवादों ने घेरे लिया, जहां बड़े भाई तेज प्रताप यादव का वैवाहिक जीवन चर्चा में बना रहा.

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लोकसभा चुनाव के बाद तेजस्वी मुख्य परिदृश्य से बाहर ही दिखे, दिमागी बुखार और उत्तरी बिहार में बाढ़ जैसी समस्याओं के बीच एक माह के विधानसभा सत्र से उनके नदारद रहने ने विपक्ष को अलोचना के पूर्ण अवसर दिए.

बिहार 2020 विधानसभा चुनाव से पहले भी तेजस्वी ने कोविड-19 के मद्देजर इन्हें स्थगित किए जाने की मांग की थी. हालांकि एक बार चुनाव की घोषणा होने के बाद वह पूरी तरह मैदान में उतर आए. अपनी बड़ी बहन एवं राज्यसभा सांसद मीसा भारती को प्रचार अभियान से दूर रखने और बड़े भाई तेज प्रताप को उनकी हसनपुर सीट तक सीमित रखने के फैसले ने सबको काफी चौंकाया लेकिन वह अडिग रहे और राज्य में पार्टी को बेहतर स्थिति में लाकर ही माने.

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चुनाव में भले ही राजग ने बहुमत हासिल किया है, लेकिन इस चुनाव में विपक्षी ‘महागठबंधन’ का नेतृत्व कर रहा राष्ट्रीय जनता दल (राजद) 75 सीटें अपने नाम करके सबसे बड़े दल के रूप में उभरा और इसके साथ ही इस युवा नेता के उज्ज्वल भविष्य की उम्मीदे भी जगीं हैं.

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