शाहजहांपुर की MP-MLA कोर्ट ने पूर्व केंद्रीय गृह राज्य मंत्री स्वामी चिन्मयानंद को अपनी छात्रा से रेप के आरोप से बरी कर दिया. उन पर 13 साल पहले साल 2011 में छात्रा ने रेप का आरोप लगाया था. बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने बताया कि स्वामी चिन्मयानंद पर साजिशन झूठे आरोप लगाए गए थे.
30 नवंबर 2011 को पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री और मुमुक्षु आश्रम के अधिष्ठाता स्वामी चिन्मयानंद के खिलाफ उनकी शिष्या ने चौक कोतवाली में दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज कराया था. आरोप था कि चिन्मयानंद ने अपने कर्मचारियों की मदद से शिष्या को मुमुक्षु आश्रम में बंधक बनाकर कई बार रेप किया. पुलिस ने विवेचना के बाद चिन्मयानंद के खिलाफ आरोपपत्र अदालत भेजा.
भाजपा की सरकार बनने पर 2018 में मुकदमा वापस लेने की प्रक्रिया शुरू की गई थी. इसकी जानकारी होने पर पीड़िता ने एतराज जताया तो अदालत ने लोकहित से जुड़ा मामला न मानते हुए प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया था.
UP : शाहजहांपुर कोर्ट से पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री स्वामी चिन्मयानंद बरी हुए। साल-2011 में उनकी छात्रा साध्वी ने रेप का आरोप लगाया था। साल- 2019 में भी लॉ छात्रा से रेप के आरोप में भी चिन्मयानंद बरी हो चुके हैं। pic.twitter.com/EgwzwQwRRo
— Sachin Gupta (@SachinGuptaUP) February 1, 2024
बृहस्पतिवार को एमपी-एमएलए कोर्ट/अपर जिला जज तृतीय अहसान हुसैन ने मुकदमे का फैसला सुनाया. कोर्ट ने स्वामी चिन्मयानंद को दोषी ठहराने के लिए पेश किए गए सबूतों को पर्याप्त नहीं माना. अदालत ने चिन्मयानंद को दोषमुक्त करते हुए बरी कर दिया.
बरी होने पर चिन्मयानंद ने राहत की सांस ली. उनके वकील ने बताया कि अभियोजन पक्ष की ओर से छह गवाह पेश किए गए. इनमें मेडिकल करने वालीं डॉ. सईद फातिमा, एफआईआर लेखक खुर्शीद अहमद, रेडियोलॉजिस्ट डॉ. एमपी गंगवार, बीपी गौतम और विवेचक मुकदमा इंस्पेक्टर नरेंद्र प्रताप सिंह शामिल थे.