Fake Political Donations: आयकर विभाग ने कर चोरी को लेकर बड़ा खुलासा किया है. विभाग ने कथित तौर पर करोड़ों रुपये के फर्जी राजनीतिक दान का भंडाफोड़ किया है और 5000 से अधिक व्यवसायियों और संस्थाओं को नोटिस जारी किए हैं. इन संस्थाओं पर आरोप है कि उन्होंने पंजीकृत लेकिन निर्वाचन आयोग द्वारा मान्यता प्राप्त नहीं राजनीतिक दानों के जरिए कर चोरी की और 10% कमीशन लेकर 90% राशि वापस नकदी में ली.
सूत्रों के मुताबिक, विभाग ने वित्त वर्ष 2021 और 2022 में किए गए दानों की जांच कर रहा है. यह पता लगाया जा रहा है कि क्या कम प्रसिद्ध राजनीतिक दलों को किए गए ऐसे दानों का इस्तेमाल कर चोरी और धन शोधन किया गया था.
जिन संस्थाओं को नोटिस भेजे गए हैं, उन्होंने दान ऐसी पार्टियों को किए हैं जो पंजीकृत तो हैं, लेकिन निर्वाचन आयोग द्वारा मान्यता प्राप्त नहीं हैं. करदाता पंजीकृत चुनावी ट्रस्ट या राजनीतिक पार्टी को किए गए दान के लिए 100% कटौती का दावा कर सकते हैं. हालांकि, यह कटौती उनकी कुल आय से अधिक नहीं हो सकती.
सूत्रों का कहना है कि दान दाखिल की गई आय से मेल नहीं खाते थे, जिससे यह संदेह है कि इन पार्टियों ने कुछ राशि नकद में वापस कर दी होगी. कुछ मामलों में, करदाताओं ने अपनी आय का 80% तक ऐसी राजनीतिक पार्टी को दान कर दिया है जो ठीक से पंजीकृत भी नहीं है.
पंजीकृत राजनीतिक दलों को गैर-मान्यता प्राप्त माना जाता है, अगर उन्होंने चुनाव नहीं लड़ा है या विधानसभा या राष्ट्रीय चुनावों में योग्य मत प्रतिशत हासिल नहीं किया है.
विभाग ने पिछले साल भी इसी तरह के नोटिस भेजे थे, जिसके परिणामस्वरूप अपडेटेड रिटर्न के साथ दंड और ब्याज का भुगतान किया गया था. अधिकारियों का कहना है कि वित्त वर्ष 2023 से इस तरह से कर चोरी करना मुश्किल होगा. 2022 में, सीबीडीटी ने आईटीआर-7 में बदलाव किए, जो राजनीतिक दलों और धर्मार्थ ट्रस्टों द्वारा दाखिल किया जाता है. इस साल से, जिनकी आय ₹50 लाख से अधिक है, उन्हें राजनीतिक दलों को किए गए अंशदानों का अतिरिक्त विवरण देना होगा.